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ब्रेस्ट कैंसर: 70 प्रतिशत महिलाओं को कीमोथेरेपी की जरूरत नहीं

जो महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती स्टेज से गुजर रही हैं अब उन्हें कीमोथेरेपी कराने की जरूरत नहीं होगी. डॉक्टर्स की एक नई खोज के मुताबिक पीड़ित बिना कीमोथेरेपी के भी कैंसर से लड़ सकते हैं. कीमोथेरेपी क्या है? दवाओं के एक मिश्रण को रक्त वाहिनियों के जरिए शरीर के विभिन्न भागों में पहुंचाया जाता है. ये दवाएं कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकती है. क्योंकि कैंसर की कोशिकाएं 8 प्रकार की हो सकती हैं इसलिए 8 प्रकार की दवाइयों के मिश्रण को शरीर में इंजेक्शन के माध्यम से छोड़ा जाता है. इसके कई साइड इफेक्ट भी होते हैं. कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट- - थकान - उल्टी - बालों का झड़ना - मुंह में कड़वाहट - त्वचा में रूखापन - डायरिया या कब्ज - इंफेक्शन का खतरा कैसर के इतिहास में सबसे बड़ी खोज? न्‍यू इंग्‍लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित इस रिसर्च को नेशनल कैंसर इंस्‍टीट्यूट ने फंड किया था. शोध के परिणामों की चर्चा शिकागो के अमेरिकन सोसायटी ऑफ क्लिनकल ऑन्‍कोलॉजी में की गई. इसे कैंसर की अब तक की सबसे बड़ी खोजों में से एक बताया जा रहा है. कीमोथेरेपी की जरूरत नहीं- न्यूयॉर्क के मोन्टेफायर मेडिकल सेंटर के डॉक्टर और स्टडी के प्रमुख डॉक्‍टर जोसफ स्‍पारनो ने कहा, ‘यह अद्भुत है. शुरुआती ब्रेस्ट कैंसर से गुजर रही महिलाओं को सर्जरी और हार्मोन थेरेपी के अलावा और कुछ कराने की जरूरत नहीं है.' जीन टेस्टिंग की जरूरत- बोस्टन में डाना फार्बर कैंसर इंस्टीट्यूट के डॉक्टर हरोल्ड बर्सटेन ने कहा कि, 'ज्यादातर महिलाओं को लगता है कि अगर वे कीमोथेरेपी नहीं कराएंगी तो उनकी मृत्यु हो जाएगी. जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है.' गौरतलब है कि 10,273 रोगियों को एक टेस्ट Oncotype DX दिया गया. जिससे व्यक्ति के बायोप्सी सैम्पल के आधार पर जीन्स की ऐक्टिविटी को ट्रैक किया जा सके और कोशिकाओं पर हार्मोन थेरेपी के प्रभाव का पता लगाया जा सके. रिसर्च में पाया गया कि अगर जीन्स टेस्ट के आधार पर सर्जरी और हार्मोन थेरेपी की जाय तो  पीड़ित को कीमोथेरेपी की जरूरत नहीं होगी.

जो महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती स्टेज से गुजर रही हैं अब उन्हें कीमोथेरेपी कराने की जरूरत नहीं होगी. डॉक्टर्स की एक नई खोज के मुताबिक पीड़ित बिना कीमोथेरेपी के भी कैंसर से लड़ सकते हैं. कीमोथेरेपी क्या है? दवाओं …

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नहीं रुक रहा बालों का झड़ना तो आजमाएं ये उपाय

