आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में एक ऐसी जगह है जहां पर लोग चमगादड़ों की पूजा करते हैं और उनकी पूरी आस्था इसमें बसी है। बिहार के वैशाली जिले के राजापाकर प्रखंड के सरसई गांव में चमगादड़ों की न केवल पूजा होती है, बल्कि लोग मानते हैं कि चमगादड़ उनकी रक्षा भी करते हैं।
सरसई गांव के इस अनोखे मंदिर में लोग दर्शन करने दूर-दूर से आते हैं। लोगों की मान्यता है कि चमगादड़ों का जहां वास होता है, वहां कभी धन की कमी नहीं होती। चमगादड़ समृद्धि की प्रतीक देवी लक्ष्मी के समान हैं। यह मंदिर 50 एकड़ में फैला है। इसमें एक शिवालय भी है।
स्थानीय लोगों के अनुसार इस प्राचीन मंदिर का निर्माण साल 1402 में करवाया गया था जहां अब लाखों की संख्या में चमगादड़ हैं। ये चमगादड़ हर पेड़ पर लटके नजर आ जाएंगे। इतनी बड़ी तादाद में चमगादड़ होने के बाबजूद भी गांववालों को इनसे कोई परेशानी नहीं हैं।
दिलचस्प बात यह है कि ऐसा लगता है जैसे गांव के हर शख्स को ये चमगादड़ जानते हैं। जब कोई अनजान लोग गांव में प्रवेश करता है तो वह चमगादड़ शोर करने लगते हैं।
इन मंदिरों में भी है चमगादड़ों का डेरा
– बिहार के सुपौल जिले के लहरनियां गांव में चमगादड़ों के लिए 50 एकड़ में बगीचा लगाया गया है।
– ग्वालियर के किले में बने सास-बहू के मंदिर में भी हजारों की संख्या में चमगादड़ों का डेरा है।
– होशंगाबाद स्थित सेठानी घाट के सामने स्थित जोशीपुर जर्रापुर घाट पर हनुमान जी का प्राचीन मंदिर बना हुआ है। इसी के पास चमगादड़ पेड़ पर रहते हैं।
– बिहार के मुजफ्फरपुर से 10 किमी. पूर्व मुशहरी प्रखंड का छपरा मेघ गांव चमगादड़ों के लिए मशहूर है।
– चित्रकूट से 18 किमी दूर गुप्त गोदावरी में दो गुफाएं हैं। इन गुफाओं में हजारों की संख्या में चमगादड़ रहते हैं जो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते।
– उत्तर प्रदेश हमीरपुर जिले के चौरा देवीमंदिर में लोग चमगादड़ों की पूजा कर इनसे अपने लिए वरदान मांगते हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में एक ऐसी जगह है जहां पर लोग चमगादड़ों की पूजा करते हैं और उनकी पूरी आस्था इसमें बसी है। बिहार के वैशाली जिले के राजापाकर प्रखंड के सरसई गांव में चमगादड़ों की न केवल पूजा होती है, बल्कि लोग मानते हैं कि चमगादड़ उनकी रक्षा भी करते हैं।
सरसई गांव के इस अनोखे मंदिर में लोग दर्शन करने दूर-दूर से आते हैं। लोगों की मान्यता है कि चमगादड़ों का जहां वास होता है, वहां कभी धन की कमी नहीं होती। चमगादड़ समृद्धि की प्रतीक देवी लक्ष्मी के समान हैं। यह मंदिर 50 एकड़ में फैला है। इसमें एक शिवालय भी है।
स्थानीय लोगों के अनुसार इस प्राचीन मंदिर का निर्माण साल 1402 में करवाया गया था जहां अब लाखों की संख्या में चमगादड़ हैं। ये चमगादड़ हर पेड़ पर लटके नजर आ जाएंगे। इतनी बड़ी तादाद में चमगादड़ होने के बाबजूद भी गांववालों को इनसे कोई परेशानी नहीं हैं।
दिलचस्प बात यह है कि ऐसा लगता है जैसे गांव के हर शख्स को ये चमगादड़ जानते हैं। जब कोई अनजान लोग गांव में प्रवेश करता है तो वह चमगादड़ शोर करने लगते हैं।
इन मंदिरों में भी है चमगादड़ों का डेरा
– बिहार के सुपौल जिले के लहरनियां गांव में चमगादड़ों के लिए 50 एकड़ में बगीचा लगाया गया है।
– ग्वालियर के किले में बने सास-बहू के मंदिर में भी हजारों की संख्या में चमगादड़ों का डेरा है।
– होशंगाबाद स्थित सेठानी घाट के सामने स्थित जोशीपुर जर्रापुर घाट पर हनुमान जी का प्राचीन मंदिर बना हुआ है। इसी के पास चमगादड़ पेड़ पर रहते हैं।
– बिहार के मुजफ्फरपुर से 10 किमी. पूर्व मुशहरी प्रखंड का छपरा मेघ गांव चमगादड़ों के लिए मशहूर है।
– चित्रकूट से 18 किमी दूर गुप्त गोदावरी में दो गुफाएं हैं। इन गुफाओं में हजारों की संख्या में चमगादड़ रहते हैं जो किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते।
– उत्तर प्रदेश हमीरपुर जिले के चौरा देवीमंदिर में लोग चमगादड़ों की पूजा कर इनसे अपने लिए वरदान मांगते हैं।