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माइग्रेन के दर्द में इन 2 चीजों का करें सेवन, तुरंत दूर होगा दर्द

माइग्रेन की समस्या से बचने के लिए ब्रोकली का सेवन करें। माइग्रेन में दर्द निवारक दवाएं सेहत के लिए नुकसानदेह है। दर्द से बचने के लिए कैफीन के सेवन से बचें। आजकल लोगों में माइग्रेन की समस्या बढ़ती जा रही है जिसका मुख्य कारण जीवनशैली में आने वाला बदलाव है। लोगों की खान-पान व रहन सहन की आदतों में बहुत बदलाव आए हैं जो कि सेहत से जुड़ी समस्याओं को पैदा करते हैं। माइग्रेन एक मस्तिष्क विकार माना जाता है। आमतौर पर लोग माइग्रेन की समस्या के दौरान अपने आहार पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं जो कि दर्द को और भी बढ़ा सकते हैं। माइग्रेन की समस्या होने पर ज्यादातर लोग दवाओं की मदद लेकर इससे निजात पाना चाहते हैं। लेकिन वे इस बात से अनजान होते हैं कि ये दवाएं स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। जानें माइग्रेन में किस तरह के आहार का सेवन करना चाहिए। यूं तो हरी पत्‍तेदार सब्‍जियां सेहत के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है। लेकिन माइग्रेन के दौरान इनका सेवन जरूर करना चाहिए क्योंकि इनमें मैग्निशियम अधिक होता है जिससे माइग्रेन के दर्द जल्द ठीक हो जाता है। इसके अलावा साबुत अनाज, समुद्री जीव और गेहूं आदि में बहुत मैग्निशियम होता है। माइग्रेन से बचने के लिए मछली का सेवन भी फायदेमंद होता है। इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड और विटामिन पाया जाता है जो कि माइग्रेन का दर्द से जल्द छुटकारा दिलाती है। अगर आप शाकाहारी हैं तो अलसी के बीज का सेवन कर सकते हैं। इसमें भी ओमेगा 3 फैटी एसिड और फाइबर पाया जाता है। इसे भी पढ़ें : आयुर्वेदिक तरीके से करें माइग्रेन का इलाज वसा रहित दूध या उससे बने प्रोडक्‍ट्स माइग्रेन को ठीक कर सकते हैं। इसमें विटामिन बी होता है जिसे राइबोफ्लेविन बोलते हैं और यह कोशिका को ऊर्जा देती है। यदि सिर में कोशिका को ऊर्जा नहीं मिलेगी तो माइग्रेन दर्द होना शुरु हो जाएगा। कैल्शियम व मैग्निशियम युक्त आहार को अगर साथ में लिया जाए तो इससे माइग्रेन की समस्या से छुटाकारा पाया जा सकता है। ब्रोकली में मैग्‍निशीयम पाया जाता है तो आप ब्रोकली को सब्जी या सूप आदि के साथ ले सकते हैं। ये खाने में अच्छी लगती है। इसे भी पढ़ें : इसलिए 50 की उम्र के बाद तेजी से बढ़ता है माइग्रेन का खतरा बाजरा में फाइबर, एंटीऑक्‍सीडेंट और मिनरल पाये जाते हैं। तो ऐसे में माइग्रेन का दर्द होने पर साबुत अनाज से बने भोजन का जरुर सेवन करें। अदरक आयुर्वेद के अनुसार अदरक आपके सिर दर्द को ठीक कर सकता है। भोजन बनाते वक्‍त उसमें थोड़ा सा अदरक मिला दें और फिर खाएं। खाने के साथ नियमित रुप से लहसुन की दो कलियों का सेवन जरूर करें। यह आपको माइग्रेन की समस्या से बचाता है। जिन चीजों में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है जैसे चिकन, मछली, बीन्स,मटर, दूध, चीज, नट्स और पीनट बटर आदि। इन चीजों में प्रोटीन के साथ विटामिन बी6 भी पाया जाता है। माइग्रेन के दौरान कॉफी या चाय की जगह हर्बल टी पीना काफी लाभकारी है। इसमें मौजूद नैचुरल तत्व जैसे अदरक, तुलसी, कैमोमाइल और पुदीना चिंता से निजात दिलाने और मांसपेशियों को तनावरहित करने में कारगर है। बढ़ती उम्र में माइग्रेन जब व्यक्ति 50 और 60 साल के बीच में होता है तो उसे अपने दैनिक जीवन और दिनचर्या में काफी बदलाव करना पड़ता है। अचानक होने वाले इन बदलावों को व्यक्ति जल्दी से स्वीकार नहीं कर पाता है। जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण इसे इस बदलाव के अनुकूल उसे ढालने में मदद करता है।जिन लोगों की पहचान उनकी नौकरी या व्यवसाय से जुड़ी रहती है वैसे लोगों को सेवानिवृति के बाद मानसिक तौर पर अस्वस्थ्य होने की संभावना अधिक रहती है। जिन लोगों में बढती उम्र का एहसास कुछ ज्यादा होता है और वह देखने में भी बुढ़े लगने लगते है उनमें स्वंय को लाचार और असहाय समझने जैसी हीन भावना आ जाती है। जो इस रोग का कारण बनते हैं। इससे होने वाले नुकसान मानसिक रोग होने के कई नुकसान हो सकते हैं। उम्र बढने के साथ अचानक मरने का विचार मन में आने लगना। अपने जीवन में होने वाले बदलावों के प्रति असंतुष्ठि का भाव और कुछ अधुरे सपने और दमित इच्छाओं को पानेे की अपेक्षाएं। अपने परिवार में पत्नी, बच्चे या किसी अन्य इष्ट की मौत हो जाने या किसी सहकर्मी की मौत से भी व्यक्ति व्यथित हो जाता है। व्यक्ति को लगता है कि वह दूसरों पर बोझ बन रहा है और अब उसकी किसी को जरूरत नहीं है। परिवार में बच्चों द्वारा अपने माता पिता को घर में अकेला छोड़ कर खुद अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहने की बढ़ती प्रवृति के कारण भी बूढे लोगों में एक तरह से असुरक्षा का भाव पनपने लगता है। वह भावनात्मक रूप से काफी संवेदनशील हो जाता है। जिसके चलते व्यक्ति हार्ट अटैक, डिप्रेशन और बीपी हाई व लो जैसे रोगों से घिरने लगता है।