सिर पर बाल कम हों तो लोगों का आत्मविश्वास डोल सा जाता है. किसी पार्टी में जाना हो या फिर किसी मीटिंग में, ऐसा व्यक्ति सार्वजनिक जगहों पर जाने से कतराने सा लगता है. सिर पर बालों के कम होने के पीछे कई कारण होते हैं. जैसे-डैंड्रफ, गलत खान-पान, गलत रहन-सहन, बालों में मशीनों का बार-बार प्रयोग करना, तनाव इत्यादि. सबसे पहले बात करते हैं डैंड्रफ की. डैंड्रफ दो प्रकार के होते हैं- पहला ड्राई डैंड्रफ और दूसरा वेट डैंड्रफ. ड्राई डैंड्रफ आमतौर पर सिर में हाथ लगाने से पता चलता है. वहीं वेट डैंड्रफ आम तौर दिखाई नहीं देते हैं. आइए जानते हैं कैसे आप डैंड्रफ की परेशानी दूर कर सकते हैं. कैसे करें डैंड्रफ को दूर- - चिरौंजी, मुलेठी, कूठ, उड़द और सेंधा नमक मिलाकर पीस लें. सुबह पाउडर में शहद मिलाकर सिर पर लगा लें और आधे घंटे के बाद इसे धो लें. - नीलकमल, नागकेसर, मुलेठी, काले तिल और आंवला मिलाकर पीस लें और रोज पानी में मिलाकर सिर पर लगाएं, आधे घंटे के इस बाद धो लें. इस उपाय से भी डैंड्रफ की समस्या समाप्त हो जाएगी. कैसे करें गंजेपन की समस्या को दूर- - हाथी दांत के भस्म और रसौत को मिला लें और उसमें बकरी का दूध मिलाकर बालों में लगा लें. - भांगरा, नीलकमल, त्रिफला, अनंतमूल और आम की गुठली को पीस लें और उसमें 1 लीटर तिल का तेल और 4 लीटर पानी मिला दें. इसके बाद रोज रात को सोने से पहले इससे बालों में मालिश करें.   - वटांकुर और भूतकेशी दोनों को पीस लें और उसमें गिलोय का रस 4 लीटर और तिल का तेल 1 लीटर मिलाकर इसे धीमी आंच पर लगभग 1 घंटे तक पकाएं. इसके बाद उसे छानकर उससे रोज रात में मालिश करें. - लाल चंदन, मुलेठी, मूर्वा की जड़, त्रिफला, नीलकमल, प्रियंगु और वटांकुर मिलाकर पीस लें और उसमें 4 लीटर भृगराज का स्वरस  और 1 लीटर तिल का तेल में डालकर पका लें और रोज उससे बालों में मालिश करें. इससे आपके बाल लंबे, काले और मजबूत हो जाएंगे.

सिर पर बाल कम हों तो लोगों का आत्मविश्वास डोल सा जाता है. किसी पार्टी में जाना हो या फिर किसी मीटिंग में, ऐसा व्यक्ति सार्वजनिक जगहों पर जाने से कतराने सा लगता है. सिर पर बालों के कम होने …

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अब कब्ज की समस्या का पीपल का पेड़ करेगा आपका इलाज

हिन्दू धर्म में पीपल के पेड़ को बेहद खास माना जाता है। लोगों का मानना है कि पीपल के पेड़ में देवताओं का वास होता है इसलिए लोग इसकी पूजा करते हैं। आपको बता दें पीपल का पेड़ हमें सबसे ज्यादा ऑक्सीजन प्रदान करता है, इस कारण वह सेहत के लिए भी बहुत गुणकारी होता है। औषधीय गुणों से भरपूर पीपल के पेड़ को कई बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आगे की स्लाइड्स में जाने पीपल के पेड़ के कुछ हैरान कर देने वाले फायदे… यह लिवर के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है। जिन लोगों के लिवर से संबंधित परेशानी हो वे 3-4 ताजे पीपल की पत्तियों को चीनी या मिश्री में मिलाकर इसका पाउडर बना लें। तैयार पाउडर को 250 ग्राम पानी में मिलाकर 5 दिन तक दिन में दो बार पिए। यह तरीका पीलिया रोग में भी कारगार साबित होता है। पीपल का पत्ता खून साफ करने में भी कारगार है। इसके लिए 1-2 ग्राम पीपल बीज पाउडर को शहद में मिलाकर रोजाना दो बार खाए। ऐसा करने से आपका खून साफ होता है।

