मानवीय मूल्य और यथार्थ के करीब फिल्में

मानवीय मूल्यों और यथार्थवादी धारा की फिल्में बनाने के लिए विश्व सिनेमा में पहचाने गए सत्यजीत रे न सिर्फ फिल्म निर्देशक थे, बल्कि कहानीकार, सिनेमेटोग्राफी, पटकथा लेखन, और सिनेमा के हर पहलू के जानकार थे. उनकी फिल्में वास्तविकता के करीब होती थीं. इन फिल्मों में ‘पाथेर पांचाली’, ‘अपूर संसार’, ‘अपराजितो’, ‘जलसा घर’, ‘चारूलता’, ‘शतरंज के खिलाड़ी’ जैसी तमाम फिल्में हैं. इनमें से हिन्दी में बनी ‘शतरंज के खिलाड़ी’ रही है. एकमात्र फिल्म फिल्मों की शूटिंग के संदर्भ में उनके बारे में कहा जाता है कि सत्यजित राय शूटिंग से पहले संवादों की रिहर्सल नहीं करवाते थे जैसे कि अन्य निर्देशक करवाते हैं. संवाद उनकी फिल्मों में नाटक से बहुत भिन्न भूमिका निभाते हैं, और ये वातावरण का इतना अविभाज्य हिस्सा होते हैं कि एक कमरे के भीतर इनकी रिहर्सल करना इन्हें अर्थहीन बना सकता है.

नौसिखियों को लेकर बनी थी ‘पाथेर पांचाली’

1950 के दशक में सत्यजीत रे इंग्लैंड गए थे. वहीं उन्होंने फिल्में देखी और भारत में फिल्म बनाने का फैसला किया. 1952 में एक नौसिखिया टीम के साथ उन्होंने फिल्म की शूटिंग शुरू की. कोई फाइनांसर तो था नहीं, लिहाजा अपना पैसा ही लगाना पड़ा. बाद के दिनों में पश्चिम बंगाल की सरकार ने थोड़ी आर्थिक सहायता की. इसके बाद उनकी कालजयी फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ पर्दे पर आई. रिलीज होने के साथ ही इस फिल्म ने दर्शकों और फिल्म समीक्षकों का दिल जीत लिया. ‘पाथेर पांचाली’ को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले. इनमें कांस फिल्म फेस्टिवल का प्रतिष्ठित विशेष पुरस्कार बेस्ट ह्यूमन डॉक्यूमेंट अवॉर्ड भी शामिल है.

सिनेमा में योगदान के लिए मिला ‘भारत रत्न’

सत्यजीत रे को भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक ले जाने वाला महान फिल्मकार माना जाता है. आज देश से लेकर दुनिया के कई देशों के फिल्म अध्ययन संस्थानों में उनकी फिल्में पढ़ाई जाती हैं. भारतीय सिनेमा जगत में उनके अतुलनीय योगदान के लिए भारत सरकार की ओर से उन्हें कई पुरस्कार दिए गए. इनमें ‘पद्मश्री’, ‘पद्म भूषण’, ‘पद्म विभूषण’, ‘दादा साहेब फाल्के सम्मान’ जैसे कई पुरस्कार शामिल हैं. वर्ष 1992 में उन्हें कला और संस्कृति के क्षेत्र में अपने अतुलनीय योगदान के लिए देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ देकर सम्मानित किया गया.

सत्यजीत रे को दिया गया ऑस्कर पुरस्कार:-