भारत सरकार के नोटबंदी के फैसले ने इलाहाबाद के बैंक कैशियर की जान ले ली। मृतक कैशियर के परिजनों का आरोप है कि जिस तरीके से पिछले कई दिनों से बैंकों में 17-18 घंटे लगातार काम करना पड़ रहा था उससे दबाव से वो परेशान थे।
इसके चलते दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई। मृतक ने काम के प्रेशर और नोटबंदी से हो रही परेशानी से जुड़े कई पोस्ट फेसबुक पर डाल रखे थे। परिजन अब नोटबंदी के फैसले को कोस रहे हैं और पीएम मोदी से इंसाफ मांग कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक इलाहाबाद में बड़ौदा उत्तरप्रदेश ग्रामीण बैंक के हेड ऑफिस के कैशियर पीयूष कुमार शुक्ला नहीं रहे। छुट्टी के बावजूद रविवार सुबह पीयूष बैंक जाने की तैयारी कर रहे थे। तभी किसी का फोन आया। फोन रखते ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा। पत्नी और बेटी उन्हें कार से अस्पताल ले जा रहे थे लेकिन रास्ते में ही उनकी सांस उखड़ गई। पीयूष की बेटी कहना था की कई दिनों से घंटों काम करने और उसके तनाव से पापा परेशान थे। इसके पहले पापा रोज सुबह बैडमिंटन खेलते थे और योग करते थे इससे वे फिट रहते थे, उन्हें कोई बीमारी नहीं थी। नोटबंदी के बाद वे घर से जाते तो रात करीब डेढ़ बजे आ पाते थे।
नहीं सह पाए काम का इतना दबाव
परिजनों के मुताबिक पीयूष पर बैंक की सभी ब्रांच में पैसे भेजने और वहां से आई रकम बैंक में रखवाने का काम था। इसके अलावा वे अपनी ब्रांच में कैशियर का काम भी देखते थे। नोटबंदी के बाद हर ब्रांच मैनेजर उन पर ज्यादा से ज्यादा छोटे नोट अपने यहां भेजने का दबाव डालता था। इस पर दिन में कई बार उनकी झड़प भी हो जाया करती थी। बेटी ने बताया कि इस वजह से पापा काफी परेशान थे। अपनी परेशानी वे मम्मी से शेयर करते थे।
फेसबुक पर भी लिखा था दर्द
पिता की मौत के बाद बेटी सहित पूरा परिवार सदमे में है और नोटबंदी को कोस रहा है। बेटी ने बताया कि पापा नोटबंदी के चलते लोगों को हो रही परेशानी से भी काफी दुखी थे। इसको लेकर उन्होंने अपने फेसबुक एकाउंट पर कई पोस्ट भी डाली थी। वहीं, बैंक के गार्ड के मुताबिक शनिवार रात करीब एक बजे बैंक बंद हुआ था। पीयूष ने घर जाने के बाद रात दो बजे एक पोस्ट डाली थी। वहीं, दूसरी ओर सहकर्मी की मौत से बैंक के दूसरे कर्मचारी भी सदमें में हैं।
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