दोनों नेताओं ने कहा कि अमेरिका और भारत के बीच रिश्ता पारस्परिक हितों से परे है और उसे द्विपक्षीय संबंधों से कहीं आगे ले जाया जा सकता है। दोनों देशों का मिलकर काम करना एशिया के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि दोनों के बीच सहयोगात्मक संबंधों से जाहिर है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक मुद्दों पर आगे बढ़ा जा सकता है।
पीएम मोदी ने ट्रंप को आश्वस्त किया कि भारत इस बात की कोशिश करेगा कि वह अमेरिका और विश्व की उम्मीदों पर खरा उतर सके। उन्होंने ट्रंप की इस बात पर आभार जताया कि पिछले कुछ दिनों से एशिया दौरे पर अमेरिकी राष्ट्रपति को जब भी भारत के बारे में बोलने का मौका मिला, उन्होंने देश की प्रशंसा की।
सम्मेलन से इतर पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने रक्षा और सुरक्षा समेत कई द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की। यह मुलाकात हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त, खुला व समावेशी रखने के लिए चतुर्भुज गठबंधन को आकार देने के मकसद से भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के अधिकारियों के बीच सामरिक महत्व पर बैठक के ठीक एक दिन बाद हुई।
मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका न सिर्फ हितों के लिए बल्कि एशिया के भविष्य और समूची दुनिया में मानवता के लिए काम कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि दुनिया को भारत से अमेरिका के प्रति जो भी उम्मीदें हैं, उन्हें हम हमेशा पूरा करते रहे हैं और भविष्य में भी ऐसा ही करते रहेंगे।
चीन का सामना करने के मकसद से चतुर्भुज गठबंधन
राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा इंडो-पैसिफिक (हिंद-प्रशांत) शब्द का प्रयोग करने से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि इसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच चतुर्भुज गठबंधन शामिल है। इस गठबंधन को लेकर माना जा रहा है कि वाशिंगटन कुछ ऐसा करना चाहता है ताकि चीन का सामना किया जाए। इस संबंध में कल एक बैठक भी मनीला में हो चुकी है, जिसमें दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता की पृष्ठभूमि में यह पहल की गई है। सामरिक महत्व के लिए एशिया प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका, भारत की बड़ी भूमिका की पैरवी कर रहा है।
हमने कभी किसी का कुछ नहीं छीना, इतिहास गवाह: मोदी
आसियान बैठक के पहले दिन जहां दक्षिण चीन सागर विवाद का मुद्दा गरमाया रहा, वहीं मोदी ने क्षेत्र में शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि भारत ने कभी किसी का नुकसान नहीं किया है और हमेशा देने की संस्कृति में रखता है। फिलीपींस में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘इतिहास गवाह है कि हमने कभी किसी से कुछ नहीं छीना, बल्कि दिया ही। हमने पहले और दूसरे विश्वयुद्ध में 1.5 लाख सैनिकों का बलिदान दिया।’