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बेहद नाजुक हालत में इरफ़ान खान गंभीर बीमारी से ग्रस्त

कुछ महीनों पहले आपने बॉलीवुड अभिनेता इरफ़ान खान की बिगडती तबीयत के बारे में तो पढ़ा ही होगा| अपने खराब तबीयत को लेकर बहुत परेशान थे और पूरे बॉलीवुड ने उनके सही होने की दुआ की थी| इरफान इस समय लंदन में है और उनका सही ढंग से इलाज चल रहा है| इरफान खान पिछले काफी दिनों से बीमार चल रहे हैं| उन्हें एक गंभीर बीमारी हो गई थी जिसके ठीक होने की संभावना बहुत कम थी लेकिन अब वे तेजी से ठीक हो रहे हैं| इसकी जानकारी उनके साथ काम कर चुके डायरेक्टर सुजीत सरकार ने दी है|आपको बता दें कि सुजीत सरकार अपनी अगली फिल्म उधम सिंह पर काम सिंह पर काम कर रहे हैं| इस फिल्म में उन्होंने इरफान खान को अप्रोच और इरफान खान इसके लिए तैयार भी हो गए हैं|दोस्तों इरफान खान अपनी अलग ही एक्टिंग के लिए जाने जाते हैं| आपको एहसान खान की एक्टिंग और फिल्में कैसी लगती हैं कमेंट करके जरूर बताइए|

कुछ महीनों पहले आपने बॉलीवुड अभिनेता इरफ़ान खान की बिगडती तबीयत के बारे में तो पढ़ा ही होगा| अपने खराब तबीयत को लेकर बहुत परेशान थे और पूरे बॉलीवुड ने उनके सही होने की दुआ की थी| इरफान इस समय …

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शुजात बुखारी हत्याकांड में चौथा संदिग्ध दिखा, सबके सामने से पिस्टल लेकर भागा

जम्मू-कश्मीर में पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या में एक बड़ा खुलासा हुआ है. अभी तक इस मामले में तीन आतंकियों का नाम आ रहा था, लेकिन अब चौथा संदिग्ध भी सामने आया है. जिस जगह पर शुजात बुखारी को गोली …

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आनिंदो मजूमदार से रहा है दिल्‍ली सरकार का छत्‍तीस का आंकड़ा, अब आगे होगा क्‍या

दिल्‍ली में आम आदमी पार्टी की सरकार जिस दिन से बनी है उस दिन से आज तक कुछ नहीं बदला है। पहले भी आप की अनशन और विरोध की राजनीति होती थी और आज भी यही सिलसिला बादस्‍तूर जारी है। …

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लाल फीताशाही को खत्‍म कर सकता है सरकार का नया और क्रांतिकारी फैसला

अब आप बिना आइएएस के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षा पास किए भी वरिष्ठ प्रशासनिक पदों पर नियुक्ति पा सकते हैं। शर्त बस यह है कि आपके पास निजी क्षेत्र में काम करने की विशेषज्ञता हो और उम्र 40 साल …

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CIA ने VHP-बजरंग दल को बताया उग्रवादी संगठन, RSS को राष्ट्रवादी