माइग्रेन की समस्या से बचने के लिए ब्रोकली का सेवन करें। माइग्रेन में दर्द निवारक दवाएं सेहत के लिए नुकसानदेह है। दर्द से बचने के लिए कैफीन के सेवन से बचें। आजकल लोगों में माइग्रेन की समस्या बढ़ती जा रही …

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सिर ही नहीं पेट में भी होता है माइग्रेन का दर्द, जानिए एब्डॉमिनल माइग्रेन के लक्षण और कारण

एब्डॉमिनल माइग्रेन की समस्या से बचने के लिए ब्रोकली का सेवन करें। माइग्रेन में दर्द निवारक दवाएं सेहत के लिए नुकसानदेह है। दर्द से बचने के लिए कैफीन के सेवन से बचें। आजकल लोगों में माइग्रेन की समस्या बढ़ती जा रही है जिसका मुख्य कारण जीवनशैली में आने वाला बदलाव है। लोगों की खान-पान व रहन सहन की आदतों में बहुत बदलाव आए हैं जो कि सेहत से जुड़ी समस्याओं को पैदा करते हैं। माइग्रेन एक मस्तिष्क विकार माना जाता है। आमतौर पर लोग माइग्रेन की समस्या के दौरान अपने आहार पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं जो कि दर्द को और भी बढ़ा सकते हैं। माइग्रेन की समस्या होने पर ज्यादातर लोग दवाओं की मदद लेकर इससे निजात पाना चाहते हैं। लेकिन वे इस बात से अनजान होते हैं कि ये दवाएं स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। जानें माइग्रेन में किस तरह के आहार का सेवन करना चाहिए। यूं तो हरी पत्‍तेदार सब्‍जियां सेहत के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है। लेकिन माइग्रेन के दौरान इनका सेवन जरूर करना चाहिए क्योंकि इनमें मैग्निशियम अधिक होता है जिससे माइग्रेन के दर्द जल्द ठीक हो जाता है। इसके अलावा साबुत अनाज, समुद्री जीव और गेहूं आदि में बहुत मैग्निशियम होता है। माइग्रेन से बचने के लिए मछली का सेवन भी फायदेमंद होता है। इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड और विटामिन पाया जाता है जो कि माइग्रेन का दर्द से जल्द छुटकारा दिलाती है। अगर आप शाकाहारी हैं तो अलसी के बीज का सेवन कर सकते हैं। इसमें भी ओमेगा 3 फैटी एसिड और फाइबर पाया जाता है। इसे भी पढ़ें : आयुर्वेदिक तरीके से करें माइग्रेन का इलाज वसा रहित दूध या उससे बने प्रोडक्‍ट्स माइग्रेन को ठीक कर सकते हैं। इसमें विटामिन बी होता है जिसे राइबोफ्लेविन बोलते हैं और यह कोशिका को ऊर्जा देती है। यदि सिर में कोशिका को ऊर्जा नहीं मिलेगी तो माइग्रेन दर्द होना शुरु हो जाएगा। कैल्शियम व मैग्निशियम युक्त आहार को अगर साथ में लिया जाए तो इससे माइग्रेन की समस्या से छुटाकारा पाया जा सकता है। ब्रोकली में मैग्‍निशीयम पाया जाता है तो आप ब्रोकली को सब्जी या सूप आदि के साथ ले सकते हैं। ये खाने में अच्छी लगती है। इसे भी पढ़ें : इसलिए 50 की उम्र के बाद तेजी से बढ़ता है माइग्रेन का खतरा बाजरा में फाइबर, एंटीऑक्‍सीडेंट और मिनरल पाये जाते हैं। तो ऐसे में माइग्रेन का दर्द होने पर साबुत अनाज से बने भोजन का जरुर सेवन करें। अदरक आयुर्वेद के अनुसार अदरक आपके सिर दर्द को ठीक कर सकता है। भोजन बनाते वक्‍त उसमें थोड़ा सा अदरक मिला दें और फिर खाएं। खाने के साथ नियमित रुप से लहसुन की दो कलियों का सेवन जरूर करें। यह आपको माइग्रेन की समस्या से बचाता है। जिन चीजों में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है जैसे चिकन, मछली, बीन्स,मटर, दूध, चीज, नट्स और पीनट बटर आदि। इन चीजों में प्रोटीन के साथ विटामिन बी6 भी पाया जाता है। माइग्रेन के दौरान कॉफी या चाय की जगह हर्बल टी पीना काफी लाभकारी है। इसमें मौजूद नैचुरल तत्व जैसे अदरक, तुलसी, कैमोमाइल और पुदीना चिंता से निजात दिलाने और मांसपेशियों को तनावरहित करने में कारगर है। बढ़ती उम्र में माइग्रेन जब व्यक्ति 50 और 60 साल के बीच में होता है तो उसे अपने दैनिक जीवन और दिनचर्या में काफी बदलाव करना पड़ता है। अचानक होने वाले इन बदलावों को व्यक्ति जल्दी से स्वीकार नहीं कर पाता है। जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण इसे इस बदलाव के अनुकूल उसे ढालने में मदद करता है।