लखनऊ। समाजवादी पार्टी के शासनकाल में ताकतवर मंत्री रहे आजम खां जौहर विश्वविद्यालय को लेकर मुश्किलों में घिरते जा रहे हैैं। मुख्यमंत्री के यहां हुई शिकायत के बाद जांच में सामने आया है कि उन्होंने विश्वविद्यालय के लिए नियमों के विपरीत दलितों की जमीन का बैनामा करा लिया। इसके बाद जिलाधिकारी रामपुर ने राजस्व परिषद में उनके खिलाफ दस निगरानी वाद दायर कराए हैैं।
मुख्यमंत्री आदित्य नाथ योगी के यहां इस बारे में शिकायत इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, रामपुर के अध्यक्ष आकाश कुमार सक्सेना ने दर्ज कराई थी। भाजपा सरकार में दो बार मंत्री और चार बार विधायक रहे शिव बहादुर सक्सेना के पुत्र आकाश ने बुधवार को पत्रकार वार्ता में कहा कि आजम खां ने रामपुर में दलितों की जमीन विश्वविद्यालय के नाम कराकर दलितों के अधिकारों का हनन किया है। उन्होंने इसके लिए कलेक्टर की अनुमति भी नहीं ली। तहसीलदार और कानूनगो की मिलीभगत से दलितों की लगभग सौ बीघा जमीन विश्वविद्यालय यानी मौलाना जौहर अली ट्रस्ट के नाम की गई।
फाइलों से गायब हुए कागजात : आकाश सक्सेना ने बताया कि अनुसूचित जाति के व्यक्ति के नाम भूमि का पट्टïा होने के कारण उसे जौहर विश्वविद्यालय के नाम नहीं किया जा सकता था, लेकिन, इस प्रकरण में उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम-1950 का उल्लंघन किया गया। शिकायत किए जाने पर मंडलायुक्त ने डीएम से जांच कराई। शिकायत में पाया गया है कि रामपुर के तहसील सदर की ग्रामसभा सिंग्नखेड़ा व शौकतनगर में निवास करने वाले दलितों की जमीन मौलाना जौहर अली ट्रस्ट के नाम कराई गई। इसमें ग्राम सिग्नेखेड़ा के कई दलित सीलिंग पट्टेदार के रूप में अंकित थे। दलितों की भूमि की बिक्री जिलाधिकारी की अनुमति के बिना नहीं की जा सकती। इस पूरी कार्यवाही के कागज भी गायब करा दिए गए हैैं।
कई दलित हो गए भूमिहीन
आकाश ने कहा कि विश्वविद्यालय के नाम जमीन हो हो जाने से कई दलित भूमिहीन हो गए हैैं। जो दलित कमजोर व असहाय थे, वह इंसाफ पाने की लड़ाई नहीं लड़ सके। पूरा खेल नियोजित रूप से किया गया। सबसे पहले दलितों की भूमि अपने खासमखास और सपा के एक नेता के परिवार के नाम दर्ज हुई। फिर उनसे जौहर विश्वविद्यालय के नाम बैनामा करा लिया गया। दलितों का नाम भूमिधर के रूप में खतौनी में अंकित नहीं था। इस कारण उन्हें बिक्री का अधिकार ही नहीं था। इसके साथ ही उन्होंने ट्रस्ट पर भी सवाल उठाए और बताया कि डीएम रामपुर पहले ही हलफनामा दे चुके हैैं कि यह ट्रस्ट नहीं सोसाइटी है। इसमें आजम के परिवार के सात सदस्य शामिल हैैं।
अखिलेश-मायावती पर साधा निशाना
आकाश सक्सेना ने कहा कि इस पूरे मामले में सिर्फ आजम ही दोषी नहीं हैैं। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी जिम्मेदार हैैं क्योंकि उन्होंने शिकायतों की अनदेखी की और अरबों रुपये जौहर विश्वविद्यालय को दे दिए। दलितों का उत्पीडऩ उनकी जानकारी में हुआ। इसके साथ ही उन्होंने मायावती से भी पूछा है कि क्या वे इस मामले में दलित हितों की रक्षा के लिए आगे आयेंगी?
मामला कई साल पुराना है। इस मामले में मंडलायुक्त ने ही फैसला सुनाया था। बाद में सरकार ने जांच कराई और पिछले दिनों मंडलायुक्त ने ही राजस्व परिषद में अपील दायर करने के आदेश दिए थे। उसी के अनुपालन में राजस्व परिषद में अपील दायर कराई गई हैं।