हिन्दू धर्म में पीपल के पेड़ को बेहद खास माना जाता है। लोगों का मानना है कि पीपल के पेड़ में देवताओं का वास होता है इसलिए लोग इसकी पूजा करते हैं। आपको बता दें पीपल का पेड़ हमें सबसे …

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सुपारी खाने वालो के लिए अच्छी खबर, बचाता है इस खतरनाक बीमारी से

सुपारी का सेवन हमारी सेहत के लिए बहुत हानिकारक होता है, पर क्या आप जानते हैं कि अगर आप सीमित मात्रा में सुपारी का सेवन करते हैं, तो इससे आपकी सेहत को बहुत सारे लाभ हो सकते हैं. आज हम आपको सुपारी खाने के कुछ फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं. 1- अगर आप रोजाना सुपारी का सेवन करते हैं, तो आपके मुंह में लार बनने की मात्रा अधिक हो जाती है, जो आपको शुगर और मुंह के सूखने की समस्या से छुटकारा दिलाती है. 2- सुपारी में भरपूर मात्रा में जीवाणुरोधी गुण मौजूद होते हैं, सुपारी का इस्तेमाल टूथपेस्ट को बनाने के लिए भी किया जाता है. इसके सेवन से हमारे दांतों से कैविटी की समस्या दूर हो जाती है. 3- अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है तो आप के लिए सुपारी का सेवन रामबाण औषधि के रूप में काम करता है, इसमें भरपूर मात्रा में टैनिन नाम का तत्व मौजूद होता है. जो हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में सहायक होता है.

सुपारी का सेवन हमारी सेहत के लिए बहुत हानिकारक होता है, पर क्या आप जानते हैं कि अगर आप सीमित मात्रा में सुपारी का सेवन करते हैं, तो इससे आपकी सेहत को बहुत सारे लाभ हो सकते हैं. आज हम …

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सावधान! गंदे नोट और सिक्के, आपको बीमार… बहुत बीमार बना सकते हैं

