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कौन हैं मार्गा फॉलस्टिच, जिन पर बना है आज का गूगल डूडल जाने

बता दें कि उन्होंने मेल्टिंग पॉट भी बनाया था, जो काफी उच्च तापमान पर भी नहीं पिघलता. - मार्गा फॉलस्टिच को हल्के लेंस 'एसएफ 64' के अविष्कार के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी पहचान मिली, जिसके लिए उन्हें 1973 में सम्मानित भी किया गया. ये है रहस्यमयी रेगिस्तान, जानें- यहां क्यों अपने आप खिसकते हैं पत्थर - रिटायर्ड होने के बाद उन्होंने कई ग्लास सम्मेलनों में व्याख्यान दिए और यात्राएं की. - उनका निधन 1998 में मेन्ज में 82 वर्ष की आयु में हो गया.

सर्च इंजन गूगल ने जर्मन ग्लास केमिस्ट मार्गा फॉलस्टिच की 103वीं जयंती पर उनका डूडल बनाया है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है. वह वैश्विक ग्लास विनिर्माण कंपनी ‘शॉट एजी’ की पहली महिला कार्यकारी अधिकारी थीं. यह यूरोप में ऑप्टिकल …

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भूतों का फैशन शो वायरल, दनादन पेश किए जा रहे डिजाइन्स

रैंप पर खूबसूरत मॉडल्स का कैटवॉक आपने खूब देखे होंगे. बड़े-बड़े डिजाइनर्स के डिजाइन किए कपड़ों में मॉडल्स को इठलाकर चलते हुए आपने जरूर देखा होगा. लेकिन क्या आपने कभी भूतों का फैशन शो देखा है, नहीं देखा तो चलिए हम आपको दिखाते हैं. दरअसल सोशल मीडिया पर इन दिनों भूतों वाला ये फैशन शो वायरल हो रहा है, इसमें कपड़े तो दिख रहे हैं, लेकिन कपड़े के भीतर कोई मॉडल नहीं है. वीडियो में आप देख सकते हैं कि फैशन डिजाइनर्स की सभी डिजाइन्स को बिना किसी मॉडल के ही पेश किया जा रहा है, तो क्या इन कपड़ों के भीतर मॉडल की भूत हैं या फिर कोई और वजह है. वीडियो में दिखाया जा रहा है कि अरबी शेख बैठे हुए हैं और रैंप पर एक काली ड्रेस चलती है. बिल्कुल हवा में उड़ती सी, लोग देख रहे हैं, तालियां बजा रहे हैं तो क्या इन्हें भूतों का कोई खौफ नहीं है. सोशल मीडिया पर इस वीडियो को कहा जा रहा है कि ये भूतों का फैशन शो है. इस फैशन शो में डिजाइनर हैं, ड्रेस हैं, देखने वाले लोग हैं, लेकिन कोई मॉडल नहीं दिखाई दे रही है, इसी वजह से इसे भूतों वाला फैशन शो कहा जा रहा है. लेकिन अब हम इसकी हकीकत से आपको रूबरू करवाते हैं. जिस काली ड्रेस को रैंप पर उड़ते हुए देखकर लोग इसे भूतों का फैशन शो करार दे रहे हैं. ये ड्रेस एक हैंगर से टंगी है और उसके ऊपर ड्रोन कैमरा चल रहा है.

रैंप पर खूबसूरत मॉडल्स का कैटवॉक आपने खूब देखे होंगे. बड़े-बड़े डिजाइनर्स के डिजाइन किए कपड़ों में मॉडल्स को इठलाकर चलते हुए आपने जरूर देखा होगा. लेकिन क्या आपने कभी भूतों का फैशन शो देखा है, नहीं देखा तो चलिए …

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बिहार में पिछड़ी Race 3, सलमान पर भारी पड़ी निरहुआ की बॉर्डर,,