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल को धार्मिक उग्रवादी संगठन तथा आरएसएस को राष्ट्रवादी संगठन बताया है. सीआईए द्वारा जारी वर्ल्ड फैक्ट बुक में विहिप और बजरंग को 'राजनीतिक दवाब समूह' की श्रेणी में शामिल किया गया है. सीआईए की फैक्टबुक में विहिप और बजरंग दल के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उल्लेख एक 'राष्ट्रवादी संगठन' के तौर पर किया गया है. इस सूची में कश्मीर के संगठन ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को एक अलगाववादी समूह बताया गया है. इसी तरह जमीयत उलेमा-ए-हिंद को एक 'धार्मिक संगठन' बताया है. वर्ल्ड फैक्टबुक अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का सालाना पब्लिकेशन होता है. इसमें दुनिया के 267 देशों-क्षेत्रों के इतिहास, लोगों, सरकार, अर्थव्यवस्था, ऊर्जा, भूगोल, संचार, यातायात, सेना और कई अन्य मसलों पर जानकारी दी जाती है. खबरों की मानें तो दोनों ही संगठन इस कदम से नाखुश हैं और इस टैग को हटाने के लिए कानूनी रास्तों को अपनाने का विचार कर रहे हैं. 'द प्रिंट' से बात करते हुए बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक मनोज वर्मा ने कहा कि 'यह कुछ दिनों पहले हमारी जानकारी में आया था. हम विशेषज्ञों से परामर्श कर रहे हैं और इसका सामना करने के लिए कानूनी सलाह चाहते हैं.' ‘राजनीतिक दबाव समूह और नेता’ श्रेणी के तहत दोनों संगठनों को उग्रवादी धार्मिक संगठनों के रूप में नामित किया गया है.

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल को धार्मिक उग्रवादी संगठन तथा आरएसएस को राष्ट्रवादी संगठन बताया है. सीआईए द्वारा जारी वर्ल्ड फैक्ट बुक में विहिप और बजरंग को ‘राजनीतिक दवाब समूह’ की श्रेणी में …

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AAP का नया दांव, LG दफ्तर में धरने के बाद अब PM आवास का घेराव

अफ्रीका से गधे चोरी कर रहा है चीन, ये है खास वजह

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के अनशन का आज पांचवा दिन है. केजरीवाल के साथ डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, मंत्री सत्येंद्र जैन और गोपाल राय उपराज्यपाल के दफ्तर में धरने पर बैठे हैं. मंत्रियों के अनशन की वजह से एलजी …

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मॉनसून में आम हो जाती हैं ये 5 बीमारियां, बचाव के लिए अभी से रखें ये सावधानी

बारिश के मौसम में फंगल इंफेक्शन की समस्या सबसे आम समस्या है। वायरल बुखार संक्रामक रोग है, जो इस मौसम में तेजी से फैलता है। कंजक्टिवाइटिस आंखों की बीमारी है, जिससे बचाव जरूरी है। मॉनसून के आने यानि बारिश होने …

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अकेलेपन से जल्दी मौत होने का खतरा हो जाता है दोगुना

एक नए शोध में पता चला है कि अकेलेपन का अहसास अकेले रहने से अधिक खतरनाक है और जो लोग अकेलापन महसूस करते हैं, उनमें खराब मानसिक स्वास्थ्य, दिल संबंधी बीमारियों के होने की संभावना ज्यादा होती है और वे अकेले रहने वालों की तुलना में मरते भी जल्दी हैं। निष्कर्षों से पता चलता है कि अकेलापन महिलाओं में मृत्यु के दोगुने जोखिम से जुड़ा है और पुरुषों में भी इसका खतरा दोगुना होता है। अकेला महसूस करने वाले पुरुषों और महिलाओं में अकेलापन नहीं महसूस करने वालों की तुलना में तीन गुना चिंता और अवसाद के लक्षण होने की संभावना होती है और इनके जीवन का गुणवत्ता स्तर काफी कम होता है। कोपेनहेगन विश्वविद्यालय अस्पताल के डॉक्टरेट की छात्र एनी विनगार्ड क्रिस्टेनसेन ने कहा, “अकेलापन दिल संबंधी बीमारियों वाले मरीजों व अकेले रहने वाले पुरुषों व महिलाओं में समयपूर्व मौत, खराब मानसिक स्वास्थ्य व कम गुणवत्ता वाले जीवन की भविष्यवाणी करता है।” इस शोध को वार्षिक नर्सिंग कांग्रेस यूरोहर्टकेयर 2018 में प्रस्तुत किया गया। इस शोध में इस बात का पता किया गया कि क्या खराब सामाजिक नेटवर्क 13,463 मरीजों के बदतर नतीजों से जुड़ा है। इन मरीजों को इस्कैमिक दिल का रोग, एरिथिमिया, हर्ट फेल्योर व हर्ट वाल्व रोग आदि हैं। इसमें पाया गया कि उनके दिल संबंधी बीमारियों के बावजूद उनमें अकेलेपन का अहसास उनके खराब नतीजों से जुड़ा था।  खुद को जिम्‍मेदार न ठहरायें कई बार लोग अपने एकाकीपन के लिए खुद को ही जिम्‍मेदार ठहराते हैं। वे मानते हैं कि दूसरों के लिए उनका कोई महत्‍व नहीं। अपने अकेलेपन के लिए वे सारा दोष खुद पर ही मढ़ देते हैं। दरअसल, वे अपने अकेलेपन का कारण जानना चाहते हैं और क्‍योंकि वे किसी दूसरे को दोष नहीं दे सकते, इसलिए वे खुद को जिम्‍मेदार मानने लगते हैं। इससे उन्‍हें राहत मिलने का अहसास होताहै। लेकिन, इससे समस्‍या खत्‍म नहीं होती, बल्कि और बढ़ती ही है। आपको चाहिये कि आप परिस्थितियों के लिए किसी पर दोषारोपण करने के बजाय उनका सामना करना सीखें।