गंदे बैंकनोट्स और सिक्के आपको बीमार… बहुत बीमार बना सकते हैं. देश की सबसे बड़ी खाद्य नियामक संस्था ने इस आशय की ओर संकेत किया है. फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने सभी राज्यों के खाद्य आयुक्तों को इस बारे में एक व्यवस्थागत जागरुकता अभियान शुरू करने को कहा है, ताकि लोगों को जागरुक किया जा सके और साथ ही साथ उन्हें फूड और करेंसी की हैंडलिंग के बारे में समझाया जा सके. सावधान! गंदे नोट और सिक्के, आपको बीमार… बहुत बीमार बना सकते हैं! एजेंसी ने इसके साथ ही इस बात को भी रेखांकित किया है कि होटल-रेस्तरां और वेंडर्स को कैश लेने और फूड सर्व करने के दौरान ऐहतियात बरतने की जरूरत है. एफएसएसएआई ने अपनी एडवायजरी में कहा है, ‘अस्वच्छ परिस्थितियों में गंदे और भीगे हाथों से, थूक लगाकर करेंसी को संभालना और संग्रहण करना व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है.’ खाद्य एजेंसी ने कहा है कि एक से दूसरे हाथों में आ जा रही करेंसी से व्यक्ति के स्वास्थ्य को काफी खतरा हो सकता है. इससे स्किन, सांस संबंधी और पेट संबंधी बीमारियां हो सकती हैं. बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग और कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र वाले व्यक्ति इस तरह की बीमारियों के लिए बहुत संवेदनशील हैं. फूड वेंडर्स, इनमें भी खासतौर पर सड़कों किनारे भोजन बेचने वाले, जो अक्सर खाना बनाते और परोसते हैं, साथ ही उसी हाथ से पैसा भी इकट्ठा करते हैं, ऐसी बीमारियों की पकड़ में तुरंत आते हैं. करेंसी नोट्स और सिक्के हर रोज पब्लिक के हाथों लगातार सर्कुलेट होते हैं और यही वजह है कि ये माइक्रोबॉयोलॉजिकल कीटाणुओं के संपर्क में आते हैं. एफएसएसएआई के सीईओ पवन अग्रवाल ने मेल टुडे को बताया कि हम इस बारे में लंबे समय से अध्ययन कर रहे थे, लेकिन हम किसी को दंड नहीं दे सकते. लिहाजा हमने सभी राज्यों के खाद्य आयुक्तों को इस बारे में अभियान शुरू करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि आदर्श स्थिति ये है कि करेंसी और फूड को अलग-अलग व्यक्ति डील करें. रुपये-पैसों का काम करने के बाद हाथों को साबुन से साफ कर लेना चाहिए.इस संबंध में तीन शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं, पहला जर्नल ऑफ करेंट माइक्रोबॉयोलॉजी और अप्लाइड साइंसेस में, दूसरा इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फॉर्मा एंड बॉयो साइंसेस और तीसरा इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एडवांस रिसर्च में छपा है. इन तीनों शोध पत्रों में कहा गया है कि करेंसी पर दवा निरोधक विषाणु होते हैं, जो समाज में बीमारियों के संक्रमण में मददगार होते हैं. इनसे मूत्र संबंधी और सांस संबंधी बीमारियों के साथ त्वचा संबंधी इंफेक्शंस, टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम, सेप्टीकेमिया और पेट संबंधी कई बीमारियां हो सकती हैं. ये सभी अध्ययन 2016 में कराए गए हैं. तमिलनाडु के तिरूनेलवेली मेडिकल कॉलेज के डिपार्टमेंट ऑफ माइक्रोबॉयोलॉजी की ओर कराए गए अध्ययन के मुताबिक गंदे करेंसी नोटों से ऐसी बीमारियां भी हो सकती हैं, जो मल में मौजूद रोगाणुओं के चलते होती हैं. अध्ययन के लिए इकट्ठा किए गए करेंसी नोट डॉक्टरों, बैंकरों, स्थानीय बाजारों, कसाइयों, छात्रों और गृहिणियों से लिए गए थे. इस अध्ययन के बाद ही एफएसएसएआई ने दिशा निर्देश जारी किए हैं.

गंदे बैंकनोट्स और सिक्के आपको बीमार… बहुत बीमार बना सकते हैं. देश की सबसे बड़ी खाद्य नियामक संस्था ने इस आशय की ओर संकेत किया है. फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने सभी राज्यों के खाद्य आयुक्तों …

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कई रोगों का इलाज है मुलेठी, जानें सेवन का सही तरीका