बॉलीवुड बॉक्स ऑफिस के बिग बॉस माने जाने वाले सलमान खान ने रेस 3 से वापसी की है. एक बार फिर सलमान की इस फिल्म ने दर्शकों को निराश कर दिया है. आलम ये है कि सलमान की ये फिल्म बिहार में बुरी तरह पिट रही है. दर्शक सलमान की रेस 3 से ज्यादा निरहुआ की लेटेस्ट रिलीज बॉर्डर को पसंद कर रहे हैं. ऐसे उड़ रहा सलमान की रेस-3 का मजाक, पढ़ें 10 मजेदार जोक्स जानकारी के मुताबिक, निरहुआ एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड की बहुचर्चित फिल्म 'बॉर्डर' ने बिहार में पहले ही दिन बॉलीवुड एक्टर सलमान खान की चर्चा के मुताबिक करीब 160 करोड़ के बजट में बनी फिल्म 'रेस 3' को पछाड़ दिया है. हाल ये है कि बिहार के जिन शहरों की स्‍क्रीन पर बॉर्डर और रेस 3 की स्क्रीनिंग साथ में चल रही है, वहां निरहुआ की फिल्‍म बॉर्डर का जादू सि‍र चढ़कर बोल रहा है. लेकिन रेस 3 को दर्शकों का रेस्‍पांस औसत मिल रहा है. अब तक मिली बॉक्‍स आफिस रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के सिंगल स्‍क्रीन वाले थियेटर शंकर (सीतामढ़ी), पायल (मोतिहारी), गणेश (हाजीपुर), अजंता (बिहारशरीफ), निभा (नवादा), ज्योति (छपरा), दीपम (घोड़ासहन), लक्ष्मी (समस्तीपुर) और पैराडाइज (गया) में फिल्‍म ‘बॉर्डर’ का कारोबार उम्‍मीद से ज्‍यादा बेहतर रहा है. ये बिहार के ऐसे सिनेमाघर हैं, जो बिजनेस के मामले में काफी अहम माने जाते हैं. फिल्‍म के रिलीज से पहले माना जा रहा था कि रेस 3 के रिलीज के बाद ‘बॉर्डर’ के बिजनेस पर जरूर असर पड़ेगा, मगर पहले दिन ऐसा हुआ नहीं. पहले दिन के रेस्‍पॉन्स के बाद अब ट्रेड पंडितों का मानना है कि ईद के दिन यानी कल बॉर्डर की कमाई और बढ़ने वाली है. यही नहीं सोशल मीडिया नी सिनेप्रेमी अपने अपने अंदाज में रेस 3 और बॉर्डर की तुलना करते नजर आ रहे हैं.

बॉलीवुड बॉक्स ऑफिस के बिग बॉस माने जाने वाले सलमान खान ने रेस 3 से वापसी की है. एक बार फिर सलमान की इस फिल्म ने दर्शकों को निराश कर दिया है. आलम ये है कि सलमान की ये फिल्म …

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गौरी लंकेश की हत्या करने वाले गिरोह के निशाने पर हैं 26 और शख्सियतें !

