- बारिश के मौसम में फंगल इंफेक्शन की समस्या सबसे आम समस्या है।
- वायरल बुखार संक्रामक रोग है, जो इस मौसम में तेजी से फैलता है।
- कंजक्टिवाइटिस आंखों की बीमारी है, जिससे बचाव जरूरी है।

फंगल इंफेक्शन
बारिश के मौसम में फंगल इंफेक्शन की समस्या सबसे आम समस्या है। इस इंफेक्शन के कारण त्वचा पर बैक्टीरिया हमला कर देते हैं और मुंहासे, दाने, लाल चकत्तों के कारण बहुत खुजली होती है। फंगल इंफेक्शन का मुख्य कारण नमी यानी ह्यूमिडिटी है, जिसके कारण डर्माटाइटिस (त्वचा का लाल होना या सूजन होना) और बालों में रूसी जैसी समस्या होती है।
कैसे करें बचाव- फंगल इंफेक्शन से बचने के लिए नमी से दूर रहना जरूरी है। इस मौसम में आमतौर पर कपड़े सूख नहीं पाते हैं और लोग गीले कपड़े पहन लेते हैं। मगर गीले कपड़े न पहनें खासकर पैंट और अंडरवियर। कपड़ों को छांव में सुखाने के बजाय धूप में सुखाएं। नहाने के बाद तौलिया जरूर धूप में डालें और घर के बिस्तरों को सप्ताह में एक बार धूप जरूर दिखाएं।
खांसी, जुकाम, बुखार
मानसून में सर्दी, जुकाम और बुखार का होना सामान्य माना जाता है। वायरल बुखार संक्रामक रोग है, जो इस मौसम में तेजी से फैलता है। बुखार, गला खराब होना, छींक आते रहना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं। मानसून के इस बुखार को हल्के में लेना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।
कैसे करें बचाव- वायरल बुखार के इलाज के तौर पर सबसे जरूरी बुखार को कम रखना है। इसके लिए ठंडे पानी की पट्टी का इस्तेमाल करना चाहिये तथा बुखार निवारक दवाईयां लेनी चाहिये। इस बुखार में रोगी के शरीर में पानी की कमी हो जाती है इसलिए रोगी को पानी, गर्म सूप, गर्म दूध, जूस आदि का अधिक सेवन करना चाहिए और आराम करना चाहिए।
कंजंक्टिवाइटिस
इस मौसम में कंजक्टिवाइटिस की समस्या भी आम होती है। ये आंखों की एक बीमारी है जिसमें आंख में लालिमा, पानी निकलने व रोशनी के प्रति संवेदनशीलता बढऩे और कुछ मामलों में मरीज को हल्का बुखार व गला खराब होने की शिकायत रहती है। यह संक्रामक रोग एडीनो वायरस की वजह से होता है।
कैसे करें बचाव- यदि यह वायरल तरीके से व्यक्ति की एक या दोनों आंखों को प्रभावित करे तो 4-5 दिन में खुद ही ठीक हो जाता है। अगर इस मौसम में कोई संक्रमित हो जाए तो अपनी आंखों को अच्छे से धोएं, और उन्हें ठंडक प्रदान करें। किसी दूसरे व्यक्ति का रूमाल या तोलिया इस्तेमाल ना करें, बल्कि अपने ही तौलिए एवं रूमाल का ही इस्तेमाल करें। ऐसे में किसी नेत्र रोग विशेषज्ञ से सलाह लेकर एंटीबायोटिक आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल करें। आंखों में संक्रमण होने पर लेंस का प्रयोग न करें। बरसात के मौसम में बाहर धूप में निकलें, तो सनग्लासेज पहनकर निकलें और बारिश में ज्यादा देर न भीगें। बारिश के पानी में अगर नहाते भी हैं, तो घर के साफ पानी से एक बार जरूर नहाएं।
फूड प्वायजनिंग की समस्या
बारिश का मौसम में फूड प्वाइजनिंग का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। बाजार में मिलने वाले चाय पकोड़े में बैक्टीरिया की संभावना बहुत ज्यादा होती है। ऐसे में फूड प्वाइजनिंग होने का खतरा होता है। इसलिए ही बारिश के दौरान बाहर का खाना मना किया जाता है। इस एलर्जी का सबसे बड़ा लक्षण होता है खाने के एक से छह घंटे के बीच उल्टी होना। अगर आपको भी ऐसे लक्षण दिख रहें तो सतर्क हो जाएं।
कैसे करें बचाव- बारिश के मौसम में मसालेदार भोजन का सेवन आपकी सेहत खराब कर सकता हैं। इस मौसम में मांस, मछली, मीट खाने से फूड प्वॉइजनिंग की संभावना बढ़ जाती हैं। भोजन पकाने के दौरान साफ-सफाई का ध्यान न रखने या फिर बिना धोए सब्जियों के इस्तेमाल से भी फूड प्वॉइजनिंग का खतरा बढ़ जाता हैं। इतना ही नहीं बिना धोए फल खाने से भी ऐसा हो सकता हैं। फूड प्वॉइजनिंग से बचने के लिए जरूरी है कि आप ऐसा खाना खाएं जिससे गैस कम बनें और खाना पूरी तरह से पका हुआ हो। बहुत दिनों तक फ्रिज में रखे हुए खाने का खाने से बचें।
मलेरिया
मलेरिया बारिश के मौसम में होने वाली सबसे आम बीमारी है। इस बीमारी को साधारण नहीं समझा जा सकता क्योंकि कई बार ये जानलेवा हो सकती है। मलेरिया मादा एनाफलीज मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है। यह रोग लाल रक्त कोशिकाओं में प्रोटोजोवा नाम का परजीवी पैदा हो जाने से यह फैलता है।
कैसे करें बचाव- मलेरिया से बचने के लिए सबसे पहले तो अपने घर के अंदर और आसपास पानी जमा होने से रोकें। इसके साथ ही मच्छर के काटने से खुद का बचाव करने के लिए रात को सोते समय मच्छरदानी या रिपलेंट का प्रयोग करें। डीडीटी का छिड़काव करायें। सबसे अहम बात अगर मलेरिया के लक्षण दिखायी दें तो लापरवाही ना बरतें तुरंत डाक्टर को दिखायें।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal