लखनऊ। कभी बहुजन समाज पार्टी में खास अहमियत रखने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या ने बसपा सुप्रीमो मायावती के द्वारा खुद के सम्मान में देवी शब्द के प्रयोग पर बखूबी चुटकी ली है।
लोकतांत्रिक बहुजन मंच के संस्थापक स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा है कि सुप्रीमो मायावती दलितों की देवी न होकर, स्वार्थ की देवी हैं। साथ ही उन्होंने बसपा प्रमुख पर आरोप लगाते हुए कहा कि दलितों से उनका असल में कोई लेना देना नहीं है, वे दलितों का सिर्फ अपने स्वार्थ में उपयोग करती हैं एवं उनके वोटों का सौदा करती हैं।
दलितों को मायावती ने कभी अपना नहीं माना !
पश्चिमी यूपी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में रविवार को पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान स्वामी ने कहा कि दलितों का यह बड़प्पन है कि वे मायावती को देवी मानते हैं। लेकिन मायावती ने दलितों को कभी अपना नहीं माना। पिछले साढ़े चार वर्षों के दौरान हजारों दलितों का उत्पीड़न हुआ, दलित महिलाओं का बलात्कार हुआ, दुराचार हुआ। दलित महिलाओं की हत्या करके लाशें टांग दी गईं, दलित बेघर हो गए। लेकिन दलितों की देवी ने कभी उनकी पीड़ा महसूस नहीं की।
जब खुद पर गुजरी तो धरती-पहाड़ उठा लिया
स्वामी ने मायावती पर हमला बोलते हुए कहा कि जब खुद पर हमला हुआ तो उसे मुद्दा बना दिया गया। धरना-प्रदर्शन का ऐलान कर दिया गया। मौर्या ने ये भी कहा कि अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने वालीं दलितों की देवी ने यदि दलितों के उत्पीड़न के खिलाफ धरना प्रदर्शन का ऐलान किया होता तो उन्हें बसपा छोड़ने की जरूरत नहीं पड़ती।
अमीन हैं नसीमुद्दीन, नहीं निकालेंगी मायावती
मौर्य के मुताबिक मायावती को अपनी कमाई तो बंद करवानी नहीं है। तो नसीमुद्दीन को निकाला भी नहीं जा सकता। दरअसल नसीमुद्दीन अमीन हैं। वे चाहे जितनी बड़ी गलती कर दें उन्हें मायावती कभी नहीं निकाल सकतीं।
आज होगी लखनऊ मंडल की बैठक
22 सितंबर की रैली की तैयारी के लिए स्वामी प्रसाद मौर्या ने वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई है। इसमें रैली की सफलता के लिए सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विचार-विमर्श किया जाएगा। पश्चिमी यूपी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक कर मंडलवार भ्रमण कार्यक्रम तय किया गया है।
रैली की तैयारियों का जायजा
मीडिया को जानकारी देते हुए मौर्य ने बताया 20 अगस्त बरेली, 21 को मुरादाबाद, 22 सहारनपुर, 23 मेरठ, 28 को कानपुर, 29 अलीगढ़, 30 को आगरा मंडल की बैठक कर रैली की तैयारियों का जायजा लिया जाएगा।
मायावती को हार के और करीब ले जा रही है
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो स्वामी समेत कई अनेक वरिष्ठ नेताओं के द्वारा बसपा से अलग होने की गलती मायावती को हार के और करीब ले जा रही है। हां, दयाशंकर के बयान के बाद एक ऐसा वक्त जरूर आया था कि सहानुभूति माया पर जमकर मेहरबान थी लेकिन बसपा के प्रदर्शन में प्रयोग की गई गालियों के बाद स्थिति और बद्तर हो गई।
दयाशंकर की पत्नी स्वाति सिंह के समर्थन में अब लोग
और दयाशंकर की पत्नी स्वाति सिंह के समर्थन में अब लोग नजर आ रहे हैं। यदि माया बनाम स्वाति मुकाबला हुआ तो संभव है कि मायावती को बसपाई द्ववारा लगाए गए पेश करो वाले नारों का खामियाजा भुगतना पड़े।