एक नए शोध में पता चला है कि अकेलेपन का अहसास अकेले रहने से अधिक खतरनाक है और जो लोग अकेलापन महसूस करते हैं, उनमें खराब मानसिक स्वास्थ्य, दिल संबंधी बीमारियों के होने की संभावना ज्यादा होती है और वे अकेले रहने वालों की तुलना में मरते भी जल्दी हैं। निष्कर्षों से पता चलता है कि अकेलापन महिलाओं में मृत्यु के दोगुने जोखिम से जुड़ा है और पुरुषों में भी इसका खतरा दोगुना होता है। अकेला महसूस करने वाले पुरुषों और महिलाओं में अकेलापन नहीं महसूस करने वालों की तुलना में तीन गुना चिंता और अवसाद के लक्षण होने की संभावना होती है और इनके जीवन का गुणवत्ता स्तर काफी कम होता है। कोपेनहेगन विश्वविद्यालय अस्पताल के डॉक्टरेट की छात्र एनी विनगार्ड क्रिस्टेनसेन ने कहा, “अकेलापन दिल संबंधी बीमारियों वाले मरीजों व अकेले रहने वाले पुरुषों व महिलाओं में समयपूर्व मौत, खराब मानसिक स्वास्थ्य व कम गुणवत्ता वाले जीवन की भविष्यवाणी करता है।” इस शोध को वार्षिक नर्सिंग कांग्रेस यूरोहर्टकेयर 2018 में प्रस्तुत किया गया। इस शोध में इस बात का पता किया गया कि क्या खराब सामाजिक नेटवर्क 13,463 मरीजों के बदतर नतीजों से जुड़ा है। इन मरीजों को इस्कैमिक दिल का रोग, एरिथिमिया, हर्ट फेल्योर व हर्ट वाल्व रोग आदि हैं। इसमें पाया गया कि उनके दिल संबंधी बीमारियों के बावजूद उनमें अकेलेपन का अहसास उनके खराब नतीजों से जुड़ा था।  खुद को जिम्‍मेदार न ठहरायें कई बार लोग अपने एकाकीपन के लिए खुद को ही जिम्‍मेदार ठहराते हैं। वे मानते हैं कि दूसरों के लिए उनका कोई महत्‍व नहीं। अपने अकेलेपन के लिए वे सारा दोष खुद पर ही मढ़ देते हैं। दरअसल, वे अपने अकेलेपन का कारण जानना चाहते हैं और क्‍योंकि वे किसी दूसरे को दोष नहीं दे सकते, इसलिए वे खुद को जिम्‍मेदार मानने लगते हैं। इससे उन्‍हें राहत मिलने का अहसास होताहै। लेकिन, इससे समस्‍या खत्‍म नहीं होती, बल्कि और बढ़ती ही है। आपको चाहिये कि आप परिस्थितियों के लिए किसी पर दोषारोपण करने के बजाय उनका सामना करना सीखें।