स्वाद में मीठी मुलेठी कैल्शियम, ग्लिसराइजिक एसिड, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक, प्रोटीन और वसा के गुणों से भरपूर होती है. इसका इस्तेमाल नेत्र रोग, मुख रोग, कंठ रोग, उदर रोग, सांस विकार, हृदय रोग, घाव के उपचार के लिए सदियों से किया जा रहा है. यह बात, कफ, पित्त तीनों दोषों को शांत करके कई रोगों के उपचार में रामबाण का काम करती है. पतंजलि आयुर्वेद हरिद्धार के आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि मुलेठी के क्वाथ से नेत्रों को धोने से नेत्रों के रोग दूर होते हैं. मुलेठी की मूल चूर्ण में बरबर मात्रा में सौंफ का चूर्ण मिलाकर एक चम्मच प्रात: सायं खाने से आंखों की जलन मिटती है तथा नेत्र ज्योति बढ़ती है. मुलेठी को पानी में पीसकर उसमें रूई का फाहा भिगोकर नेत्रों पर बांधने से नेत्रों की लालिमा मिटती है. उन्होंने कहा कि मुलेठी कान और नाक के रोग में भी लाभकारी है. मुलेठी और द्राक्षा से पकाए हुए दूध को कान में डालने से कर्ण रोग में लाभ होता है. 3-3 ग्राम मुलेठी तथा शुंडी में छह छोटी इलायची तथा 25 ग्राम मिश्री मिलाकर, क्वाथ बनाकर 1-2 बूंद नाक में डालने से नासा रोगों का शमन होता है. मुंह के छाले मुलेठी मूल के टुकड़े में शहद लगाकर चूसते रहने से लाभ होता है. मुलेठी को चूसने से खांसी और कंठ रोग भी दूर होता है. सूखी खांसी में कफ पैदा करने के लिए इसकी 1 चम्मच मात्रा को मधु के साथ दिन में 3 बार चटाना चाहिए. इसका 20-25 मिली क्वाथ प्रात: सायं पीने से श्वास नलिका साफ हो जाती है. मुलेठी को चूसने से हिचकी दूर होती है. रेलवे महिलाओं के डिब्बे को ट्रेन के बीच में रखेगा, मिलेंगी कई सुविधाएं आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि मुलेठी हृदय रोग में भी लाभकारी है. 3-5 ग्राम तथा कुटकी चूर्ण को मिलाकर 15-20 ग्राम मिश्री युक्त जल के साथ प्रतिदिन नियमित रूप से सेवन करने से हृदय रोगों में लाभ होता है. इसके सेवन से पेट के रोग में भी आराम मिलता है. मुलेठी का क्वाथ बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पीने से उदरशूल मिटता है. आपके बच्चे का दिमाग होगा तेज, रोज खिलाएं ये चीज त्वचा रोग भी यह लाभकारी है. पफोड़ों पर मुलेठी का लेप लगाने से वे जल्दी पककर फूट जाते हैं. मुलेठी और तिल को पीसकर उससे घृत मिलाकर घाव पर लेप करने से घाव भर जाता है.

स्वाद में मीठी मुलेठी कैल्शियम, ग्लिसराइजिक एसिड, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक, प्रोटीन और वसा के गुणों से भरपूर होती है. इसका इस्तेमाल नेत्र रोग, मुख रोग, कंठ रोग, उदर रोग, सांस विकार, हृदय रोग, घाव के उपचार के लिए सदियों से किया …

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2 से ज्यादा बच्चों की मां को रहता है ये घातक खतरा: स्टडी

जिन महिलाओं के दो से ज्यादा बच्चे होते हैं उन्हें हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा होता है. यूके में किए गए एक शोध में यह बात सामने आई है. यह रिसर्च कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के छात्रों ने की. इसमें सामने आया कि हर बच्चे के जन्म के बाद मां के दिल में खिंचाव होता है. जिसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता है. इसके अलावा ज्यादा बच्चे होने से घर में कामकाज भी बढ़ जाता है जिससे मां अपनी सेहत का ख्याल नहीं रख पाती है. गर्लफ्रेंड नहीं है, कहीं वजह ये तो नहीं? शोध में यह बात भी सामने आई कि 2 से कम बच्चे पैदा करने वाली महिलाओं के मुकाबले जिन महिलाओं के 5 से अधिक बच्चे होते हैं उनमें दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा 30 प्रतिशत ज्यादा होता है. ज्यादा दोस्त होंगे तो दिमाग रहेगा दुरुस्त इस शोध के बाद आशा की जा रही है कि लोग छोटे परिवार पर ध्यान देंगे और मां की सेहत का भी ख्याल रखेंगे. शोध के दौरान 8000 महिलाओं को शामिल किया गया जिनकी उम्र 45-64 साल के बीच थी.

