राष्ट्रीय

नौसेना यमन में फंसे 38 भारतीयों को लार्इ वापस, 12 की अभी भी हो रही तलाश

हाल ही में भयंकर समुद्री तूफान के कारण यमन के नजदीक सोकोत्रा द्वीप में करीब 50 भारतीय नागरिक फंस गए थे। एेसे में भारतीय नौसेना ने बीते शनिवार को  एक आॅपरेशन चलाते हुए 38 भारतीयों को सुरक्षित निकाल लिया। हालांकि अभी भी 12 लोग अभी लापता हैं। उनकी तलाश की जा रही है।  दस दिनों से इस सोकोत्रा द्वीप में  में फंसे इन 38 भारतीयों ने बताया कि वहां पर उनके लिए पानी और खाने का संकट था। वह किसी तरह से अपने देश वापस आना चाहते थे। वहीं नौसेना के चलाए गए इस आॅपरेशन को लेकर  नौसेना के प्रवक्ता कैप्टन डीके शर्मा का कहना है कि इस बचाव अभियान को ऑपरेशन निस्तर का नाम दिया गया है।  24 मई को समुद्री तूफान आने से ये भारतीय फंस गए थे नौसेना ने शनिवार को अदन की खाड़ी के नजदीक मौजूद अपने युद्धपोत आइएनएस सुनयना को सोकोत्रा द्वीप की ओर रवाना किया था।एेसे में युद्धपोत रविवार सुबह द्वीप के तट पर जा पहुंचा। इसके बाद युद्धपोत आइएनएस सुनयना  38 भारतीयों को वापस लाने के लिए रवाना हुआ। इस दौरान इन भारतीयों को टेलीफोन के माध्यम से उनके परिजनों से बात करार्इ गर्इ। सभी के चेहरे पर खुशी साफ दिख रही थी। प्रवक्ता कैप्टन डीके शर्मा ने यह भी बताया कि ये सभी  तीन नावों में सवार थे। इन दौरान नौसेना ने सूचना मिलने पर 28 और 29 मई को उनकी तलाश की थी लेकिन सफलता नहीं मिली थी। बता दें कि 24 मई को समुद्री तूफान आने से ये भारतीय फंस गए थे।

हाल ही में भयंकर समुद्री तूफान के कारण यमन के नजदीक सोकोत्रा द्वीप में करीब 50 भारतीय नागरिक फंस गए थे। एेसे में भारतीय नौसेना ने बीते शनिवार को  एक आॅपरेशन चलाते हुए 38 भारतीयों को सुरक्षित निकाल लिया। हालांकि अभी भी …

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एएसपी साहनी मामले में सीबीआई जांच को लेकर आईपीएस और पीपीएस के बीच तनातनी तेज

