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गर्भाशय की रसौली का ऐसे करें उपचार

गर्भाशय की रसौली का ऐसे करें उपचार

गलत खानपान और बिजी लाइफस्टाइल के कारण आजकल ज्यादातर महिलाएं किसी न किसी सेहत संबंधी समस्या का शिकार होते हैं. इन्हीं समस्याओं में से एक समस्या है रसौली….. रसौली ऐसी गांठे होती है जो महिला के यूट्रस के आसपास उभरते …

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अस्थमा के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है जीरे का पानी

जीरे का इस्तेमाल सभी रसोईघरों में किया जाता है. जीरे के इस्तेमाल से हमारे खाने का स्वाद दोगुना हो जाता है. पर क्या आपको पता है कि जीरा हमारी सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है. आज हम आपको …

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अच्छी नींद लाने में मदद करते हैं ये पौधे

कई लोगों को घर में पेड़ पौधे लगाने का शौक होता है. घर में लगे पेड़ पौधे न केवल घर की सुंदरता को बढ़ाते हैं बल्कि सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं. कुछ पौधे ऐसे भी होते हैं …

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कैंसर के खतरे को कम करती है स्ट्रॉबेरी

स्ट्रॉबेरी एक बहुत ही स्वादिष्ट और रसदार फल होता है. ये सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है. इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन, कैलोरी, फाइबर, आयोडीन, फोलेट, ओमेगा-3, पोटेशियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, विटामिन बी और सी मौजूद होते हैं. इसका सेवन करने …

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आपके वजन को तेजी से बढ़ा सकते हैं यह आहार

आजकल ज्यादातर लोग अपने बढ़ते हुए वजन को लेकर परेशान रहते हैं. मोटापा किसी भी इंसान की पर्सनालिटी को पूरी तरह से खराब कर देता है. इसके अलावा मोटापे के कारण चलने फिरने और उठने बैठने में भी दिक्कतें आने …

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तरबूज के बीज को फेंकने की ना करें भूल, इस तरह खाएंगे तो नहीं होगी ये बीमारी

चिलचिलाती गर्मी के मौसम में तरबूज खाना भला किसे पसंद नहीं होगा, लेकिन कई बार इसके बीज इसके खाने का मजा खराब कर देते हैं। कई लोग तो इतने आलसी होते हैं कि तरबूज को खाते समय उसके बीजों को …

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टूथपेस्ट जड़ से खत्म कर सकता है मलेरिया को ऐसे करे उपयोग

हाल ही में लंदन में एक शोध हुआ जिसमें पाया गया कि टूथपेस्ट, साबुन और डिटरजेंट से मलेरिया का इलाज हो सकता है. क्या कहती है रिसर्च- रिसर्च में पाया गया कि टूथपेस्ट, साबुन और डिटरजेंट में एक ऐसा तत्व ट्राइक्लोजन पाया जाता है जो मलेरिया के बैक्टीरिया को आसानी से मार सकता है. ये बैक्टीरिया मलेरिया के बैक्टीरिया की बढ़ोत्तरी को रोक देता है. मलेरिया दवा- मलेरिया के इलाज के लिए आने वाली दवाई पिरिमेथामाइन डीएचईआर पर हमला करती है. शोधकर्ताओं ने इस रिसर्च में ये साबित किया कि ट्राइक्लोजन मलेरिया के उन परजीवियों पर भी कारगर साबित हुआ जो पिरिमेथामाइन से लड़ने में सक्षम थे. क्या कहते हैं एक्सपर्ट- ब्राजील स्थित विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर और मुख लेखक एलिजाबेथ बिल्सलैंड ने कहा कि रोबोट वैज्ञानिक ईव की खोज कि ट्राइक्लोजन मलेरिया से लड़ने में सक्षम है, के बाद हमें यह उम्मीद जागी है कि इसे विकसित कर एक नई दवाई बनाई जा सकती है. उन्होंने कहा कि यह एक सुरक्षित यौगिक है और मलेरिया परजीवियों के जीवनचक्र के दो बिंदुओं पर हमला करने की इसकी क्षमता से पता चलता है कि मलेरिया परजीवी के लिए इसका प्रतिरोध करना मुश्किल हो जाएगा. कैसे करता है ये काम- टूथपेस्ट में ट्राइक्लोजन होने पर यह लिवर में फैटी एसिड को बनाने में सहायक इनोयल रिडक्टेज (ईएनआर) नामक एक एंजाइम को निष्क्रिय कर प्लेग के जीवाणु को बनने से रोकता है. शोधकर्ताओं ने कहा कि जैसा कि ट्राइक्लोजन ईएनआर और डीएचईआर को सीधे प्रभावित करता है. इसलिए इसका लिवर और ब्लड पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना है. अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया में मलेरिया के कारण प्रतिवर्ष 5 लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है. मलेरिया का इलाज- मलेरिया से लड़ने के लिए जहां कई प्रकार की दवाइयां मौजूद हैं, तो मलेरिया परजीवियों में भी इन दवाइयों से लड़ने की क्षमता तेजी से बढ़ने लगी है. इससे भविष्य में मलेरिया के लाइलाज होने की आशंका बढ़ गई है.

