राम आसरे की लाश शनिवार को अत्रा रेलवे स्टेशन पर मिली थी। एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं हो पाने पर, मृत व्यक्ति के रिश्तेदारों को ये कदम उठाना पड़ा। जब चीफ़ मेडिकल ऑफ़िसर संतोष कुमार से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ‘आसरे के परिवार वालों ने एंबुलेंस की ज़रूरत को लेकर हमसे कोई बात नहीं की, बल्कि हमने तो खुद उन्हें पोस्टमॉर्टम के बाद एक एंबुलेंस मुहैया कराई थी ताकि उनका क्रियाकर्म कराया जा सके’।
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गौरतलब है कि पिछले महीने भी उत्तर प्रदेश से एक ऐसी ही घटना सामने आई थी। एक सात साल की मृत बच्ची के लिए जब एंबुलेंस नहीं मिली थी, तो इस लड़की के अंकल को उसकी डेड बॉडी को उधार की साइकिल से दस किलोमीटर दूर स्थित अपने गांव ले जाना पड़ा था। पूनम की मौत एक अस्पताल में इलाज के दौरान हुई थी। वहीं इटावा में एक मज़दूर को अपने 15 साल के बेटे को कंधा देना पड़ा था और इस बार भी वजह वही थी। पिछले कुछ महीनों में उत्तर प्रदेश में आम हुई इस समस्या को लेकर प्रशासन और राज्य सरकार को कुछ कड़े कदम उठाने की ज़रूरत है।
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