अकेलेपन से जल्दी मौत होने का खतरा हो जाता है दोगुना

एक नए शोध में पता चला है कि अकेलेपन का अहसास अकेले रहने से अधिक खतरनाक है और जो लोग अकेलापन महसूस करते हैं, उनमें खराब मानसिक स्वास्थ्य, दिल संबंधी बीमारियों के होने की संभावना ज्यादा होती है और वे अकेले रहने वालों की तुलना में मरते भी जल्दी हैं। निष्कर्षों से पता चलता है कि अकेलापन महिलाओं में मृत्यु के दोगुने जोखिम से जुड़ा है और पुरुषों में भी इसका खतरा दोगुना होता है।एक नए शोध में पता चला है कि अकेलेपन का अहसास अकेले रहने से अधिक खतरनाक है और जो लोग अकेलापन महसूस करते हैं, उनमें खराब मानसिक स्वास्थ्य, दिल संबंधी बीमारियों के होने की संभावना ज्यादा होती है और वे अकेले रहने वालों की तुलना में मरते भी जल्दी हैं। निष्कर्षों से पता चलता है कि अकेलापन महिलाओं में मृत्यु के दोगुने जोखिम से जुड़ा है और पुरुषों में भी इसका खतरा दोगुना होता है।  अकेला महसूस करने वाले पुरुषों और महिलाओं में अकेलापन नहीं महसूस करने वालों की तुलना में तीन गुना चिंता और अवसाद के लक्षण होने की संभावना होती है और इनके जीवन का गुणवत्ता स्तर काफी कम होता है। कोपेनहेगन विश्वविद्यालय अस्पताल के डॉक्टरेट की छात्र एनी विनगार्ड क्रिस्टेनसेन ने कहा, “अकेलापन दिल संबंधी बीमारियों वाले मरीजों व अकेले रहने वाले पुरुषों व महिलाओं में समयपूर्व मौत, खराब मानसिक स्वास्थ्य व कम गुणवत्ता वाले जीवन की भविष्यवाणी करता है।”  इस शोध को वार्षिक नर्सिंग कांग्रेस यूरोहर्टकेयर 2018 में प्रस्तुत किया गया। इस शोध में इस बात का पता किया गया कि क्या खराब सामाजिक नेटवर्क 13,463 मरीजों के बदतर नतीजों से जुड़ा है। इन मरीजों को इस्कैमिक दिल का रोग, एरिथिमिया, हर्ट फेल्योर व हर्ट वाल्व रोग आदि हैं। इसमें पाया गया कि उनके दिल संबंधी बीमारियों के बावजूद उनमें अकेलेपन का अहसास उनके खराब नतीजों से जुड़ा था।   खुद को जिम्‍मेदार न ठहरायें कई बार लोग अपने एकाकीपन के लिए खुद को ही जिम्‍मेदार ठहराते हैं। वे मानते हैं कि दूसरों के लिए उनका कोई महत्‍व नहीं। अपने अकेलेपन के लिए वे सारा दोष खुद पर ही मढ़ देते हैं। दरअसल, वे अपने अकेलेपन का कारण जानना चाहते हैं और क्‍योंकि वे किसी दूसरे को दोष नहीं दे सकते, इसलिए वे खुद को जिम्‍मेदार मानने लगते हैं। इससे उन्‍हें राहत मिलने का अहसास होताहै। लेकिन, इससे समस्‍या खत्‍म नहीं होती, बल्कि और बढ़ती ही है। आपको चाहिये कि आप परिस्थितियों के लिए किसी पर दोषारोपण करने के बजाय उनका सामना करना सीखें।

अकेला महसूस करने वाले पुरुषों और महिलाओं में अकेलापन नहीं महसूस करने वालों की तुलना में तीन गुना चिंता और अवसाद के लक्षण होने की संभावना होती है और इनके जीवन का गुणवत्ता स्तर काफी कम होता है। कोपेनहेगन विश्वविद्यालय अस्पताल के डॉक्टरेट की छात्र एनी विनगार्ड क्रिस्टेनसेन ने कहा, “अकेलापन दिल संबंधी बीमारियों वाले मरीजों व अकेले रहने वाले पुरुषों व महिलाओं में समयपूर्व मौत, खराब मानसिक स्वास्थ्य व कम गुणवत्ता वाले जीवन की भविष्यवाणी करता है।”

 

इस शोध को वार्षिक नर्सिंग कांग्रेस यूरोहर्टकेयर 2018 में प्रस्तुत किया गया। इस शोध में इस बात का पता किया गया कि क्या खराब सामाजिक नेटवर्क 13,463 मरीजों के बदतर नतीजों से जुड़ा है। इन मरीजों को इस्कैमिक दिल का रोग, एरिथिमिया, हर्ट फेल्योर व हर्ट वाल्व रोग आदि हैं। इसमें पाया गया कि उनके दिल संबंधी बीमारियों के बावजूद उनमें अकेलेपन का अहसास उनके खराब नतीजों से जुड़ा था। 

खुद को जिम्‍मेदार न ठहरायें

कई बार लोग अपने एकाकीपन के लिए खुद को ही जिम्‍मेदार ठहराते हैं। वे मानते हैं कि दूसरों के लिए उनका कोई महत्‍व नहीं। अपने अकेलेपन के लिए वे सारा दोष खुद पर ही मढ़ देते हैं। दरअसल, वे अपने अकेलेपन का कारण जानना चाहते हैं और क्‍योंकि वे किसी दूसरे को दोष नहीं दे सकते, इसलिए वे खुद को जिम्‍मेदार मानने लगते हैं। इससे उन्‍हें राहत मिलने का अहसास होताहै। लेकिन, इससे समस्‍या खत्‍म नहीं होती, बल्कि और बढ़ती ही है। आपको चाहिये कि आप परिस्थितियों के लिए किसी पर दोषारोपण करने के बजाय उनका सामना करना सीखें।

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