LUCKNOW : एटीएस के एएसपी राजेश साहनी की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले का केस सीबीआई ने अभी दर्ज नहीं किया है। चार दिन पहले गृह विभाग से इस मामले से जुड़े दस्तावेज ले जाने के बावजूद केस दर्ज किए जाने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया जा सका है। ध्यान रहे कि सीबीआई ने उन्नाव कांड में राज्य सरकार के नोटिफिकेशन के चौबीस घंटे के भीतर केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। यूपी पुलिस के जिंदादिल अफसर की मौत के मामले में सीबीआई जांच में देरी से तमाम सवाल उठने लगे हैं। खुद राजेश के दोस्त विनोद कापरी जो फिल्म डायरेक्टर भी हैं, उन्होंने सोमवार को ट्वीट के जरिए कई सवाल उठाए।  मुख्यालय से नहीं मिली हरी झंडी सूत्रों की मानें तो राजधानी स्थित सीबीआई के जोनल कार्यालय को अभी तक मुख्यालय से केस दर्ज करने की अनुमति नहीं मिली है। इससे पहले केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय द्वारा सीबीआई द्वारा जांच टेकओवर करने का नोटिफिकेशन भी जारी होना है। वहीं इस मामले में कोई एफआईआर न होना भी जांच में रोड़ा बन सकता है। इन हालात में सीबीआई को पहले प्रारंभिक जांच कर घटना से जुड़े अहम तथ्य और सुबूत जुटाने होंगे ताकि यदि कोई शक के घेरे में आता है तो उसके खिलाफ केस दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू की जा सके। ध्यान रहे कि इस मामले की एफआईआर दर्ज कराने को लेकर पहले दिन से ही पीपीएस एसोसिएशन द्वारा मांग उठाई जा चुकी है। बावजूद इसके अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गयी है। हालांकि रविवार देर रात राज्य सरकार ने राजेश साहनी की पत्नी को ओएसडी का पद देने, बेटी की पढ़ाई का खर्च उठाने और सरकारी आवास खाली न कराने का ऐलान कर उनके जख्मों पर मरहम लगाने की कवायद की है। दोस्त ने उठाए सवाल वहीं राजेश के दोस्त विनोद कापरी ने सोमवार को फिर से इस मामले को लेकर ट्वीट किया कि 'कल रात से यूपी एटीएस के अफसर की तरफ से मीडिया में खबरें प्लांट कराई जा रही हैं कि राजेश साहनी ने पारिवारिक कारणों से आत्महत्या की और सुबूत के तौर पर दिखाए जा रहे चार मैसेज और चार कॉल। सवाल है कि क्यों नहीं अब तक एफआईआर हुई? सीबीआई जांच कब शुरू होगी? असीम को क्यों नहीं हटाया गया?' इधर जारी है तनातनी खास बात यह है कि जहां सूबे के कुछ आईपीएस अफसर इस मामले को सुसाइड करार देकर सीबीआई जांच की प्रासंगिकता पर सवाल उठा रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर पीपीएस भी इस बार हार मानने को तैयार नहीं हैं। खासा दबाव होने के बाद भी पीपीएस अफसर इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने और सीबीआई से जांच कराने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। दरअसल सीबीआई द्वारा जांच टेकओवर न किए जाने से भी उनका असंतोष बढ़ता जा रहा है।  परिवार को किए मैसेज पर अलग राय दरअसल घटना के दिन राजेश साहनी की पत्नी और बेटी के बीच कुछ वाट्सएप मैसेज को लीक किया गया है। इन्हें लेकर आईपीएस अफसरों की राय भी अलग-अलग है। राजधानी में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसे सामान्य करार दिया है तो कुछ अफसर इसे ही सुसाइड की वजह बताने पर तुले हुए हैं। 

LUCKNOW : एटीएस के एएसपी राजेश साहनी की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले का केस सीबीआई ने अभी दर्ज नहीं किया है। चार दिन पहले गृह विभाग से इस मामले से जुड़े दस्तावेज ले जाने के बावजूद केस दर्ज किए जाने को …

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बड़ी खबर: बालकृष्ण की फूडपार्क पर धमकी से यूपी सरकार में मचा हड़कंप

पतंजलि आयुर्वेद के एमडी व पतंजलि योगपीठ के सह संस्थापक आचार्य बालकृष्ण द्वारा यमुना एक्सप्रेस वे (नोएडा) पर प्रस्तावित पतंजलि फूडपार्क को यूपी के बाहर ले जाने के एलान से सरकार में हड़कंप मच गया। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने …

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शपथ ग्रहण करते ही येदियुरप्पा ने खेला बड़ा दांव, महज औपचारिक घोषणा बाकी