वरिष्ठ पत्रकार एवं एक्टिविस्ट गौरी लंकेश की हत्या के राज से पर्दाफाश हो गया है. गौरी लंकेश की हत्या के आरोप में गिरफ्तार परशुराम वाघमोरे ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है. साथ ही वाघमोरे ने यह भी स्वीकार किया है कि उसने हिंदू धर्म की आलोचना करने के चलते ही गौरी लंकेश की हत्या की थी. जांच टीम को जो इस मामले में सबसे अहम सुराग मिला है, वह ये कि गिरोह के निशाने पर अभी भी देशभर की 26 ऐसी शख्सियतें हैं, जो हिंदुत्व विरोधी हैं. पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तार किए जाने के 10 मिनट के अंदर ही वाघमोरे ने पुलिस वाहन में बैठने के बाद अपना जुर्म कबूल करते हुए कहा कि 5 सितंबर, 2017 को उसने ही गौरी लंकेश पर गोली चलाई थी. इतना ही नहीं उसने यह भी कहा कि उसे पता था कि वह एक दिन पकड़ा जाएगा. पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि गौरी लंकेश की हत्या की बाकायदा साजिश रची गई थी और हत्या को अंजाम देने के लिए कई लोगों की एक टीम बनाई गई थी. वाघमोरे ने बताया कि उसे बेलगाम में इसके लिए बाकायदा ट्रेनिंग दी गई थी. ट्रेनिंग के दौरान उसने एयर पिस्टल चलानी सीखी और 500 राउंड गोलियां चलाकर अभ्यास पूरा होने के बाद उसने वारदात को अंजाम दिया. धर्म के नाम पर हुई हत्या वाघमोरे ने बताया कि उससे कहा गया था कि धर्म के लिए उसे गौरी लंकेश की हत्या करनी होगी. उसने बताया कि वह पहली बार जुलाई 2017 में बेंगलुरू आया था और कई सप्ताह ठहरा था. इसके बाद वाघमोरे 3 सितंबर, 2017 को दोबारा बेंगलुरू लौटा. अगले ही दिन यानी 4 सितंबर को उसने गौरी लंकेश की हत्या करने की कोशिश की, लेकिन उसकी कोशिश नाकाम रही. लेकिन अगले दिन यानी 5 सितंबर, 2017 को वाघमोरे अपनी साजिश में कामयबा रहा और उसने गौरी लंकेश की गोली मारकर हत्या कर दी. वाघमोरे ने बताया कि गौरी लंकेश की हत्या करने के बाद उसी दिन वह बीजापुर लौट गया. उसने पुलिस को बताया कि उसे पता नहीं कि हत्या के लिए उसे कौन सी बंदूक दी गई थी. उसने बताया कि गोली चलाने के बाद उसके हाथ में तेज झटका लगा था. हत्या को अंजाम देने वाले गिरोह का 5 राज्यों में है नेटवर्क एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, गौरी लंकेश की हत्या में शामिल गिरोह का नेटवर्क कम से कम पांच राज्यों में फैला है और उसके करीब 60 सदस्य हैं. अधिकारी ने बताया कि दक्षिणपंथी समूहों के लोगों को शामिल कर बनाए गए इस संगठन में 60 सदस्य हैं, जो कम से कम पांच राज्यों में फैले हुए हैं. उन्होंने बताया कि हालांकि इस संगठन का कोई नाम नहीं है. पता चला है कि इस गिरोह का मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक में नेटवर्क फैला हुआ है. हालांकि गिरोह की उत्तर प्रदेश में मौजूदगी का पता नहीं चल सका है. एक ही बंदूक से की गई थी गौरी लंकेश-कलबुर्गी की हत्या मामले की जांच कर रही SIT के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, गौरी लंकेश, गोविंद पनसारे और एमएम कलबुर्गी को एक ही बंदूक से गोली मारी गई थी. एसआईटी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'वाघमोरे ने गौरी को गोली मारी और फरेंसिक जांच से इस की पुष्टि भी हुई है कि गोविंद पनसारे, एमएम कलबुर्गी की हत्या उसी हथियार से की गई.' उन्होंने कहा कि हथियार का अभी पता नहीं लगाया जा सका है. फॉरेंसिक रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि तब हुई है और गोली के पिछले हिस्से पर एक ही तरह का निशान बना हुआ मिला. अभी भी गिरोह के निशाने पर हैं देशभर की 26 शख्सियतें जांच में यह भी सामने आया है कि गौरी लंकेश, गोविंद पानसरे और एमएम कलबुर्गी की हत्या के लिए बनाए गए गिरोह के निशाने पर देशभर की 26 शख्सियतें और हैं. इनमें से आठ टार्गेट तो कर्नाटक के रहने वाले हैं. गिरोह ने जिन शख्सियतों को अपना अगला टार्गेट बना रखा है, उनमें एक ही समानता है कि वे सभी हिंदुत्व का विरोध करने वाले हैं. कर्नाटक पुलिस ने गिरोह के अगले टार्गेट से जुड़ी यह जानकारी प्रत्येक राज्य के खुफिया विभागों को भी दे दी है. कर्नाटक पुलिस को टी. नवीन कुमार कि गिरफ्तारी के रूप में गौरी लंकेश हत्याकांड में पहली अहम सफलता मिली थी. इसके बाद जांच टीम ने प्रवीण उर्फ सुजीत कुमार और अमोल काले को गिरफ्तार किया, जिनसे अहम जानकारियां मिलीं. पहले पुलिस अमोल काले को ही मुख्य आरोपी मान रही थी, जिसने गौरी लंकेश को गोली मारी. लेकिन बाद में अमोल काले की डायरी में लिखे कोड वर्ड को क्रैक करने के बाद पुलिस ने मुख्य हत्यारे वाघमोरे को गिरफ्तार किया. पुलिस का कहना है कि गौरी लंकेश की हत्या में शामिल तीन और लोगों की तलाश अभी जारी है. इन तीन संदिग्धों में वह मोटरसाइकिल ड्राइवर भी शामिल है, जिसके पीछे बैठकर वाघमोरे गौरी लंकेश की हत्या करने गया था.