जिन महिलाओं के दो से ज्यादा बच्चे होते हैं उन्हें हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा होता है. यूके में किए गए एक शोध में यह बात सामने आई है. यह रिसर्च कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के छात्रों ने की. इसमें सामने आया …

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गर्मी में पसीने की बदबू से बचाएंगे ये घरेलू उपाय

गर्मियों के मौसम में पसीने की बदबू परेशानी का सबब बन जाती है. कई बार अंडरआर्म, पैर, हथेली में पसीने की दुर्गंध से शर्मिंदगी झेलनी पड़ जाती है. मानसिक तनाव, शारीरिक परिश्रम, भावनात्मक उत्तेजना, आहार-विहार, आनुवांशिक हार्मोन असंतुलन तथा वातावरण में उच्च तापमान गार्मियों में पसीने का मुख्य कारण माना जा सकता है. पसीने से शरीर में फंगल इन्फेक्शन भी हो सकते हैं. गर्मियों में पसीना आना आम बात है तथा पसीने से मोटापा कम होता है तथा कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है. यूं तो पसीना पूरी तरह गंधरहित होता है, लेकिन जब पसीना त्वचा के स्तर पर विद्यमान बैक्टीरिया से मिलता है तो पसीने से दुर्गंध आना शुरू हो जाती है. सौंदर्य विशेषज्ञ शहनाज हुसैन का कहना है कि ऐसे में नींबू के पानी, गुलाबजल, दही, बेंकिग, सोडा, ताजे पानी जैसे आसान घरेलू उपायों को अपनाकर गर्मियों में पसीने की समस्या से पूरी तरह निजात पाया जा सकता है. भीषण गर्मियों के दौरान सूती कपड़े पहनिए जिससे पसीने के सूखने में मदद मिलेगी. गर्मियों में प्रतिदिन कपड़े बदलिए. खुले तथा हल्के कपड़े ज्यादा उपयुक्त तथा आरामदेह साबित होते हैं. गर्मियों में पसीने की बदबू को रोकने के लिए डिओडरेंट काफी मददगार साबित होते हैं. हमेशा हल्का सुगंधित डिओडरेंट के प्रयोग को वरीयता दें, क्योंकि तेज सुगंध के डिओडरेंट से त्वचा में जलन या संवेदनशील रसायनिक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे त्वचा खराब हो सकती है तथा त्वचा पर काले ध्ब्बे पड़ सकते हैं. इसके अलावा टेल्कम पाउडर और इत्र का भी प्रयोग किया जा सकता है. हर्बल क्वीन के नाम से मशहूर शहनाज हुसैन ने कहा कि बेकिंग सोडा पसीने की दुर्गंध को रोकने में अहम भूमिका अदा करता है. बेकिंग सोडा, पानी तथा नींबू रस को मिलाकर पेस्ट बना लें तथा इस पेस्ट को अंडर आर्म्स में 10 मिनट तक लगाकर ताजे पानी से धो डालें. इससे पसीने की बदबू को रोकने में मदद मिलेगी. बेंकिग सोडा तथा टैलकम पाउडर का मिश्रण बना कर इसे अंडर आर्म्स तथा पांवों पर 10 मिनट तक लगाने के बाद ताजे पानी से धो डालिए. इससे पसीने की समस्या से निजात मिलेगी. पसीने की दुर्गंध वाले शरीर के हिस्सों पर कच्चे आलू के स्लाइस रगड़ने से भी पसीने की दुर्गंध से छुटकारा मिलता है. नहाने के टब के पानी में फिटकरी तथा पुदीने की पत्तियों को डालकर नहाने से भी शरीर में ठंडक तथा ताजगी का अहसास होता है तथा पसीने समस्या से छुटकारा मिलता है. नहाने के पानी के टब में गुलाब जल मिलाने से प्राकृतिक शीलता तथा कोमलता मिलती है. दो बूंद ट्री ऑयल तथा दो चम्मच गुलाबजल मिलाकर इस मिश्रण को काटनवूल की मदद से अंडरआर्म्स में लगाने से पसीने की समस्या से निजात मिलती है. बालों से पसीने की दरुगध को रोकने के लिए एक कप पानी में गुलाब जल तथा नींबू रस को मिलाकर बालों को धोने से पसीने की बदबू खत्म हो जाएगी.