बेंगलुरू। बी. एस. येदियुरप्पा ने गुरुवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ घंटे बाद कहा कि वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चुनावी वादे के अनुसार पूरे राज्य के किसानों के फसल ऋण को जल्द ही माफ करेंगे। येदियुरप्पा ने यहां मीडिया से कहा, “मैंने किसानों से वादा किया था कि मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद मैं किसानों के एक लाख रुपये तक के फसल ऋण को माफ कर दूंगा। मैंने मुख्य सचिव (के. रत्ना प्रभा) को इस बारे में जानकारी देने के लिए कहा है और हम लोग दो दिनों में ऋण माफी की घोषणा करेंगे।” भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में सरकार बनाने की स्थिति में सभी किसानों द्वारा राष्ट्रीयकृत और सहकारी बैंकों से लिए गए एक लाख रुपये तक के फसल ऋण को माफ करने का वादा किया था। पार्टी ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि सरकार बनने के बाद पार्टी छोटे और शुष्क भूमि वाले सीमांत किसानों को 10,000 रुपये सीधे देकर मदद करेगी और सुनिश्चित करेगी कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मुल्य का डेढ़ गुना मिले। पार्टी ने कीमतों के उतार-चढ़ाव के दौरान 5000 करोड़ रुपये की ‘रैथा बंधु मार्केट इंटरवेंशन फंड’ की भी घोषणा की थी और इसके साथ ही किसानों की परियोजनाओं के निरीक्षण के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय के अधीन ‘रैथा बंधु’ विभाग स्थापना करने की घोषणा की थी। पार्टी ने चुनाव से पहले कहा था, “राज्य के 1,000 किसानों को प्रति वर्ष ‘चीफ मिनिस्टर फैलोशिप फॉर एग्रीकल्चर’ के अंतर्गत बेहतर कृषि कार्यो के अध्ययन के लिए इजरायल और चीन जैसे देश भेजा जाएगा।”

बेंगलुरू। बी. एस. येदियुरप्पा ने गुरुवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ घंटे बाद कहा कि वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चुनावी वादे के अनुसार पूरे राज्य के किसानों के फसल ऋण को जल्द ही माफ …

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साइंटिस्ट का दावा, एक बार फिर खतरे में बाबा केदार का गढ़, वजह बना विकास

केदारनाथ धाम करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक है। लेकिन साल 2013 की आपदा के बाद इस धाम के साथ कई मसलों पर राजनीति और बयानबाज़ी  का दौर जारी है। कभी आपदा को लेकर तो कभी पुनर्निर्माण कार्यो को लेकर और कभी पीएम मोदी के टूर को लेकर चर्चाएं जारी रहती हैं। लेकिन इस बार अब चर्चा हो रही है कि आखिर केदारनाथ में इतना निर्माण कार्य क्यों हो रहा है। सरकार कहती है कि नया केदारनाथ मोदी का सपना है। तो वहीं कांग्रेस कहती है कि ये काम तो उनके समय मे ही शुरू हो गए थे और इसमें नया क्या है। लेकिन केदारनाथ धाम में काम करने वाले वैज्ञानिक कह रहे हैं कि जब 2013 के बाद हालात बदल गए और सरकार ने पूर क्षेत्र पर वैज्ञानिक और तकनीकी रिपोर्ट तैयार करवाई तो अब उसका पालन क्यों नहीं हो रहा है वाडिया संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. डीपी डोभाल की माने तो वो चोरबाड़ी ग्लेशियर पर अध्ययन कर रहे हैं। आपदा के बाद के हालात और बड़े पैमाने पर रिसर्च किया। जिसकी रिपोर्ट सरकार को दी।  उनकी नजर में जो भारी निर्माण वहां हो रहा है वो केदारपुरी के लिए सही नहीं है। सरकार ने उनकी कुछ राय को तो माना लेकिन कच्चे स्थान पर इतना निर्माण कार्य सही नहीं है। वो कभी भी खतरा पैदा कर सकता है और कभी भी मंदिर को खतरा पैदा हो सकता है। वहीं वैज्ञानिकों की इस बात से बद्री केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष भी इत्तेफाक रख रहे हैं। गोदियाल ने कहा कि मैं लगातार इस बात को कह रहा हूं। वहां जो भी निर्माण कार्य हो रहे है उन पर विषेशज्ञों की राय जरूर ली जाए। वे मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री से अनुरोध कर रहे है। गोदियाल ने कहा कि वहां ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए जिससे भविष्य में केदारपुरी में मानव निर्मित खतरा पैदा हो।