हाल ही में लंदन में एक शोध हुआ जिसमें पाया गया कि टूथपेस्ट, साबुन और डिटरजेंट से मलेरिया का इलाज हो सकता है. क्या कहती है रिसर्च- रिसर्च में पाया गया कि टूथपेस्ट, साबुन और डिटरजेंट में एक ऐसा तत्व …

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डायबिटीज के मरीज बेहचिक खा सकते हैं अंडे होगा ये फायदा

डायबिटीज के मरीज अब रोजाना बेहिचक अंडे खा सकते हैं और ऐसा करने में उन्हें कोई नुकसान नहीं होने वाला है. जानिए क्या कहती है रिसर्च. क्या कहती है रिसर्च- एक नए शोध में पता चला है कि हफ्ते में 12 अंडे तक खाने से टाइप टू डायबटिज वाले मरीजों को दिल की बीमारियों का कोई खतरा नहीं है. दरअसल अंडों में कोलेस्टेरोल का स्तर अधिक पाया जाता है, जिसकी वजह से डायबिटीज के मरीजों को आम तौर पर अंडे से बचने की सलाह दी जाती है. अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रीशन में प्रकाशित एक शोध के हवाले से बताया गया है कि अंडों का रक्त के कोलेस्टेरोल के स्तर पर कोई असर नहीं पड़ता है. क्या कहते हैं एक्सपर्ट- इस शोध के सह लेखक और सिडनी विश्वविद्यालय के निकोलस फुलर ने कहा, "डायबिटीज की पूर्व अवस्था और टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों के लिए अंडे खाने के सुरक्षित स्तर के बारे में सलाह में मतभेद के बावजूद हमारा शोध इंगित करता है कि अगर अंडे आपके खानपान की शैली का हिस्सा हैं, तो इन्हें खाने से परहेज मत करिए." उन्होंने कहा कि अंडे प्रोटीन और सूक्ष्म पोषक तत्वों को अच्छा साधन हैं और इनके खाने से अनेक फायदे होते हैं, जो आंखों और दिल की सेहत के लिए अच्छे तो हैं ही, ये रक्त वाहिकाओं को स्वस्थ रखने में भी मददगार हैं और गर्भावस्था में इन्हें खाने की सलाह दी जाती है.

डायबिटीज के मरीज अब रोजाना बेहिचक अंडे खा सकते हैं और ऐसा करने में उन्हें कोई नुकसान नहीं होने वाला है. जानिए क्या कहती है रिसर्च. क्या कहती है रिसर्च- एक नए शोध में पता चला है कि हफ्ते में …

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सावधान, हाई ब्लड प्रेशर से हो रही हैं मौतें, 2016 में हुई 1.6 मिलियन मौतें करा ले बस ये इलाज