गर्मियों के मौसम में पसीने की बदबू परेशानी का सबब बन जाती है. कई बार अंडरआर्म, पैर, हथेली में पसीने की दुर्गंध से शर्मिंदगी झेलनी पड़ जाती है. मानसिक तनाव, शारीरिक परिश्रम, भावनात्मक उत्तेजना, आहार-विहार, आनुवांशिक हार्मोन असंतुलन तथा वातावरण …

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J-K: हिज्बुल का पोस्टर, छात्रों को सेना के कार्यक्रम से दूर रहने की चेतावनी

J-K: हिज्बुल का पोस्टर, छात्रों को सेना के कार्यक्रम से दूर रहने की चेतावनी

गृहमंत्री राजनाथ सिंह के दो दिवसीय कश्मीर दौरे से पहले हिज्बुल मुजाहिद्दीन ने शोपियां में एक पोस्टर जारी कर छात्रों को सेना और पुलिस द्वारा प्रायोजित कार्यक्रमों से दूर रहने को कहा है. साथ ही किसानों से कहा गया है …

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रोजाना एक गोली कैंसर के मरीजों को कीमोथेरेपी से बचाएगी

कैंसर के मरीजों के लिए पहले बीमारी से जूझना और फिर कीमोथेरेपी से गुजरना काफी तकलीफदेह होता है। कैंसर मरीजों को इस तकलीफ से बचाने के लिए एक गोली ईजाद करने का दावा किया है। विशेषज्ञों का कहना कि यह गोली कैंसर को वापस लौटने से बचाएगी।  यह अध्ययन मॉन्टेफिओरे मेडिकल सेंटर न्यूयॉर्क में 10 हजार महिलाओं पर किया गया। यह बीते दो दशक की सबसे बड़ी खोज है। शोधकर्ताओं का कहना है कि उनकी इस खोज से स्तन कैंसर की शिकार महिलाओं को सबसे ज्यादा फायदा होगा।  लक्षण दिखने से पहले ही पकड़ में आ जाएंगे 10 तरह के कैंसर इस लैंडमार्क स्टडी में कहा गया है कि स्तन कैंसर की शिकार महिलाओं को सर्जरी के बाद रोजाना सिर्फ एक गोली टैमोक्सिफेन लेनी होगी। यह गोली कैंसर को दोबारा लौटने से रोकने में मदद करेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि एक साधारण से जेनेटिक टेस्ट से ऐसी महिलाओं को आसानी से चिह्नित किया जा सकता है।  अभी स्तन कैंसर की शिकार महिलाओं को मास्टेक्टोमी या लंपेक्टोमी के बाद छह महीने की तकलीफदेह कीमोथेरेपी करानी होती है। कीमो का काम यह सुनिश्चित करना होता है कि कैंसर उनके शरीर में दोबारा न लौटे। मगर इस प्रक्रिया के साइड इफेक्ट भी होते हैं। इस अध्ययन को दुनिया की सबसे बड़ी कैंसर कॉन्फ्रेंस में पेश किया जा चुका है। प्रमुख शोधकर्ता और लंदन के रॉयल मार्सडेन हॉस्पिटल में कंसलटेंट मेडिकल ऑनकोलॉजिस्ट डॉ. एलिस्टेयर रिंग ने कहा कि इस दवा के इस्तेमाल से कैंसर के मरीजों में कीमोथेरेपी करने की दर में गिरावट आएगी।

कैंसर के मरीजों के लिए पहले बीमारी से जूझना और फिर कीमोथेरेपी से गुजरना काफी तकलीफदेह होता है। कैंसर मरीजों को इस तकलीफ से बचाने के लिए एक गोली ईजाद करने का दावा किया है। विशेषज्ञों का कहना कि यह …

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