एक नए शोध में पता चला है कि अकेलेपन का अहसास अकेले रहने से अधिक खतरनाक है और जो लोग अकेलापन महसूस करते हैं, उनमें खराब मानसिक स्वास्थ्य, दिल संबंधी बीमारियों के होने की संभावना ज्यादा होती है और वे …

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माइग्रेन के दर्द में इन 2 चीजों का करें सेवन, तुरंत दूर होगा दर्द

माइग्रेन की समस्या से बचने के लिए ब्रोकली का सेवन करें। माइग्रेन में दर्द निवारक दवाएं सेहत के लिए नुकसानदेह है। दर्द से बचने के लिए कैफीन के सेवन से बचें। आजकल लोगों में माइग्रेन की समस्या बढ़ती जा रही है जिसका मुख्य कारण जीवनशैली में आने वाला बदलाव है। लोगों की खान-पान व रहन सहन की आदतों में बहुत बदलाव आए हैं जो कि सेहत से जुड़ी समस्याओं को पैदा करते हैं। माइग्रेन एक मस्तिष्क विकार माना जाता है। आमतौर पर लोग माइग्रेन की समस्या के दौरान अपने आहार पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं जो कि दर्द को और भी बढ़ा सकते हैं। माइग्रेन की समस्या होने पर ज्यादातर लोग दवाओं की मदद लेकर इससे निजात पाना चाहते हैं। लेकिन वे इस बात से अनजान होते हैं कि ये दवाएं स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। जानें माइग्रेन में किस तरह के आहार का सेवन करना चाहिए। यूं तो हरी पत्‍तेदार सब्‍जियां सेहत के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है। लेकिन माइग्रेन के दौरान इनका सेवन जरूर करना चाहिए क्योंकि इनमें मैग्निशियम अधिक होता है जिससे माइग्रेन के दर्द जल्द ठीक हो जाता है। इसके अलावा साबुत अनाज, समुद्री जीव और गेहूं आदि में बहुत मैग्निशियम होता है। माइग्रेन से बचने के लिए मछली का सेवन भी फायदेमंद होता है। इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड और विटामिन पाया जाता है जो कि माइग्रेन का दर्द से जल्द छुटकारा दिलाती है। अगर आप शाकाहारी हैं तो अलसी के बीज का सेवन कर सकते हैं। इसमें भी ओमेगा 3 फैटी एसिड और फाइबर पाया जाता है। इसे भी पढ़ें : आयुर्वेदिक तरीके से करें माइग्रेन का इलाज वसा रहित दूध या उससे बने प्रोडक्‍ट्स माइग्रेन को ठीक कर सकते हैं। इसमें विटामिन बी होता है जिसे राइबोफ्लेविन बोलते हैं और यह कोशिका को ऊर्जा देती है। यदि सिर में कोशिका को ऊर्जा नहीं मिलेगी तो माइग्रेन दर्द होना शुरु हो जाएगा। कैल्शियम व मैग्निशियम युक्त आहार को अगर साथ में लिया जाए तो इससे माइग्रेन की समस्या से छुटाकारा पाया जा सकता है। ब्रोकली में मैग्‍निशीयम पाया जाता है तो आप ब्रोकली को सब्जी या सूप आदि के साथ ले सकते हैं। ये खाने में अच्छी लगती है। इसे