जिन लोगों की पहचान उनकी नौकरी या व्यवसाय से जुड़ी रहती है वैसे लोगों को सेवानिवृति के बाद मानसिक तौर पर अस्वस्थ्य होने की संभावना अधिक रहती है। जिन लोगों में बढती उम्र का एहसास कुछ ज्यादा होता है और वह देखने में भी बुढ़े लगने लगते है उनमें स्वंय को लाचार और असहाय समझने जैसी हीन भावना आ जाती है। जो इस रोग का कारण बनते हैं। इससे होने वाले नुकसान मानसिक रोग होने के कई नुकसान हो सकते हैं। उम्र बढने के साथ अचानक मरने का विचार मन में आने लगना। अपने जीवन में होने वाले बदलावों के प्रति असंतुष्ठि का भाव और कुछ अधुरे सपने और दमित इच्छाओं को पानेे की अपेक्षाएं। अपने परिवार में पत्नी, बच्चे या किसी अन्य इष्ट की मौत हो जाने या किसी सहकर्मी की मौत से भी व्यक्ति व्यथित हो जाता है। व्यक्ति को लगता है कि वह दूसरों पर बोझ बन रहा है और अब उसकी किसी को जरूरत नहीं है। परिवार में बच्चों द्वारा अपने माता पिता को घर में अकेला छोड़ कर खुद अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहने की बढ़ती प्रवृति के कारण भी बूढे लोगों में एक तरह से असुरक्षा का भाव पनपने लगता है। वह भावनात्मक रूप से काफी संवेदनशील हो जाता है। जिसके चलते व्यक्ति हार्ट अटैक, डिप्रेशन और बीपी हाई व लो जैसे रोगों से घिरने लगता है।माइग्रेन आमतौर पर बच्चों को होता है। इसके सही कारणों का पता नहीं लग पाया है। सबसे ज्यादा मामले लड़कियों में पाए गए हैं। माइग्रेन का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में सिर दर्द की तस्वीर आ जाती है। मगर क्या आपको पता है कि माइग्रेन के कारण आपको पेट दर्द की समस्या भी हो सकती है। जी हां! माइग्रेन सिर्फ सिर में ही नहीं, बल्कि पेट में भी हो सकता है। पेट में होने वाले माइग्रेन को एब्डॉमिनल माइग्रेन कहते हैं और इसकी वजह से आपको तेज पेट दर्द, पेट में मरोड़, थकान और उल्टी हो सकती है। इस तरह का माइग्रेन ज्यादातर अनुवांशिक होता है। किनको होता है खतरा एब्डॉमिनल माइग्रेन यानि पेट का माइग्रेन आमतौर पर अनुवांशिक होता है और छोटे बच्चों को होता है। इसका सबसे ज्यादा खतरा उन बच्चों को होता है जिनके माता-पिता पहले से माइग्रेन के शिकार हैं। बच्चों में भी इस तरह के माइग्रेन के मामले सबसे ज्यादा लड़कियों में देखे गए हैं। जिन बच्चों को बचपन में एब्डॉमिनल माइग्रेन की शिकायत होती है, बड़े होकर उन्हें सिर का माइग्रेन होने की संभावना भी बहुत ज्यादा होती है। इसे भी पढ़ें:- पर्याप्त पानी नहीं पीते हैं, तो हो सकती है माइग्रेन की समस्या, जानें क्या हैं इसके लक्षण क्या हैं एब्डॉमिनल माइग्रेन का कारण एब्डॉमिनल माइग्रेन के सही-सही कारण का अब तक पता नहीं लगा है मगर डॉक्टर्स मानते हैं कि शरीर में बनने वाले दो कंपाउंड हिस्टामाइन और सेरोटोनिन इस तरह के दर्द के जिम्मेदार होते हैं। शरीर में ये दोनों ही कंपाउंड अत्यधिक चिंता करने और अवसाद के कारण बनते हैं। चाइनीज फूड्स और इंस्टैंट नूडल्स में इस्तेमाल होने वाला मोनोसोडियम ग्लूटामेट या एमएसजी, प्रोसेस्ड मीट और चॉकलेट के ज्यादा सेवन से भी शरीर में ये कंपाउंड बनते हैं। कई बार ज्यादा मात्रा में हवा निगल लेने के कारण भी एब्डॉमिनल माइग्रेन की समस्या हो सकती है। क्या हैं एब्डॉमिनल माइग्रेन के लक्षण आमतौर पर एब्डॉमिनल माइग्रेन का तेज पेट के बिल्कुल बीच में या नाभि के पास होता है। इसके अलावा इस रोग में ये लक्षण दिख सकते हैं- पेट में तेज दर्द की समस्या पेट का रंग पीला दिखाई देना दिनभर थकान और सुस्ती भूख कम लगना और खाने-पीने का मन न करना आंखों के नीचे काले घेरे आना आमतौर पर एब्डॉमिनल माइग्रेन के लक्षण पहले से नहीं दिखाई देते हैं। कई बार एब्डॉमिनल माइग्रेन का दर्द आधे घंटे में ही ठीक हो जाता है और कई बार 2-3 दिन तक बना रहता है। इसे भी पढ़ें:- इन 6 बातों को नजरअंदाज करने से बढ़ जाता है माइग्रेन, जरूरी है सावधानी क्या है एब्डॉमिनल माइग्रेन का इलाज चूंकि एब्डॉमिनल माइग्रेन के सही कारणों का पता नहीं चल सका है इसलिए गंभीर हो जाने पर इसका इलाज मुश्किल हो जाता है। आमतौर पर एब्डॉमिनल माइग्रेन का पता चलने पर चिकित्सक इसका इलाज सामान्य माइग्रेन की तरह करते हैं, जिससे कई बार मरीज को पूरा लाभ नहीं मिल पाता है। आमतौर पर बिना किसी गंभीर लक्षण के दिखाई दिए, चिकित्सक दवा नहीं देते हैं।