केदारनाथ धाम करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक है। लेकिन साल 2013 की आपदा के बाद इस धाम के साथ कई मसलों पर राजनीति और बयानबाज़ी  का दौर जारी है। कभी आपदा को लेकर तो कभी पुनर्निर्माण कार्यो को लेकर और कभी …

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अभी-अभी: ट्रेन में सफर करने वालों के लिए आई होश उड़ा देने वाली खबर…

ट्रेन में सफर करने के बारे में ऐसी जानकारी सामने आई है, जो आपके होश उड़ा देगी। अगर सावधानी बरतेंगे तो फंसने से बच जाएंगे, पढ़ें खुलासा। इसे विभागीय अधिकारियों की लापरवाही कहा जाएगा या फिर अनदेखी, कि विभिन्न मार्गों पर चलने वाली पैसेंजर व एक्सप्रेस ट्रेनों में रात के समय सुरक्षा भगवान भरोसे रहती है। अमर उजाला की टीम ने शनिवार रात रोहतक रेलवे स्टेशन पहुंचकर कई ट्रेनों की पड़ताल की तो चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई। अधिकतर ट्रेनों में पुलिसकर्मी नदारद थे। हालांकि रोहतक रेलवे स्टेशन पर जरूर जीआरपी गश्त करती नजर आई। पड़ताल के दौरान अमर उजाला को कुछ इस तरह का नजारा देखने को मिला ट्रेन – हरिद्वार बीकानेर एक्सप्रेस, समय – 12:45 बजे रात ट्रेन रोहतक रेलवे स्टेशन पर आकर रुकती है। पड़ताल के दौरान पाया गया कि किसी भी बोगी में सुरक्षा की दृष्टि से आरपीएफ का कोई भी पुलिसकर्मी तैनात नहीं था। सफर करने के बाद रेलवे स्टेशन पर उतरे दैनिक यात्री मनीष, सुनीता ने कहा कि रात के समय ट्रेनों में सुरक्षा न के बराबर रहती है। ट्रेन- पंजाब मेल समय-2 बजे रात यह ट्रेन प्लेटफार्म नंबर दो पर आकर रुकती है। रुकते ही ट्रेन से यात्रियों के उतरने व चढ़ने का क्रम जारी हो जाता है। कई बोगियों की पड़ताल की गई मगर पुलिसकर्मी नजर नहीं आए। पीछे वाली बोगी में जरूर एक पुलिसकर्मी तैनात था। उसने बताया कि स्टाफ की कमी के कारण कम पुलिसकर्मियों को ही लगाया जाता है। ट्रेन- गरीब रथ समय-1.45 बजे ट्रेन रोहतक रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर आकर रुकी। किसी भी बोगी में पुलिसकर्मी नजर नहीं आया। चंडीगढ़ से सवार हुए मलखान सिंह, मनोहर ने कहा कि कोई भी पुलिसकर्मी ट्रेन में नहीं है। कभी भी कोई वारदात हो सकती है। किसी भी बोगी में पुलिसकर्मी नजर नहीं आए। यह तीन उदाहरण तो बानगी भर मात्र हैं। यात्रियों का आरोप है कि रात में चलने वाली अधिकतर ट्रेनों से पुलिसकर्मी नदारद रहते हैं। जिसके कारण कई बार यात्रियों के साथ वारदात कर दी जाती है। कहां कहां लगाए पुलिसकर्मी आरपीएफ एसपी का कहना है कि विभाग में स्टाफ की भारी कमी है। प्रयास रहता है कि अधिकतर ट्रेनों में पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाए। हर ट्रेन में पुलिस तैनात करना संभव नहीं होता है। खुद अभियान चलाकर ट्रेनों में सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया जाएगा।