भी पढ़ें : इसलिए 50 की उम्र के बाद तेजी से बढ़ता है माइग्रेन का खतरा बाजरा में फाइबर, एंटीऑक्‍सीडेंट और मिनरल पाये जाते हैं। तो ऐसे में माइग्रेन का दर्द होने पर साबुत अनाज से बने भोजन का जरुर सेवन करें। अदरक आयुर्वेद के अनुसार अदरक आपके सिर दर्द को ठीक कर सकता है। भोजन बनाते वक्‍त उसमें थोड़ा सा अदरक मिला दें और फिर खाएं। खाने के साथ नियमित रुप से लहसुन की दो कलियों का सेवन जरूर करें। यह आपको माइग्रेन की समस्या से बचाता है। जिन चीजों में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है जैसे चिकन, मछली, बीन्स,मटर, दूध, चीज, नट्स और पीनट बटर आदि। इन चीजों में प्रोटीन के साथ विटामिन बी6 भी पाया जाता है। माइग्रेन के दौरान कॉफी या चाय की जगह हर्बल टी पीना काफी लाभकारी है। इसमें मौजूद नैचुरल तत्व जैसे अदरक, तुलसी, कैमोमाइल और पुदीना चिंता से निजात दिलाने और मांसपेशियों को तनावरहित करने में कारगर है। बढ़ती उम्र में माइग्रेन जब व्यक्ति 50 और 60 साल के बीच में होता है तो उसे अपने दैनिक जीवन और दिनचर्या में काफी बदलाव करना पड़ता है। अचानक होने वाले इन बदलावों को व्यक्ति जल्दी से स्वीकार नहीं कर पाता है। जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण इसे इस बदलाव के अनुकूल उसे ढालने में मदद करता है।जिन लोगों की पहचान उनकी नौकरी या व्यवसाय से जुड़ी रहती है वैसे लोगों को सेवानिवृति के बाद मानसिक तौर पर अस्वस्थ्य होने की संभावना अधिक रहती है। जिन लोगों में बढती उम्र का एहसास कुछ ज्यादा होता है और वह देखने में भी बुढ़े लगने लगते है उनमें स्वंय को लाचार और असहाय समझने जैसी हीन भावना आ जाती है। जो इस रोग का कारण बनते हैं। इससे होने वाले नुकसान मानसिक रोग होने के कई नुकसान हो सकते हैं। उम्र बढने के साथ अचानक मरने का विचार मन में आने लगना। अपने जीवन में होने वाले बदलावों के प्रति असंतुष्ठि का भाव और कुछ अधुरे सपने और दमित इच्छाओं को पानेे की अपेक्षाएं। अपने परिवार में पत्नी, बच्चे या किसी अन्य इष्ट की मौत हो जाने या किसी सहकर्मी की मौत से भी व्यक्ति व्यथित हो जाता है। व्यक्ति को लगता है कि वह दूसरों पर बोझ बन रहा है और अब उसकी किसी को जरूरत नहीं है। परिवार में बच्चों द्वारा अपने माता पिता को घर में अकेला छोड़ कर खुद अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहने की बढ़ती प्रवृति के कारण भी बूढे लोगों में एक तरह से असुरक्षा का भाव पनपने लगता है। वह भावनात्मक रूप से काफी संवेदनशील हो जाता है। जिसके चलते व्यक्ति हार्ट अटैक, डिप्रेशन और बीपी हाई व लो जैसे रोगों से घिरने लगता है।