एब्डॉमिनल माइग्रेन आमतौर पर बच्चों को होता है। इसके सही कारणों का पता नहीं लग पाया है। सबसे ज्यादा मामले लड़कियों में पाए गए हैं। माइग्रेन का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में सिर दर्द की तस्वीर आ जाती है। …

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चिंता ही नहीं, ये भी हैं डिप्रेशन के 4 मामूली लेकिन खतरनाक लक्षण!

इन दिनों उम्रदराज और वयस्क व्यक्तियों के अलावा युवा वर्ग भी डिप्रेशन की गिरफ्त में तेजी से आ रहा है। इसका कारण यह है कि युवकों को अपने कॅरियर में स्थापित होने के लिए कड़ी प्रतिस्पद्र्धा का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा वह कम वक्त में कामयाबियों की सीढ़ियां तेजी से चढ़ना चाहते हैं। उनमें धैर्य नहीं होता और जब वे अपने जीवन व कॅरियर से संबंधित पहले से ही तयशुदा लक्ष्यों (टार्गेट्स) को पूरा नहीं कर पाते, तब उनके दिलोदिमाग में हताशा व कुंठा घर कर जाती है। यही कारण है। युवावर्ग में डिप्रेशन की शिकायतें बढ़ती जा रही हैं। सकारात्मक सोच के अनुसार व्यावहारिक लक्ष्यों को निर्धारित करने से इस समस्या का समाधान संभव है। इसे भी पढ़ें : बहुत खतरनाक हैं ये 5 लक्षण, बिना देर किए जाएं साइकोलॉजिस्ट के पास इलाज से मिलेगी राहत अगर समस्या है, तो उसका समाधान भी है। डिप्रेशन लाइलाज रोग नहीं है। डिप्रेशन से ग्रस्त अनेक व्यक्तियों को डिप्रेशनरोधक दवाओं (एंटीडिप्रेसेंट मेडिसिन्स) से लाभ मिल जाता है। डिप्रेशन के इलाज में साइको-एजूकेशन का अपना विशेष महत्व है। इसके अंतर्गत रोगी और उसके परिजनों को रोग के कारणों व उसके इलाज के बारे में समझाया जाता है। इसके बाद रोगी के परिजनों के सहयोग की जरूरत पड़ती है, लेकिन इस रोग के इलाज में कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी सर्वाधिक कारगर साबित होती है। इस थेरेपी की मान्यता है कि हमारे विचार, भावनाएं और व्यवहार आपस में संबंधित हैं। इस थेरेपी के अंतर्गत विभिन्न मनोचिकित्सकीय विधियों के जरिये और काउंसलिंग के माध्यम से रोगी के दिमाग को सकरात्मक विचारों की ओर मोड़ा जाता है। इसे भी पढ़ें : तनाव से रहना है दूर तो आहार में शामिल करें फाइबर वाले ये फूड्स लक्षणों को समझें जैविक (बॉयोलॉजिकल): जैसे नींद का न आना या अत्यधिक आना, भूख न लगना, शरीर में थकान व दर्द महसूस होना। इसके अलावा कामेच्छा में कमी महसूस करना और बात-बात पर गुस्सा आना। कॉग्निटिव सिम्पटम: विचारों में नकारात्मक सोच की बदली छा जाना, स्वयं को हालात के सामने असमर्थ महसूस करना। समाज से अलग-थलग: व्यक्ति सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने से कतराता है। इसी तरह वह अपने व्यवसाय से संबंधित जिम्मेदारियों का निर्वाह करने में स्वयं को असमर्थ महसूस करता है।

इन दिनों उम्रदराज और वयस्क व्यक्तियों के अलावा युवा वर्ग भी डिप्रेशन की गिरफ्त में तेजी से आ रहा है। इसका कारण यह है कि युवकों को अपने कॅरियर में स्थापित होने के लिए कड़ी प्रतिस्पद्र्धा का सामना करना पड़ …

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ब्‍लड शुगर को नियंत्रित रखते हैं ये आयुर्वेदिक उपचार, नहीं होता कोई साइडइफेक्‍ट!