वरिष्ठ पत्रकार एवं एक्टिविस्ट गौरी लंकेश की हत्या के राज से पर्दाफाश हो गया है. गौरी लंकेश की हत्या के आरोप में गिरफ्तार परशुराम वाघमोरे ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है. साथ ही वाघमोरे ने यह भी स्वीकार किया …

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ईद के दिन शहीद औरंगजेब के गांव में मातम, लोग बोले- खून का बदला खून से लेंगे

हत्या से पहले क्या पूछ रहे थे आतंकी? पीटीआई की एक रिपोर्ट में अफिशियल्स के हवाले से कहा गया है कि औरंगजेब की हत्या से पहले आतंकियों से पूछताछ की थी. इस दौरान घाटी में आतंकियों के खिलाफ चलाए उन तमाम ऑपरेशंस के बारे में औरंगजेब से सवाल कर रहे थे, जिनमें वो शामिल थे. कौन थे औरंगजेब? औरंगजेब, जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फेंटरी के शोपियां में शादीमार्ग स्थित 44 राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे. उनकी उम्र 24 साल थी. उनके पिता भी सेना में थे. रिटायरमेंट के बाद वो गांव में रहते हैं.

भारतीय सेना के कश्मीरी जवान औरंगजेब की शहादत पर पूरा देश गमजदा है. शहीद का पार्थिव घाटी में उनके गांव मेंढर पहुंच चुका है. उनके पार्थिव को हेलिकॉप्टर से गांव लाया गया. आज ही के दिन सैनिक सम्मान के साथ …

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दुनिया में सबसे कीमती क्या है, इस कहानी में मिलेगा जवाब चाहिए तो पढ़े रोचक खबर

दुनिया में सबसे कीमती चीज क्या है? इस सवाल का जवाब हर व्यक्ति अपने हिसाब से देता है। किसी के लिए धन-दौलत जरूरी है, तो किसी के लिए दूसरी भौतिक वस्तुएं। बहरहाल, यह हम एक कहानी बताएंगे, जिसे पढ़कर इस सवाल का सही-सही जवाब मिल जाएगा। एक राजा समय-समय पर प्रतियोगिताएं आयोजित करवाता था और विजेताओं को सम्मान तथा ईनाम देता था। राज्य के लोग इन प्रतियोगिताओं में खुलकर हिस्सा लेते थे। इससे उनमें हमेशा उत्साह बना रहता था। एक बार राजा ने राजपुरुष के चयन की प्रतियोगिता रखी। उसने एक वाटिका बनवाई जिसमें हर तरह की वस्तुएं रखी गईं लेकिन उन पर उनका मूल्य नहीं लिखा था। राजा ने ऐलान किया कि जो व्यक्ति इनमें से सबसे कीमती वस्तु लेकर वाटिका से बाहर आएगा, उसे इस साल का राजपुरुष घोषित किया जाएगा। लोग वाटिका में जाते और अपनी समझ से सबसे मूल्यवान वस्तु उठा लाते। कोई हीरे-जवाहरात लाया तो कोई पुस्तक उठाकर लाया, क्योंकि उसके लिए ज्ञान अधिक मूल्यवान था। एक गरीब रोटी उठाकर लाया क्योंकि उसकी नजर में रोटी ही मूल्यवान थी। एक भक्त ईश्वर की मूर्ति उठाकर लाया। तभी एक योगी आया। वाटिका में काफी देर घूमने के बाद वह खाली हाथ बाहर निकला। राजा ने सभी व्यक्तियों द्वारा लाई गई वस्तुओं को देखा। जब योगी की बारी आई तो राजा ने पूछा, तुम क्या लाए हो? उसने कहा, 'मैं संतोष लाया हूं, महाराज।' राजा ने पूछा- 'तुम्हारा संतोष क्या सबसे मूल्यवान है'? योगी ने जवाब दिया- 'हां महाराज, इस वाटिका में आपने जितनी भी वस्तुएं रखी हैं, उन्हें प्राप्त कर मनुष्य को खुशी तो होगी, पर वह क्षणिक होगी। इसे हासिल कर लेने के बाद फिर कुछ और पाने के लिए मन बेचैन हो उठेगा। लेकिन जिसका पास सच्चा संतोष है, वह सभी इच्छाओं से ऊपर होगा और सुखी रहेगा।' राजा ने उस योगी को ही राजपुरुष घोषित किया।