माइग्रेन की समस्या से बचने के लिए ब्रोकली का सेवन करें। माइग्रेन में दर्द निवारक दवाएं सेहत के लिए नुकसानदेह है। दर्द से बचने के लिए कैफीन के सेवन से बचें। आजकल लोगों में माइग्रेन की समस्या बढ़ती जा रही …

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सिर ही नहीं पेट में भी होता है माइग्रेन का दर्द, जानिए एब्डॉमिनल माइग्रेन के लक्षण और कारण

एब्डॉमिनल माइग्रेन की समस्या से बचने के लिए ब्रोकली का सेवन करें। माइग्रेन में दर्द निवारक दवाएं सेहत के लिए नुकसानदेह है। दर्द से बचने के लिए कैफीन के सेवन से बचें। आजकल लोगों में माइग्रेन की समस्या बढ़ती जा रही है जिसका मुख्य कारण जीवनशैली में आने वाला बदलाव है। लोगों की खान-पान व रहन सहन की आदतों में बहुत बदलाव आए हैं जो कि सेहत से जुड़ी समस्याओं को पैदा करते हैं। माइग्रेन एक मस्तिष्क विकार माना जाता है। आमतौर पर लोग माइग्रेन की समस्या के दौरान अपने आहार पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं जो कि दर्द को और भी बढ़ा सकते हैं। माइग्रेन की समस्या होने पर ज्यादातर लोग दवाओं की मदद लेकर इससे निजात पाना चाहते हैं। लेकिन वे इस बात से अनजान होते हैं कि ये दवाएं स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। जानें माइग्रेन में किस तरह के आहार का सेवन करना चाहिए। यूं तो हरी पत्‍तेदार सब्‍जियां सेहत के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है। लेकिन माइग्रेन के दौरान इनका सेवन जरूर करना चाहिए क्योंकि इनमें मैग्निशियम अधिक होता है जिससे माइग्रेन के दर्द जल्द ठीक हो जाता है। इसके अलावा साबुत अनाज, समुद्री जीव और गेहूं आदि में बहुत मैग्निशियम होता है। माइग्रेन से बचने के लिए मछली का सेवन भी फायदेमंद होता है। इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड और विटामिन पाया जाता है जो कि माइग्रेन का दर्द से जल्द छुटकारा दिलाती है। अगर आप शाकाहारी हैं तो अलसी के बीज का सेवन कर सकते हैं। इसमें भी ओमेगा 3 फैटी एसिड और फाइबर पाया जाता है। इसे भी पढ़ें : आयुर्वेदिक तरीके से करें माइग्रेन का इलाज वसा रहित दूध या उससे बने प्रोडक्‍ट्स माइग्रेन को ठीक कर सकते हैं। इसमें विटामिन बी होता है जिसे राइबोफ्लेविन बोलते हैं और यह कोशिका को ऊर्जा देती है। यदि सिर में कोशिका को ऊर्जा नहीं मिलेगी तो माइग्रेन दर्द होना शुरु हो जाएगा। कैल्शियम व मैग्निशियम युक्त आहार को अगर साथ में लिया जाए तो इससे माइग्रेन की समस्या से छुटाकारा पाया जा सकता है। ब्रोकली में मैग्‍निशीयम पाया जाता है तो आप ब्रोकली को सब्जी या सूप आदि के साथ ले सकते हैं। ये खाने में अच्छी लगती है। इसे भी पढ़ें : इसलिए 50 की उम्र के बाद तेजी से बढ़ता है माइग्रेन का खतरा बाजरा में फाइबर, एंटीऑक्‍सीडेंट और मिनरल पाये जाते हैं। तो ऐसे में माइग्रेन का दर्द होने पर साबुत अनाज