QUICK BITES धुमेह के मरीजों को खानपान का खास ध्यान रखना पड़ता है। यदि मधुमेह रोगी संतुलित खानपान लेंगे तो निश्चित तौर पर उन्हें मधुमेह कंट्रोल करने में मदद मिलेगी मधुमेह यूं तो एक सामान्‍य बीमारी है, लेकिन यह बार अगर यह हो जाए, तो इससे पीछा नहीं छूटता। आप अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर इससे बच सकते हैं। आप चाहें तो कुछ घरेलू उपाय भी आजमा सकते हैं, जिससे कि यह रोग नियं‍त्रण में रहे। मधुमेह के मरीजों को खानपान का खास ध्यान रखना पड़ता है। यदि मधुमेह रोगी संतुलित खानपान लेंगे तो निश्चित तौर पर उन्हें मधुमेह कंट्रोल करने में मदद मिलेगी। यदि आप भी मधुमेह से पीडि़त है तो आपको भूख से थोड़ा कम भोजन लेना चाहिए। इससे ग्लूकोज को उपापचित करने में आसानी होगी। इसके अलावा आप भोजन में मोटा अनाज, दाल का पानी इत्यादि लेंगे तो यह आपकी सेहत के लिए अच्छा होगा। आइए जानें मधुमेह रोगियों के लिए देशी नुस्खे कौन-कौन से है। मधुमेह का उपचार कैसे करें 1: मधुमेह रोगियों का आंकड़ा आज दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में आपको समय से पहले ही अपने खानपान पर ध्यान रखना शुरू कर देना चाहिए। खासकर उस समय जब आपके माता-पिता या परिवार के किसी सदस्य को मधुमेह की समस्या हो। 2: मधुमेह रोगी को अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए। ऐसे में में वे नींबू पानी लेंगे तो यह उनकी सेहत के लिए और भी अच्छा होगा। 3: मधुमेह रोगी को बहुत भूख लगती है और बार-बार कुछ न कुछ खाने का मन करता है। आपके साथ भी यदि ऐसा होता है तो कुछ भी खाने के बजाय आप भूख से थोड़ा कम खाएं और हल्का भोजन लेते हुए सलाह को ज्यादा खाएं। यानी आपको बार-बार भूख लगती है तो आप सलाद में खीरे को अधिक मात्रा में खाएं। 4: मधुमेह रोगी में आंखे कमजोर होने की आशंका लगातार बनी रहती है। यदि आप चाहते हैं कि मधुमेह के दौरान आपकी आंखों पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े तो आपको गाजर-पालक का रस मिलाकर पीना चाहिए। इससे आँखों की कमजोरी दूर होती है। 5: मधुमेह के रोगी को तौरी, लौकी, परमल, पालक, पपीता आदि का सेवन अधिक से अधिक मात्रा में करना चाहिए। 6: मधुमेह के दौरान शलगम के सेवन से भी रक्त में स्थित शर्करा की मात्रा कम हो जाती है। शलगम को न सिर्फ आप सलाद के जरिए बल्कि शलगम की सब्जी, परांठे आदि चीजों के रूप में भी ले सकते हैं। 7: जामुन मधुमेह रोगियों के लिए रामबाण है। मधुमेह रोगियों को जामुन को अधिक से अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए। जामुन की छाल, रस और गूदा सभी मधुमेह के दौरान बेहद फायदेमंद हैं। इसे भी पढ़ें: डायबिटीज के उपचार में फायदेमंद है आम के पत्‍ते, ऐसे करें प्रयोग 8: जामुन की गुठली को बारीक चूर्ण बनाकर रख लेना चाहिए। दिन में दो-तीन बार, तीन ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से मूत्र में शुगर की मात्रा कम होती है। यानी सिर्फ जामुन ही नहीं बल्कि जामुन की गुठली भी मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद है। 9: करेले का कड़वा रस मधुमेह रोगियों में शुगर की मात्रा कम करता है। मधुमेह के रोगी को इसका रस रोज पीना चाहिए। शोधों में भी साबित हो चुका है कि उबले करेले का पानी, मधुमेह को जल्दीए ही दूर करने की क्षमता रखता है। 10: मेंथी दानों का चूर्ण बनाकर प्रतिदिन खाली पेट दो चम्मच चूर्ण पानी के साथ लेना चाहिए। ये मधुमेह रोगियों के लिए बहुत लाभाकरी है। हालांकि ये सभी देशी नुस्खें मघुमेह रोगियों के लिए कारगर साबित होते हैं लेकिन फिर भी इनको लेने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह लेना न भूलें

QUICK BITES धुमेह के मरीजों को खानपान का खास ध्यान रखना पड़ता है। यदि मधुमेह रोगी संतुलित खानपान लेंगे तो निश्चित तौर पर उन्हें मधुमेह कंट्रोल करने में मदद मिलेगी मधुमेह यूं तो एक सामान्‍य बीमारी है, लेकिन यह बार अगर …

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आंधी भरे मौसम में बिगड़ सकता है अस्थमा मरीजों का स्वास्थ्य, ऐसे बरतें सावधानी

विश्व में लगभग 30 करोड़ लोग दमा से पीड़ित हैं। सिगरेट और सिगार के धुएं से बचें और प्रमुख एलर्जन्स से बचें। रोगी की सांस नलियों में कुछ कारणों के प्रभाव से सूजन आ जाती है।  दमा (अस्थमा) ऐसा मर्ज …

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सिगरेट छोड़ने की कोशिश करने वालों के लिए खुशखबरी!

