याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस राजन गुप्ता ने कहा कि इसका कोई औचित्य नहीं है, इसलिए याचिका को खारिज किया जाता है। हाई कोर्ट ने कहा कि युवराज नहीं पेश कर पाए दस्तावेज, इसलिए याचिका खारिज हुई। गौरतलब है कि युवराज सिंह ने जून 2015 में यह याचिका दायर की थी। तब से अब तक 19 सुनवाई हुई, लेकिन हाईकोर्ट ने किसी पक्ष को नोटिस जारी नहीं किया था।
याचिका पर पहली सुनवाई पर ही हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी कि संविधान में हर किसी को अपनी बात कहने की आजादी है, बशर्ते वह एक सीमा में हो। याचिकाकर्ता के ससुराल वाले अगर कोई प्रेस वार्ता करते हैं तो मीडिया के प्रकाशित करने पर रोक कैसे लगाई जा सकती है।
बता दें कि युवराज सिंह, उनकी मां शबनम सिंह और जोरावर सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर उनके पारिवारिक मसले पर मीडिया की दखलअंदाजी का आरोप लगाते हुए प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। आरोप था कि जोरावर की पत्नी के परिवार वाले उनकी छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं और इसके लिए प्रेस वार्ता की जा रही है।
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