से बने भोजन का जरुर सेवन करें। अदरक आयुर्वेद के अनुसार अदरक आपके सिर दर्द को ठीक कर सकता है। भोजन बनाते वक्‍त उसमें थोड़ा सा अदरक मिला दें और फिर खाएं। खाने के साथ नियमित रुप से लहसुन की दो कलियों का सेवन जरूर करें। यह आपको माइग्रेन की समस्या से बचाता है। जिन चीजों में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है जैसे चिकन, मछली, बीन्स,मटर, दूध, चीज, नट्स और पीनट बटर आदि। इन चीजों में प्रोटीन के साथ विटामिन बी6 भी पाया जाता है। माइग्रेन के दौरान कॉफी या चाय की जगह हर्बल टी पीना काफी लाभकारी है। इसमें मौजूद नैचुरल तत्व जैसे अदरक, तुलसी, कैमोमाइल और पुदीना चिंता से निजात दिलाने और मांसपेशियों को तनावरहित करने में कारगर है। बढ़ती उम्र में माइग्रेन जब व्यक्ति 50 और 60 साल के बीच में होता है तो उसे अपने दैनिक जीवन और दिनचर्या में काफी बदलाव करना पड़ता है। अचानक होने वाले इन बदलावों को व्यक्ति जल्दी से स्वीकार नहीं कर पाता है। जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण इसे इस बदलाव के अनुकूल उसे ढालने में मदद करता है।जिन लोगों की पहचान उनकी नौकरी या व्यवसाय से जुड़ी रहती है वैसे लोगों को सेवानिवृति के बाद मानसिक तौर पर अस्वस्थ्य होने की संभावना अधिक रहती है। जिन लोगों में बढती उम्र का एहसास कुछ ज्यादा होता है और वह देखने में भी बुढ़े लगने लगते है उनमें स्वंय को लाचार और असहाय समझने जैसी हीन भावना आ जाती है। जो इस रोग का कारण बनते हैं। इससे होने वाले नुकसान मानसिक रोग होने के कई नुकसान हो सकते हैं। उम्र बढने के साथ अचानक मरने का विचार मन में आने लगना। अपने जीवन में होने वाले बदलावों के प्रति असंतुष्ठि का भाव और कुछ अधुरे सपने और दमित इच्छाओं को पानेे की अपेक्षाएं। अपने परिवार में पत्नी, बच्चे या किसी अन्य इष्ट की मौत हो जाने या किसी सहकर्मी की मौत से भी व्यक्ति व्यथित हो जाता है। व्यक्ति को लगता है कि वह दूसरों पर बोझ बन रहा है और अब उसकी किसी को जरूरत नहीं है। परिवार में बच्चों द्वारा अपने माता पिता को घर में अकेला छोड़ कर खुद अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहने की बढ़ती प्रवृति के कारण भी बूढे लोगों में एक तरह से असुरक्षा का भाव पनपने लगता है। वह भावनात्मक रूप से काफी संवेदनशील हो जाता है। जिसके चलते व्यक्ति हार्ट अटैक, डिप्रेशन और बीपी हाई व लो जैसे रोगों से घिरने लगता है।माइग्रेन आमतौर पर बच्चों को होता है। इसके सही कारणों का पता नहीं लग पाया है। सबसे ज्यादा मामले लड़कियों में पाए गए हैं। माइग्रेन का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में सिर दर्द की तस्वीर आ जाती है। मगर क्या आपको पता है कि माइग्रेन के कारण आपको पेट दर्द की समस्या भी हो सकती है। जी हां! माइग्रेन सिर्फ सिर में ही नहीं, बल्कि पेट में भी हो सकता है। पेट में होने वाले