तंबाकू उत्पाद पैकेटों पर नई विशिष्ट स्वास्थ्य चेतावनी जारी की गई है. इसके तहत प्रतीकात्मक चित्र को और अधिक कुरूप दिखाया गया है जिससे लोग तंबाकू सेवन छोड़ने के लिए प्रेरित हों. संशोधित नियम 1 सितंबर, 2018 से लागू होंगे. तंबाकू सेवन की आदत छोड़ने के लिए टोल फ्री नम्बर (1800-11-2356) तंबाकू त्याग करने की सलाह देगा तथा तरीके बताएगा. खाने के तुरंत बाद भूलकर भी नहीं करने चाहिए ये 7 काम वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण (जीएटीएस-2, 2016-17) के अनुसार 15 वर्ष तथा इससे अधिक उम्र के तंबाकू सेवन करने वाले लोगों में 61.9 प्रतिशत सिगरेट पीने वाले, 53.8 प्रतिशत बीड़ी पीने वाले तथा 46.2 प्रतिशत धुआंरहित तंबाकू का सेवन करने वाले ऐसे लोग हैं, जिन्होंने पैकेटों पर स्वास्थ्य चेतावनी को देख कर तंबाकू सेवन का त्याग करने के बारे में सोचा है. ताकत और तंदुरुस्ती का खजाना है ये फल, रोज खाएं यह अधिसूचना तथा चेतावनी का प्रिंट किया जाने वाला संस्करण स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है. क्षेत्रीय भाषाओं में यह चेतावनी मंत्रालय की वेबसाइट पर जल्द ही उपलब्ध होगी. 1 सितंबर, 2018 से नई विशिष्ट स्वास्थ्य चेतावनी लागू होगी.

तंबाकू उत्पाद पैकेटों पर नई विशिष्ट स्वास्थ्य चेतावनी जारी की गई है. इसके तहत प्रतीकात्मक चित्र को और अधिक कुरूप दिखाया गया है जिससे लोग तंबाकू सेवन छोड़ने के लिए प्रेरित हों. संशोधित नियम 1 सितंबर, 2018 से लागू होंगे. …

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गर्मी में नकसीर फूटने पर करें ये आसान उपाय

चिलचिलाती धूप और गर्मी मे कुछ लोगों को नाक से खून बहने की शिकायत होती है. नाक से खून आने को नकसीर कहते हैं. गर्मी में अकसर नकसीर की परेशानी होती है. कुछ लोगों को गर्म चीजे खाने से भी नकसीर आती है. बार-बार नाक से खून आना या नकसीर बहना ठीक नहीं होता. नाक के अंदर मौजूद सतह की खून की वाहिनियां फटने के कारण नकसीर की समस्या होती है. हालांकि यह एक आम समस्या है. लेकिन यदि बार-बार नकसीर का होना सेहत के लिहाज से ठीक नहीं है. इसका उपचार आवश्यक है. अधिक गर्मी में रहना, ज्यादा तेज मिर्च मसालों का सेवन करना, नाक पर चोट लगना और जुकाम बिगड़ जाने से नकसीर की समस्या होती है. इसके अलावा दिमाग में अचानक से चोट लग जाने की वजह से भी नकसीर फूट जाती है. ऐसा नहीं है कि नकसीर से पहले कोई उपाय नहीं किया जा सकता है नाक से खून निकलने से पहले ही शरीर में कुछ लक्षण दिखाई देने लगते हैं जो नकसीर फूटने का संकेत हो सकते हैं. इसमें चक्कर आना, सिर का भारी लगना और दिमाग का घूमना शामिल है. नाक से खून या नकसीर रोकने के घरेलू उपाय... 1. ठंडा पानी सिर पर धार बनाकर डालने से नाक से खून बहना बंद हो जाता है. 2. नकसीर आने पर नाक की बजाय मुंह से सांस लेना चाहिए. 3. प्याज को काटकर नाक के पास रखने और सूंघेने से नाक से खून आना बंद हो जाता है. 4. नाक से बहने पर सिर को आगे की ओर झुकाना चाहिए. 5. सुहागे को पानी में घोलकर नथुनों पर लगाने से नकसीर बंद हो जाती है. 6. बेल के पत्तों का रस पानी में मिलाकर पीने से फायदा होता है. 7. गर्मियों के मौसम में सेब के मुरब्बे में इलायची डालकर खाने में नकसीर बंद हो जाती है. 8. बेल के पत्तों को पानी में पकाकर उसमें मिश्री या बताशा मिलाकर पीने से नकसीर बंद हो जाती है. 9. ज्यादा तेज धूप में घूमने की वजह से नाक से खून बह रहा हो तो सिर पर ठंडा पानी डालने से नाक से खून बहना बंद हो जाता है. 10. नकसीर आने पर कपड़े में बर्फ लपेटकर रोगी की नाक पर रखने से भी नकसीर रूक जाती है. 11. एक बड़ा चम्मच मुलतानी मिट्टी रात को आधा लीटर पानी में भिगोकर रख दें. सुबह को उस पानी को निथारकर पीने से नाक से खून आने की परेशानी से फायदा मिलेगा. 12. लगभग 15-20 ग्राम गुलकंद को सुबह-शाम दूध के साथ खाने से नकसीर का पुराने से पुराना मर्ज भी ठीक हो जाता है.