दुनिया में सबसे कीमती चीज क्या है? इस सवाल का जवाब हर व्यक्ति अपने हिसाब से देता है। किसी के लिए धन-दौलत जरूरी है, तो किसी के लिए दूसरी भौतिक वस्तुएं। बहरहाल, यह हम एक कहानी बताएंगे, जिसे पढ़कर इस …

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शनिवार को नजर आए ये तीन, तो समझिए कुछ अच्छा होने वाला है कमाल का

बहुत से लोग इस बात का खास ध्यान रखते हैं कि किसी अच्छे काम या घर से ऑफिस के लिए निकलते ही उनका सामने किससे हुआ? कोई गाय को शुभ मानता है तो कोई कहता है कि किसी महिला का बर्तन में पानी लिए सामने आना अच्छा होता है। शनिवार को लेकर भी ऐसी कुछ मान्यताएं हैं। आमतौर पर लोग शनि देव से खौफ खाते हैं, लेकिन यहां हम बताएंंगे कि शनिवार के दिन यदि आप घर से निकल रहे हैं और आपका सामना नीचे बताए गए लोगों या पशु से होता है तो समझिए वह दिन आपके लिए लकी है और आपके सारे काम पूरे होने वाले हैं - शनिदेव को काला कुत्ता पसंद है। यदि घर के बाहर निकलते ही आपका सामना किसी काले कुत्ते से हुआ है तो आपको मन ही मन प्रसन्न होना चाहिए। धर्म ग्रंथों में लिखा है कि शनिवार को काले कुत्ते के रोटी खिलाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। वहीं कुछ लोग सफाई करती हुई महिला का सामने आना भी अच्छा मानते हैं। कोई पुरुष सफाईकर्मी भी झाड़ू लगाता हुआ बाहर मिल जाए तो उसे कुछ न कुछ दान जरूर दें। आपका काम बनेगा। यूं तो आम जीवन में लोग भिखारियों के कतराते हैं, लेकिन शनिवार को आप कहीं जा रहे हैं और कोई भिखारी नजर आ जाए, तो मान लिए यह शुभ संकेत है। ऐसे किसी भिखारी या निर्धन को दान देकर आगे बढ़ जाए, जानकार करते हैं कि आप पर शनिदेव की कृपा बनी रहेगी। शनिदेव को तेल चढ़ाने के दौरान रखें इन बातों का ध्यान लोहे के बर्तन से चढ़ाएं तेल - अक्सर शनि मंदिरों के बाहर प्लास्टिक की बोतलों में या स्टील की कटोरी में तेल मिलता है। लोग इसे वैसे ही ले जाकर चढ़ा देते हैं। इससे पूरा लाभ नहीं मिलता है। सबसे अच्छा तरीका यह है कि लोह के बर्तन में तेल को डाला जाए, फिर उसे शनि प्रतिमा पर चढ़ाया जाए। तेल में चेहरा देखें - शनिदेव को तेल चढ़ाते वक्त सबसे महत्वपूर्ण बात कि तेल चढ़ाने से पहले तेल में अपना चेहरा देखें। ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और जातक पर चल रहे संकट और दोषों को दूर करते हैं। सफाई का रखें ध्यान - यदि आप घर से तेल लेकर जा रहे हैं, तो ध्यान रखें कि वह साफ और स्वच्छ हो। उसे गंदे हाथों से नहीं छुआ गया हो और घर का खाना बनाने के दौरान उसका इस्तेमाल नहीं किया गया हो।

बहुत से लोग इस बात का खास ध्यान रखते हैं कि किसी अच्छे काम या घर से ऑफिस के लिए निकलते ही उनका सामने किससे हुआ? कोई गाय को शुभ मानता है तो कोई कहता है कि किसी महिला का …

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इस्लाम के दूसरे पैगंबर हजरत शीश की मजार हैं अयोध्या में