माइग्रेन को एब्डॉमिनल माइग्रेन कहते हैं और इसकी वजह से आपको तेज पेट दर्द, पेट में मरोड़, थकान और उल्टी हो सकती है। इस तरह का माइग्रेन ज्यादातर अनुवांशिक होता है। किनको होता है खतरा एब्डॉमिनल माइग्रेन यानि पेट का माइग्रेन आमतौर पर अनुवांशिक होता है और छोटे बच्चों को होता है। इसका सबसे ज्यादा खतरा उन बच्चों को होता है जिनके माता-पिता पहले से माइग्रेन के शिकार हैं। बच्चों में भी इस तरह के माइग्रेन के मामले सबसे ज्यादा लड़कियों में देखे गए हैं। जिन बच्चों को बचपन में एब्डॉमिनल माइग्रेन की शिकायत होती है, बड़े होकर उन्हें सिर का माइग्रेन होने की संभावना भी बहुत ज्यादा होती है। इसे भी पढ़ें:- पर्याप्त पानी नहीं पीते हैं, तो हो सकती है माइग्रेन की समस्या, जानें क्या हैं इसके लक्षण क्या हैं एब्डॉमिनल माइग्रेन का कारण एब्डॉमिनल माइग्रेन के सही-सही कारण का अब तक पता नहीं लगा है मगर डॉक्टर्स मानते हैं कि शरीर में बनने वाले दो कंपाउंड हिस्टामाइन और सेरोटोनिन इस तरह के दर्द के जिम्मेदार होते हैं। शरीर में ये दोनों ही कंपाउंड अत्यधिक चिंता करने और अवसाद के कारण बनते हैं। चाइनीज फूड्स और इंस्टैंट नूडल्स में इस्तेमाल होने वाला मोनोसोडियम ग्लूटामेट या एमएसजी, प्रोसेस्ड मीट और चॉकलेट के ज्यादा सेवन से भी शरीर में ये कंपाउंड बनते हैं। कई बार ज्यादा मात्रा में हवा निगल लेने के कारण भी एब्डॉमिनल माइग्रेन की समस्या हो सकती है। क्या हैं एब्डॉमिनल माइग्रेन के लक्षण आमतौर पर एब्डॉमिनल माइग्रेन का तेज पेट के बिल्कुल बीच में या नाभि के पास होता है। इसके अलावा इस रोग में ये लक्षण दिख सकते हैं- पेट में तेज दर्द की समस्या पेट का रंग पीला दिखाई देना दिनभर थकान और सुस्ती भूख कम लगना और खाने-पीने का मन न करना आंखों के नीचे काले घेरे आना आमतौर पर एब्डॉमिनल माइग्रेन के लक्षण पहले से नहीं दिखाई देते हैं। कई बार एब्डॉमिनल माइग्रेन का दर्द आधे घंटे में ही ठीक हो जाता है और कई बार 2-3 दिन तक बना रहता है। इसे भी पढ़ें:- इन 6 बातों को नजरअंदाज करने से बढ़ जाता है माइग्रेन, जरूरी है सावधानी क्या है एब्डॉमिनल माइग्रेन का इलाज चूंकि एब्डॉमिनल माइग्रेन के सही कारणों का पता नहीं चल सका है इसलिए गंभीर हो जाने पर इसका इलाज मुश्किल हो जाता है। आमतौर पर एब्डॉमिनल माइग्रेन का पता चलने पर चिकित्सक इसका इलाज सामान्य माइग्रेन की तरह करते हैं, जिससे कई बार मरीज को पूरा लाभ नहीं मिल पाता है। आमतौर पर बिना किसी गंभीर लक्षण के दिखाई दिए, चिकित्सक दवा नहीं देते हैं।

एब्डॉमिनल माइग्रेन आमतौर पर बच्चों को होता है। इसके सही कारणों का पता नहीं लग पाया है। सबसे ज्यादा मामले लड़कियों में पाए गए हैं। माइग्रेन का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में सिर दर्द की तस्वीर आ जाती है। …

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