चिलचिलाती धूप और गर्मी मे कुछ लोगों को नाक से खून बहने की शिकायत होती है. नाक से खून आने को नकसीर कहते हैं. गर्मी में अकसर नकसीर की परेशानी होती है. कुछ लोगों को गर्म चीजे खाने से भी …

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आ गया है घमौरियों का मौसम, जान लें घरेलू उपाय

गर्मियों में अक्सर लोगों को घमौरियों की जलन और खुजली सताती है. ऐसे में हम कई तरह के पाउडर्स का इस्तेमाल करते हैं पर कई बार इनका कोई असर नहीं होता. अब आजमाएं ये घरेलू नुस्खे और पाएं इस तकलीफ से छुटकारा.. 1. हल्दी: हल्दी में एंटीबायोटिक गुण होते हैं. नमक, हल्दी और मेथी को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें. नहाने से पहले इस उबटन को पूरे शरीर पर साबुन की तरह लगाएं और 5 मिनट बाद नहा लें. यह हफ्ते में एक बार इस्तेमाल करें. इससे घमौरियों की परेशानी से आराम मिलेगा. 2. बर्फ के टुकड़े: प्लास्टिक बैग या कपड़े में बर्फ के टुकड़े रखकर इन्हें घमौरियों पर लगाएं. ध्यान रहे बर्फ को सीधे त्वचा पर न लगाएं. इसे किसी कपड़े या प्लास्टिक में रखकर ही इस्तेमाल करें. 5 से 10 मिनट तक इसे लगाए रखें. 4 से 6 घंटे के अंतर में इसे दोबारा एप्लाई किया जा सकता है. 'जब मैंने अपने पति के फोन में उनकी एक्स गर्लफ्रेंड की तस्वीर देखी' 3. एलोवेरा: एलोवेरा को हीलिंग पावर के लिए जाना जाता है. बहुत से लोग इसे स्किन प्रोब्लम्स के लिए यूज करते हैं. एलोवेरा के रस या पल्प यानी गूदे को घमौरियों पर लगाने से जल्द आराम मिलता हैं. 4. चंदन: चंदन की लकड़ी में एंटी इंफ्ल‍िमेंट्री और ठंडक पहुंचाने वाले गुण होते हैं. चंदन पाउडर और धनिया पाउडर को बराबर मात्रा मिलाकर इसमें गुलाब जल डालकर गाढ़ा लेप तैयार करें. इस लेप को शरीर पर लगाए और कुछ देर के लिए छोड़ दें. फिर इसे ठंडे पानी से धो लें. इससे घमौरियों की जलन दूर होगी और त्वचा को ताजगी मिलेगी. ऐसे लड़कों को ज्यादा समय तक बर्दाश्त नहीं करतीं लड़कियां 5. मुल्तानी मिट्टी: गर्मियों में होने वाली घमौरियों के उपचार में मुल्तानी मिट्टी बहुत असरदार है. मुल्तानी मिट्टी में गुलाब जल मिलाकर इस लेप को लगाने से घमौरियों में जल्द राहत मिलेगी.

गर्मियों में अक्सर लोगों को घमौरियों की जलन और खुजली सताती है. ऐसे में हम कई तरह के पाउडर्स का इस्तेमाल करते हैं पर कई बार इनका कोई असर नहीं होता. अब आजमाएं ये घरेलू नुस्खे और पाएं इस तकलीफ …

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ब्रेस्ट कैंसर: 70 प्रतिशत महिलाओं को कीमोथेरेपी की जरूरत नहीं