ट्रेन में सफर करने के बारे में ऐसी जानकारी सामने आई है, जो आपके होश उड़ा देगी। अगर सावधानी बरतेंगे तो फंसने से बच जाएंगे, पढ़ें खुलासा।   इसे विभागीय अधिकारियों की लापरवाही कहा जाएगा या फिर अनदेखी, कि विभिन्न …

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J&K : घुसपैठ की कोशिश कर रहे 4 आतंकी ढेर, सर्च ऑपरेशन जारी

जम्मू एवं कश्मीर के तंगधार सेक्टर में शनिवार तड़के सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों की घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया। इस दौरान मुठभेड़ में 4 आतंकवादियों को मार गिराया गया। यह अभियान श्रीनगर से लगभग 120 किलोमीटर दूर उत्तरी कश्मीर सीमा के तंगधार में शुरू हुआ, जो अभी भी चल रहा है। रक्षा प्रवक्ता ने कहा, “आज तड़के घुसपैठ का प्रयास कर रहे चार आतंकवादियों को मार गिराया गया।” हालांकि इलाके में और आतंकियों के होने की आशंका जताई जा रही है. आतंकियों की तलाश में सेना का सर्च ऑपरेशन जारी है यह घटना ऐसे समय में हुई है, जबकि एक दिन पहले ही सेना प्रमुख ने आतंकियों को चेतावनी भरे अंदाज में कहा था कि अगर वे घुसपैठ की कोशिश करते हैं तो उन्हें अंजाम भुगतना होगा। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने बीते शुक्रवार (25 मई) को कहा था कि “जम्मू कश्मीर में सेना की ओर से रोके गए अभियान की अवधि बढ़ाई जा सकती है, लेकिन आतंकवादियों की किसी भी हरकत पर इस पर तुरंत फिर से विचार करना होगा”। श्रीनगर से 95 किलोमीटर दूर पहलगाम में एक कार्यक्रम में जनरल रावत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर पाकिस्तान वाकई शांति चाहता है तो हम चाहते हैं कि वह सबसे पहले अपनी तरफ से आतंकवादियों की घुसपैठ कराना बंद करे। संघर्षविराम का उल्लंघन ज्यादातर घुसपैठ को मदद करने के लिए ही किया जाता है।’

जम्मू एवं कश्मीर के तंगधार सेक्टर में शनिवार तड़के सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों की घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया। इस दौरान मुठभेड़ में 4 आतंकवादियों को मार गिराया गया। यह अभियान श्रीनगर से लगभग 120 किलोमीटर दूर उत्तरी कश्मीर …

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पश्चिम बंगाल में पार्टी के कार्यकर्ताओं की हत्या से बौखलाए अमित शाह ने ममता को सुनाई खरी-खरी

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने शनिवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार भाजपा कार्यकर्ता की हत्या को रोकने में विफल साबित हुई। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था बिल्कुल विफल साबित हुई है। शाह ने ट्वीट के जरिए कहा, “पश्चिम बंगाल के बलरामपुर फिर भाजपा के दूसरे कार्यकर्ता दुलाल कुमार की हत्या के बारे में सुनकर दुखी हूं। पश्चिम बंगाल की धरती पर जारी बर्बरता व हिंसा शर्मनाक और अमानवीय है। ममता बनर्जी सरकार प्रदेश में कानून-व्यवस्था कायम करने में पूरी तरह विफल साबित हुई है।” भाजपा ने पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिला स्थित डाभा गांव में शनिवार की सुबह हाईटेंशन टावर से लटकते पाए गए 32 वर्षीय दुलाल को पार्टी कार्यकर्ता बताया है। भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस पर दुलाल की हत्या करने का आरोप लगाया है और मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच करवाने की मांग की है। अमित शाह ने एक अन्य ट्वीट में कहा, “मैं शोकसंतप्त परिवार के लिए अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। मैं लाखों भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ दुलाल के परिवार को दुख बांटता हूं। ईश्वर उनके परिवार को अपूरणीय क्षति को सहन करने की शक्ति दें। ओम शांति शांति शांति।” इलाके में भाजपा कार्यकर्ता त्रिलोचन महतों की हत्या के तुरंत बाद दुलाल की मौत हुई। पिछले बुधवार को 20 वर्षीय महतो का शरीर पुरुलिया के बलरामपुर में एक पेड़ से लटकता पाया गया। उसकी टी-शर्ट पर उसे भाजपा का समर्थन करने का दोषी करार देते हुए एक संदेश दिय गया था।

भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने शनिवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार भाजपा कार्यकर्ता की हत्या को रोकने में विफल साबित हुई। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि राज्य …

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अब 20 मिनट में उड़कर पहुंचे चंडीगढ़ से शिमला, आज से हेलिकॉप्टर सेवा शुरू

शिमला: चंडीगढ़ से शिमला जाने के लिए आज से हेलिकॉप्टर सेवा शुरू हो गई है. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आज हरी झंडी दिखाकर हेलिकॉप्टर सेवा शुरू कर दी है. हिमाचल प्रदेश सरकार ने पवन हंस लिमिटेड के सहयोग से …

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सीमा पर बार-बार सीजफायर तोड़ने और भारत में आतंकी हमले करवाने वाले पाकिस्तान की हरकतों पर दर्शकों के सवालों के जवाब

1. सवाल- 2014 के बाद देश के कितने जवान आतंकी हमलों में शहीद हुए, पाकिस्तान ने कितनी बार सीजफायर तोड़ा और भारतीय सुरक्षा बलों ने कितने आतंकी मार गिराए? (घनश्याम राजोरा, नीमच, मध्य प्रदेश) जवाब- जम्मू-कश्मीर में 2014 के बाद से आतंकी हमलों की 1150 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं. राज्य में आतंकी हमले की 2014 में 222 और 2015 में 208 घटनाएं हुई थीं, जबकि 2016 में ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़कर 322 और 2107 में 342 पर पहुंच गई. इन आतंकी हमलों में 2014 से अब तक भारतीय सुरक्षा बलों से तीन सौ से ज्यादा जवान शहीद हो चुके हैं. जबकि इस दौरान भारतीय सुरक्षा बलों ने कार्रवाई करते हुए 658 आतंकियों को मार गिराया. 2014 से अब तक पाकिस्तान 3400 से ज्यादा बार सीजफायर तोड़ चुका है. 2018 में ऐसी घटनाएं बहुत तेजी से बढ़ी हैं. इस साल 23 मई तक ही सीजफायर तोड़ने की 1088 घटनाएं हो चुकी थीं. सीजफायर तोड़कर हुए पाकिस्तानी हमलों में 2014 से अब तक देश के 67 जवान शहीद हो चुके हैं. 2. सवाल- क्या भारत पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब नहीं दे सकता? भारतीय फौज ने पाकिस्तान को जवाब देने के लिए क्या कार्रवाई की है? (आमिर, मुंबई; रेहान आलम, सऊदी अरब) जवाब- भारतीय सेना ने पाकिस्तान की हरकतों का हमेशा मुंहतोड़ जवाब दिया है. जुलाई 2016 में सेना ने हिजबुल मुजाहिदीन के खूंखार आतंकवादी बुरहान वानी को मार गिराया. इसके बाद 29 सितम्बर 2016 को भारत ने अपने जवानों पर हुए हमले का बदला लेने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की. 2017 में सेना ने श्रीनगर में आतंकियों का सफाया करने के लिए ऑपरेशन ऑलआउट चलाया, जिसमें 213 आतंकी मारे गए. इसी साल सेना की कार्रवाई के दौरान अबु दुजाना, बशीर लश्करी, जुनैद मट्टू, यासीन इट्टू उर्फ गजनवी और सबजार भट्ट जैसे 5 मोस्टवांटेड आतंकी मारे जा चुके हैं. 