ईद के मौके पर इस्लामिक आस्था फलक पर है और इसी के साथ रामनगरी अयोध्या से इस्लाम का जुड़ाव परिभाषित हो रहा है। यह जुड़ाव सातवीं शताब्दी में हजरत मुहम्मद के दौरे के बहुत पहले का है। इस्लामिक परंपरा में प्रथम पैगंबर के रूप में हजरत आदम की प्रतिष्ठा है, जिसे सनातन परंपरा मनु के नाम से जानती है। इन्हीं हजरत आदम की औलादों में हजरत शीश दिव्य गुणों से युक्त थे और उन्हें दूसरे पैगंबर का गौरव हासिल है। रामनगरी के पौराणिक स्थल मणिपर्वत के पृष्ठ में हजरत शीश की मजार स्थित है। हजरत शीश की दरगाह के गद्दीनशीन मौलाना आसिफ के अनुसार, यहां हिदू-मुस्लिम समान रूप से मन्नत मांगने आते हैं। आध्यात्मिक गुरु स्वामी सत्यमित्र उर्फ जय सिह चौहान के अनुसार इस्लामिक परंपरा वस्तुतः अनादि सनातनी धारा का ही परिष्कृत संस्करण है और इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मुहम्मद से पूर्व अयोध्या से जुड़ती इस्लामिक परंपरा इस सच्चाई की पुष्टि करती है। सनातनी धार और इस्लाम से रिश्तों की सुगंध अयोध्या कोतवाली के पीछे नौगजी मजार पर भी महसूस की जा सकती है। नौगजी की मजार हजरत नूह के पौत्र से समीकृत की जाती है, इस्लामिक परंपरा जिन्हें हिदुस्तान का निर्माता मानती है। इसी विरासत के अनुरूप मध्यकाल में सूफी संतों की पूरी पांत-पीढ़ी रामनगरी की ओर उन्मुख नजर आती है। ऐसे ही सूफी फकीरों में हजरत इब्राहिम शाह का जिक्र अहम है। उनकी स्मृति स्वर्गद्वार स्थित हजरत इब्राहिम शाह की दरगाह से प्रवाहमान है। मान्यता है कि हजरत की दर से कोई खाली हाथ नहीं लौटता। यदि सच्चे दिल से पुकार उठती है तो दुआ भी मिलनी तय मानी जाती है। ऐतिहासिक विवरण के अनुसार हजरत ताशकंद के शाहजादे थे पर किशोरावस्था से ही वह दुनियादारी से इतर दुनिया के मालिक से मुहब्बत की ओर उन्मुख हुए और राजकीय वैभव-विलास को तिलांजलि दे लंबी यात्रा करते हुए अयोध्या आ पहुंचे। मुस्लिम लीग के प्रांतीय अध्यक्ष और सूफी संतों के मुरीद डॉ. नजमुल हसन गनी के अनुसार हजरत का अयोध्या आना महज संयोग नहीं था। हकीकत तो यह है कि अयोध्या की जमीन बहुत हसीन और पाक है, यहां कदम नहीं पलक के बल चलना चाहिए और इस रूहानी सच्चाई से ही प्रेरित हो हजरत इब्राहिम ने पवित्र नदी सरयू के तट पर स्थित उस स्थान पर धूनी रमाई होगी, जिसे सदियों से अड़गड़ा नाम से जाना जाता है। इब्राहिम शाह की गणना शेख मोइनुद्दीन चिश्ती, निजामुद्दीन औलिया, किछौछा में आराम फरमा हजरत जहांगीर समनानी जैसे शीर्षस्थ सूफी संतों में होती रही है।

ईद के मौके पर इस्लामिक आस्था फलक पर है और इसी के साथ रामनगरी अयोध्या से इस्लाम का जुड़ाव परिभाषित हो रहा है। यह जुड़ाव सातवीं शताब्दी में हजरत मुहम्मद के दौरे के बहुत पहले का है। इस्लामिक परंपरा में …

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ऐसे आपका घर बन जाएगा मंदिर और बनी रहेगी शांति

जिंदगी में परेशानियां आती रहती हैं और सबसे खास बात यह है कि बड़ी से बड़ी परेशानी का हल बहुत सामान्य होता है। हम यहां एक व्यापारी की कहानी बता रहे हैं, जिसने त्रस्त होकर संन्यास लेने का मन बना लिया था, फिर उसे ऐसा ज्ञान मिला कि उसका घर और दुकान मंदिर जैसे लगने लगे। एक बार की बात है मगध के व्यापारी को व्यापार में बहुत लाभ हुआ। इसके बाद से वह अपने अधीनस्थों से अहंकारपूर्ण व्यवहार करने लगा। व्यापारी का अहंकार इतना प्रबल था कि उसके देखते हुए उसके परिजन भी अहंकार के वशीभूत हो गए। जब सभी के अहंकार आपस में टकराने लगे तो घर का वातावरण नर्क की तरह हो गया। दुःखी होकर एक दिन वह व्यापारी भगवान बुद्ध के पास पहुंचा और बोला- 'भगवन्! मुझे इस नर्क से मुक्ति दिलाइए। मैं भी भिक्षु बनना चाहता हूं।' भगवान बुद्ध गंभीर स्वर में बोले, 'अभी तुम्हारे भिक्षु बनने का समय नहीं आया है।' उन्होंने कहा कि भिक्षु को पलायनवादी नहीं होना चाहिए। जैसे व्यवहार की अपेक्षा तुम दूसरों से करते हो, स्वयं भी दूसरों के प्रति वैसा ही व्यवहार करो। ऐसा करने से तुम्हारा घर ही मंदिर बन जाएगा।' उस व्यापारी ने भगवान बुद्ध की सीख को अपनाया और घर का वातावरण स्वतः बदल गया। आप दूसरों के साथ वह व्यवहार न करो, जो तुम्हें अपने लिए पसंद नहीं। व्यापारी का अहंकार इतना प्रबल था कि उसके देखते हुए उसके परिजन भी अहंकार के वशीभूत हो गए।