जो महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती स्टेज से गुजर रही हैं अब उन्हें कीमोथेरेपी कराने की जरूरत नहीं होगी. डॉक्टर्स की एक नई खोज के मुताबिक पीड़ित बिना कीमोथेरेपी के भी कैंसर से लड़ सकते हैं. कीमोथेरेपी क्या है? दवाओं के एक मिश्रण को रक्त वाहिनियों के जरिए शरीर के विभिन्न भागों में पहुंचाया जाता है. ये दवाएं कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकती है. क्योंकि कैंसर की कोशिकाएं 8 प्रकार की हो सकती हैं इसलिए 8 प्रकार की दवाइयों के मिश्रण को शरीर में इंजेक्शन के माध्यम से छोड़ा जाता है. इसके कई साइड इफेक्ट भी होते हैं. कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट- - थकान - उल्टी - बालों का झड़ना - मुंह में कड़वाहट - त्वचा में रूखापन - डायरिया या कब्ज - इंफेक्शन का खतरा कैसर के इतिहास में सबसे बड़ी खोज? न्‍यू इंग्‍लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित इस रिसर्च को नेशनल कैंसर इंस्‍टीट्यूट ने फंड किया था. शोध के परिणामों की चर्चा शिकागो के अमेरिकन सोसायटी ऑफ क्लिनकल ऑन्‍कोलॉजी में की गई. इसे कैंसर की अब तक की सबसे बड़ी खोजों में से एक बताया जा रहा है. कीमोथेरेपी की जरूरत नहीं- न्यूयॉर्क के मोन्टेफायर मेडिकल सेंटर के डॉक्टर और स्टडी के प्रमुख डॉक्‍टर जोसफ स्‍पारनो ने कहा, ‘यह अद्भुत है. शुरुआती ब्रेस्ट कैंसर से गुजर रही महिलाओं को सर्जरी और हार्मोन थेरेपी के अलावा और कुछ कराने की जरूरत नहीं है.' जीन टेस्टिंग की जरूरत- बोस्टन में डाना फार्बर कैंसर इंस्टीट्यूट के डॉक्टर हरोल्ड बर्सटेन ने कहा कि, 'ज्यादातर महिलाओं को लगता है कि अगर वे कीमोथेरेपी नहीं कराएंगी तो उनकी मृत्यु हो जाएगी. जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है.' गौरतलब है कि 10,273 रोगियों को एक टेस्ट Oncotype DX दिया गया. जिससे व्यक्ति के बायोप्सी सैम्पल के आधार पर जीन्स की ऐक्टिविटी को ट्रैक किया जा सके और कोशिकाओं पर हार्मोन थेरेपी के प्रभाव का पता लगाया जा सके. रिसर्च में पाया गया कि अगर जीन्स टेस्ट के आधार पर सर्जरी और हार्मोन थेरेपी की जाय तो  पीड़ित को कीमोथेरेपी की जरूरत नहीं होगी.

जो महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती स्टेज से गुजर रही हैं अब उन्हें कीमोथेरेपी कराने की जरूरत नहीं होगी. डॉक्टर्स की एक नई खोज के मुताबिक पीड़ित बिना कीमोथेरेपी के भी कैंसर से लड़ सकते हैं. कीमोथेरेपी क्या है? दवाओं …

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नहीं रुक रहा बालों का झड़ना तो आजमाएं ये उपाय

सिर पर बाल कम हों तो लोगों का आत्मविश्वास डोल सा जाता है. किसी पार्टी में जाना हो या फिर किसी मीटिंग में, ऐसा व्यक्ति सार्वजनिक जगहों पर जाने से कतराने सा लगता है. सिर पर बालों के कम होने के पीछे कई कारण होते हैं. जैसे-डैंड्रफ, गलत खान-पान, गलत रहन-सहन, बालों में मशीनों का बार-बार प्रयोग करना, तनाव इत्यादि. सबसे पहले बात करते हैं डैंड्रफ की. डैंड्रफ दो प्रकार के होते हैं- पहला ड्राई डैंड्रफ और दूसरा वेट डैंड्रफ. ड्राई डैंड्रफ आमतौर पर सिर में हाथ लगाने से पता चलता है. वहीं वेट डैंड्रफ आम तौर दिखाई नहीं देते हैं. आइए जानते हैं कैसे आप डैंड्रफ की परेशानी दूर कर सकते हैं. कैसे करें डैंड्रफ को दूर- - चिरौंजी, मुलेठी, कूठ, उड़द और सेंधा नमक मिलाकर पीस लें. सुबह पाउडर में शहद मिलाकर सिर पर लगा लें और आधे घंटे के बाद इसे धो लें. - नीलकमल, नागकेसर, मुलेठी, काले तिल और आंवला मिलाकर पीस लें और रोज पानी में मिलाकर सिर पर लगाएं, आधे घंटे के इस बाद धो लें. इस उपाय से भी डैंड्रफ की समस्या समाप्त हो जाएगी. कैसे करें गंजेपन की समस्या को दूर- - हाथी दांत के भस्म और रसौत को मिला लें और उसमें बकरी का दूध मिलाकर बालों में लगा लें. - भांगरा, नीलकमल, त्रिफला, अनंतमूल और आम की गुठली को पीस लें और उसमें 1 लीटर तिल का तेल और 4 लीटर पानी मिला दें. इसके बाद रोज रात को सोने से पहले इससे बालों में मालिश करें.   - वटांकुर और भूतकेशी दोनों को पीस लें और उसमें गिलोय का रस 4 लीटर और तिल का तेल 1 लीटर मिलाकर इसे धीमी आंच पर लगभग 1 घंटे तक पकाएं. इसके बाद उसे छानकर उससे रोज रात में मालिश करें. - लाल चंदन, मुलेठी, मूर्वा की जड़, त्रिफला, नीलकमल, प्रियंगु और वटांकुर मिलाकर पीस लें और उसमें 4 लीटर भृगराज का स्वरस  और 1 लीटर तिल का तेल में डालकर पका लें और रोज उससे बालों में मालिश करें. इससे आपके बाल लंबे, काले और मजबूत हो जाएंगे.

सिर पर बाल कम हों तो लोगों का आत्मविश्वास डोल सा जाता है. किसी पार्टी में जाना हो या फिर किसी मीटिंग में, ऐसा व्यक्ति सार्वजनिक जगहों पर जाने से कतराने सा लगता है. सिर पर बालों के कम होने …

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