3. सवाल- भारत सरकार ने पाकिस्तानी आतंकवादियों को मिलने वाली टेरर फंडिंग बंद कराने के लिए क्या कोशिशें की हैं? (अतुल भदौरिया, एटा, यूपी; शुभम मुकेश गिरी, मुंबई) जवाब- भारत सरकार पाकिस्तान में टेरर फंडिंग पर रोक लगाने का मुद्दा तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है. सितंबर 2017 में प्रधानमंत्री मोदी ने चीन में हुए ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के शिखर सम्मेलन में भी इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया. भारत के इस रुख की वजह से ही शिखर सम्मेलन में पहली बार ब्रिक्स देशों ने आतंकवाद और टेरर फंडिंग के खिलाफ कड़ा प्रस्ताव पारित किया. इतना ही नहीं, सम्मेलन के घोषणापत्र में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्तानी आतंकी संगठनों का नाम लेकर उनकी आतंकी गतिविधियों और फंडिंग पर रोक लगाने की बात भी कही गई. खास बात ये है कि पाकिस्तान से अपने करीबी रिश्तों के बावजूद ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मेजबान चीन को भी इस घोषणापत्र का समर्थन करना पड़ा. भारत की पहल पर ही इस घोषणापत्र में ये बात भी शामिल की गई कि आतंकवादी संगठनों को वित्तीय मदद समेत किसी भी तरह की सहायता देने वालों की जवाबदेही तय होनी चाहिए. भारत की लगातार मुहिम और दबाव का ही नतीजा रहा कि जनवरी 2018 में अमेरिका ने आतंकवाद का मुद्दा उठाते हुए पाकिस्तान की फंडिंग रोक दी. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को दी जाने वाली करीब 2 अरब डॉलर यानी 13 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की वित्तीय सहायता बंद करने का एलान ये कहते हुए किया कि पाकिस्तान आतंकवादियों का स्वर्ग बना हुआ है. 4. सवाल- पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक नीतियों के खिलाफ भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या कदम उठाए हैं? (विपिन, मधेपुरा, बिहार; समीर रंजन स्वैन, एरासमा, ओडिशा) जवाब- उरी में पाकिस्तानी आतंकियों के हमले के बाद भारत सरकार ने नवंबर 2016 में इस्लामाबाद में होने वाले दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) के शिखर सम्मेलन में नहीं जाने का फैसला किया. इसके बाद बांग्लादेश, अफगानिस्तान, भूटान और श्रीलंका ने भी भारत का साथ देते हुए इस सम्मेलन में शामिल होने से इनकार कर दिया. ऐसे में आठ देशों के इस ब्लॉक में भारत समेत पांच देश पाकिस्तान के ख़िलाफ एकजुट हो गए. लिहाजा, पाकिस्तान में होने वाला ये सार्क शिखर सम्मेलन रद्द करना पड़ा. ये पाकिस्तान के खिलाफ भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत थी. सितंबर 2016 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर जमकर घेरा. भारत ने कहा कि पाकिस्तान ने किसी जमाने में शिक्षा के प्रमुख केंद्र रहे तक्षशिला को आतंकवादियों का प्रशिक्षण केंद्र बना डाला है. जिसका खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ रहा है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थक चेहरे को उजागर करने की भारत की लगातार कोशिशों के चलते संयुक्त राष्ट्र समेत तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान आतंकवाद के मुद्दे पर अलग-थलग पड़ गया है.

1. सवाल- 2014 के बाद देश के कितने जवान आतंकी हमलों में शहीद हुए, पाकिस्तान ने कितनी बार सीजफायर तोड़ा और भारतीय सुरक्षा बलों ने कितने आतंकी मार गिराए? (घनश्याम राजोरा, नीमच, मध्य प्रदेश)   जवाब- जम्मू-कश्मीर में 2014 के बाद …

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