वरिष्ठ पत्रकार एवं एक्टिविस्ट गौरी लंकेश की हत्या के राज से पर्दाफाश हो गया है. गौरी लंकेश की हत्या के आरोप में गिरफ्तार परशुराम वाघमोरे ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है. साथ ही वाघमोरे ने यह भी स्वीकार किया है कि उसने हिंदू धर्म की आलोचना करने के चलते ही गौरी लंकेश की हत्या की थी. जांच टीम को जो इस मामले में सबसे अहम सुराग मिला है, वह ये कि गिरोह के निशाने पर अभी भी देशभर की 26 ऐसी शख्सियतें हैं, जो हिंदुत्व विरोधी हैं.
पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तार किए जाने के 10 मिनट के अंदर ही वाघमोरे ने पुलिस वाहन में बैठने के बाद अपना जुर्म कबूल करते हुए कहा कि 5 सितंबर, 2017 को उसने ही गौरी लंकेश पर गोली चलाई थी. इतना ही नहीं उसने यह भी कहा कि उसे पता था कि वह एक दिन पकड़ा जाएगा.
पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि गौरी लंकेश की हत्या की बाकायदा साजिश रची गई थी और हत्या को अंजाम देने के लिए कई लोगों की एक टीम बनाई गई थी. वाघमोरे ने बताया कि उसे बेलगाम में इसके लिए बाकायदा ट्रेनिंग दी गई थी. ट्रेनिंग के दौरान उसने एयर पिस्टल चलानी सीखी और 500 राउंड गोलियां चलाकर अभ्यास पूरा होने के बाद उसने वारदात को अंजाम दिया.
धर्म के नाम पर हुई हत्या
वाघमोरे ने बताया कि उससे कहा गया था कि धर्म के लिए उसे गौरी लंकेश की हत्या करनी होगी. उसने बताया कि वह पहली बार जुलाई 2017 में बेंगलुरू आया था और कई सप्ताह ठहरा था. इसके बाद वाघमोरे 3 सितंबर, 2017 को दोबारा बेंगलुरू लौटा.
अगले ही दिन यानी 4 सितंबर को उसने गौरी लंकेश की हत्या करने की कोशिश की, लेकिन उसकी कोशिश नाकाम रही. लेकिन अगले दिन यानी 5 सितंबर, 2017 को वाघमोरे अपनी साजिश में कामयबा रहा और उसने गौरी लंकेश की गोली मारकर हत्या कर दी.
वाघमोरे ने बताया कि गौरी लंकेश की हत्या करने के बाद उसी दिन वह बीजापुर लौट गया. उसने पुलिस को बताया कि उसे पता नहीं कि हत्या के लिए उसे कौन सी बंदूक दी गई थी. उसने बताया कि गोली चलाने के बाद उसके हाथ में तेज झटका लगा था.
हत्या को अंजाम देने वाले गिरोह का 5 राज्यों में है नेटवर्क
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, गौरी लंकेश की हत्या में शामिल गिरोह का नेटवर्क कम से कम पांच राज्यों में फैला है और उसके करीब 60 सदस्य हैं. अधिकारी ने बताया कि दक्षिणपंथी समूहों के लोगों को शामिल कर बनाए गए इस संघठन में 60 सदस्य हैं, जो कम से कम पांच राज्यों में फैले हुए हैं.
उन्होंने बताया कि हालांकि इस संगठन का कोई नाम नहीं है. पता चला है कि इस गिरोह का मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक में नेटवर्क फैला हुआ है. हालांकि गिरोह की उत्तर प्रदेश में मौजूदगी का पता नहीं चल सका है.
एक ही बंदूक से की गई थी गौरी लंकेश-कलबुर्गी की हत्या
मामले की जांच कर रही SIT के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, गौरी लंकेश, गोविंद पनसारे और एमएम कलबुर्गी को एक ही बंदूक से गोली मारी गई थी. एसआईटी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘वाघमोरे ने गौरी को गोली मारी और फरेंसिक जांच से इस की पुष्टि भी हुई है कि गोविंद पनसारे, एमएम कलबुर्गी की हत्या उसी हथियार से की गई.’
उन्होंने कहा कि हथियार का अभी पता नहीं लगाया जा सका है.फॉरेंसिक से इस बात की पुष्टि तब हुई है और गोली के पिछले हिस्से पर एक ही तरह का निशान बना हुआ मिला.
अभी भी गिरोह के निशाने पर हैं देशभर की 26 शख्सियतें
जांच में यह भी सामने आया है कि गौरी लंकेश, गोविंद पानसरे और एमएम कलबुर्गी की हत्या के लिए बनाए गए गिरोह के निशाने पर देशभर की 26 शख्सियतें और हैं. इनमें से आठ टार्गेट तो कर्नाटक के रहने वाले हैं. गिरोह ने जिन शख्सियतों को अपना अगला टार्गेट बना रखा है, उनमें एक ही समानता है कि वे सभी हिंदुत्व का विरोध करने वाले हैं.
कर्नाटक पुलिस ने गिरोह के अगले टार्गेट से जुड़ी यह जानकारी प्रत्येक राज्य के खुफिया विभागों को भी दे दी है. कर्नाटक पुलिस को टी. नवीन कुमार कि गिरफ्तारी के रूप में गौरी लंकेश हत्याकांड में पहली अहम सफलता मिली थी. इसके बाद जांच टीम ने प्रवीण उर्फ सुजीत कुमार और अमोल काले को गिरफ्तार किया, जिनसे अहम जानकारियां मिलीं.
पहले पुलिस अमोल काले को ही मुख्य आरोपी मान रही थी, जिसने गौरी लंकेश को गोली मारी. लेकिन बाद में अमोल काले की डायरी से लिखे कोदेवोर्क को क्रैक करने के बाद पुलिस ने मुख्य हत्यारे वाघमोरे को गिरफ्तार किया.
पुलिस का कहना है कि गौरी लंकेश की हत्या में शामिल तीन और लोगों की तलाश अभी जारी है. इन तीन संदिग्धों में वह मोटरसाइकिल ड्राइवर भी शामिल है, जिसके पीछे बैठकर वाघमोरे गौरी लंकेश की हत्या करने गया था.