क्या आप जानते हैं हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर हर 10 भारतीयों में से 3 को प्रभावित करता है. इतना ही नहीं, 2017 में जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक, कुल मौतों में से हाइपरटेंशन के कारण 17.5 फीसदी मौत होती है और 9.7 फीसदी में जीवनभर विकलांगता आ जाती है. मृत्यु और विकलांगता के जोखिम कारक- आपको जानकर हैरानी होगी असमय मृत्यु और विकलांगता के लिए हाई ब्लड प्रेशर चौथा प्रमुख जोखिम कारक भी है और भारत में 2016 में 1.6 मिलियन से अधिक मौतों के लिए ज़िम्मेदार भी हाई ब्लड प्रेशर ही था. ये आंकडा़ मॉरिशस की आबादी से अधिक है और भूटान की आबादी से दोगुना ज्यादा है. ये आंकड़ें ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज द्वारा वॉशिंगटन स्थित इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिस एंड इवैलुएशन से लिए गए हैं. नवंबर 2017 में इंडियास्पेंड (Indiaspend.org story/ A FactChecker.in story) के लेखक की रिपोर्ट के मुताबिक, कुपोषण, वायु प्रदूषण और फल, सब्जियों, अनाज की डायट में कमी के अलावा नमक और वसायुक्त पदार्थों का अधिक सेवन ये सभी भारत में मौत और विकलांगता के तीन शीर्ष जोखिम कारकों में शामिल हैं. हाइपरटेंशन से आसानी से बचा जा सकता है- एक्सपर्ट के मुताबिक, आपको चिंता करने की जरूरत नहीं. हाइपरटेंशन से आसानी से बचा जा सकता है, इसकी आसानी से ना सिर्फ पहचान की जा सकती है बल्कि मेडिसीन के जरिए इसका इलाज भी आसान है. लाइफस्टाइल और डायट में थोड़ा बदलाव करके आसानी से हाइपरटेंशन को मात दी जा सकती है. लेकिन बहुत से लोग इस बात से अंजान हैं कि उनको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है. क्या है हाइपरटेंशन- हाइपरटेंशन एक क्रोनिक कंडीशन है जिसमें ब्लड वैसल्स में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. हाइपरटेंशन को इसके लक्षणें के कारण साइलेंट किलर भी कहा जाता है. हाई ब्लड प्रेशर शरीर के कई मुख्य अंगों जैसे ब्रेन, हार्ट और किडनी को इफेक्ट करता है जिसके चलते अकाल मृत्यु तक हो जाती है. 2013 में दुनियाभर में हाई ब्लड प्रेशर के कारण 9.4 मिलियन लोगों की मौत हुई थी. 2016 के आंकड़े- भारत के 2016 के आंकडों के मुताबिक हार्ट अटैक से 53.8%, स्ट्रोक से 55.7% और क्रोनिक किडनी डिजीज से 54.3% मौते हुईं. इन सभी बीमारियों के लिए हाई ब्लड प्रेशर जिम्मेदार था.

क्या आप जानते हैं हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर हर 10 भारतीयों में से 3 को प्रभावित करता है. इतना ही नहीं, 2017 में जारी हुए आंकड़ों के मुताबिक, कुल मौतों में से हाइपरटेंशन के कारण 17.5 फीसदी मौत होती …

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अब पता चला, भूखे होने पर क्यों आता है गुस्सा आइये जाने

वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगा लिया है कि हमें भूख लगने के साथ ही साथ गुस्सा क्यों आने लगता है. वैज्ञानिकों ने पाया है कि ऐसा जीवविज्ञान की परस्पर क्रिया, व्यक्तित्व और आसपास के माहौल की वजह से होता है. अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ केरोलाइना की एक डॉक्टरल छात्रा जेनीफर मैकोर्माक ने बताया , “हम सभी जानते हैं कि भूखा महसूस करने से कभी-कभी हमारी भावनाएं और दुनिया को लेकर हमारे विचार भी प्रभावित होते हैं. हाल ही में ‘हैंगरी ’शब्द ऑक्सफोर्ड शब्दकोष ने स्वीकार किया है, जिसका मतलबा होता है कि भूख की वजह से गुस्सा आना. ” ‘इमोशन’ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन की मुख्य लेखक मैकोर्माक ने बताया , "हमारे अनुसंधान का उद्देश्य भूख से जुड़ी हुई भावनात्मक स्थितियों का मनोवैज्ञानिक तरीके से अध्ययन करना है. जैसे कि कोई कैसे भूखा होने के साथ ही गुस्सा भी हो जाता है." इन लोगों में कम होती है गुस्सा होने की संभावना उन्होंने बताया कि इस संबंध में 400 से ज्यादा लोगों पर किए गए अनुसंधान में पता चला है कि सिर्फ माहौल ही इस बात पर असर नहीं डालता है कि क्यों कोई भूखे होने से गुस्सा हो जाएगा. यह लोगों के भावनात्मक जागरुकता के स्तर से भी तय होता है. वे लोग जो इस बात के प्रति अधिक जागरूक होते हैं कि उन्हें भूख लगी है या नहीं, ऐसे लोगों में गुस्सा होने की संभावना कम होती है.

वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगा लिया है कि हमें भूख लगने के साथ ही साथ गुस्सा क्यों आने लगता है. वैज्ञानिकों ने पाया है कि ऐसा जीवविज्ञान की परस्पर क्रिया, व्यक्तित्व और आसपास के माहौल की वजह से …

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