जिंदगी में परेशानियां आती रहती हैं और सबसे खास बात यह है कि बड़ी से बड़ी परेशानी का हल बहुत सामान्य होता है। हम यहां एक व्यापारी की कहानी बता रहे हैं, जिसने त्रस्त होकर संन्यास लेने का मन बना …

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दूर-दूर से आते हैं लोग पूजा करने,मंदिर में हैं लाखों की संख्या में चमगादड़

आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में एक ऐसी जगह है जहां पर लोग चमगादड़ों की पूजा करते हैं और उनकी पूरी आस्था इसमें बसी है। बिहार के वैशाली जिले के राजापाकर प्रखंड के सरसई गांव में चमगादड़ों की न केवल पूजा होती है, बल्कि लोग मानते हैं कि चमगादड़ उनकी रक्षा भी करते हैं। सरसई गांव के इस अनोखे मंदिर में लोग दर्शन करने दूर-दूर से आते हैं। लोगों की मान्यता है कि चमगादड़ों का जहां वास होता है, वहां कभी धन की कमी नहीं होती। चमगादड़ समृद्धि की प्रतीक देवी लक्ष्मी के समान हैं। यह मंदिर 50 एकड़ में फैला है। इसमें एक शिवालय भी है। स्थानीय लोगों के अनुसार इस प्राचीन मंदिर का निर्माण साल 1402 में करवाया गया था जहां अब लाखों की संख्या में चमगादड़ हैं। ये चमगादड़ हर पेड़ पर लटके नजर आ जाएंगे। इतनी बड़ी तादाद में चमगादड़ होने के बाबजूद भी गांववालों को इनसे कोई परेशानी नहीं हैं। दिलचस्प बात यह है कि ऐसा लगता है जैसे गांव के हर शख्स को ये चमगादड़ जानते हैं। जब कोई अनजान लोग गांव में प्रवेश करता है तो वह चमगादड़ शोर करने लगते हैं। इन मंदिरों में भी है चमगादड़ों का डेरा - बिहार के सुपौल जिले के लहरनियां गांव में चमगादड़ों के लिए 50 एकड़ में बगीचा लगाया गया है। - ग्वालियर के किले में बने सास-बहू के मंदिर में भी हजारों की संख्या में चमगादड़ों का डेरा है। - होशंगाबाद स्थित सेठानी घाट के सामने स्थित जोशीपुर जर्रापुर घाट पर हनुमान जी का प्राचीन मंदिर बना हुआ है। इसी के पास चमगादड़ पेड़ पर रहते हैं। - बिहार के मुजफ्फरपुर से 10 किमी. पूर्व मुशहरी प्रखंड का छपरा मेघ गांव चमगादड़ों के लिए मशहूर है। - चित्रकूट से 18 किमी दूर गुप्त गोदावरी में दो गुफाएं हैं। इन गुफाओं में हजारों की संख्या में चमगादड़ रहते हैं जो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते। - उत्तर प्रदेश हमीरपुर जिले के चौरा देवीमंदिर में लोग चमगादड़ों की पूजा कर इनसे अपने लिए वरदान मांगते हैं।

आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में एक ऐसी जगह है जहां पर लोग चमगादड़ों की पूजा करते हैं और उनकी पूरी आस्था इसमें बसी है। बिहार के वैशाली जिले के राजापाकर प्रखंड के सरसई गांव में चमगादड़ों की न …

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