दरअसल, सरकारी विभागों में रिक्त पड़े पदों पर भर्ती को लेकर ओमप्रकाश राजभर ने सरकार से कहा है कि जब तक आरक्षण का वर्गीकरण न हो जाए तब तक किसी विभाग में भर्ती न की जाए।
उन्होंने मंगलवार को अपने सरकारी आवास पर पत्रकार वार्ता की। उन्होंने रैली आयोजित करने का औचित्य तो बताया ही, साथ ही शासन के कुछ अधिकारियों पर सरकार को बदनाम करने का आरोप लगाकर अपने तेवर का संकेत भी दिया। उन्होंने बताया कि 1990 में पिछड़ी जातियों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन सच्चाई यह है कि आरक्षण का लाभ कुछ जातियां ही उठा रही हैं।
मसलन राजभर, चौहान, मौर्या, कुशवाहा, प्रजापति, पाल, नाई, गौड़ कहार, गोसाईं, बिंद, केवट, मल्लाह, तुरहा, गुप्ता, चौरसिया, लोहार, कोहार व बियार आदि जातियों को अब तक आरक्षण नहीं मिल रहा है। इसी तरह अति दलित की श्रेणी में आने वाले मुसहर, बांसफोर, डोम, मेहतर, पासवान, कमकर, धोबी, पासी, खटिक व नट जैसी जातियों को अनुसूचित जाति के लिए लागू 22.5 प्रतिशत आरक्षण में हिस्सेदारी नहीं मिल पाई है। इसलिए भासपा चाहती है कि इन जातियों को लाभ दिलाने के लिए आरक्षण का वर्गीकरण कराया जाए। वह इसकी लड़ाई लड़ रहे हैं।