सिर्फ़ ओला, उबर का स्टिकर देखकर बैठना हो सकता है ख़तरनाक, जानकर हो जायेंगे हैरान

आप ओला, उबर या किसी प्रचलित ब्रांड की कैब इसलिए लेते हैं क्योंकि इनमें सुविधा और सुरक्षा का वादा मिलता है। लेकिन ये वादा हमेशा पूरा हो ये ज़रूरी नहीं है। एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें पाँच लोगों का एक गैंग ओला कैब का इस्तेमाल कर लोगों को लूटता था। पुलिस के अनुसार लूट के ऐसे 200 मामलों में इस गैंग का हाथ था।

इस गैंग का भंडाफोड़ शनिवार (22 दिसंबर) रात को हुआ जब नोएडा सेक्टर-39 की पुलिस ने एक कार में सवार चार लोगों को संदेह में गिरफ्तार किया। पुलिस के मुताबिक ये लोग बड़े शातिर तरीके से लूटपाट करते थे और करीब एक साल से वारदातों को अंजाम दे रहे थे। ये गैंग ओला की तीन गाड़ियां चलाता था। ये लोग अलग-अलग रूट से सवारियाँ लेते थे और उन्हें सुनसान जगह पर लूट लेते थे।

कैसे करते थे वारदात
वैसे तो ओला कैब बुक करते वक़्त उसमें ड्राइवर की जानकारी दर्ज होती है और रूट ट्रैक होता है। मगर ये गैंग बिना बुक की गई टैक्सी में वारदात करते थे। इसके लिए वो अधिकतर रात का समय चुनते थे। कई बार लोग ऑफिस से देर रात निकलते हुए या कहीं से लौटते वक़्त रास्ते में दिखी कैब में बैठ जाते हैं, ख़ास तौर पर जब उस पर किसी बड़े ब्रांड का स्टिकर लगा हो। ये गैंग लोगों के इसी भरोसे का फायदा उठाता था।
पुलिस ने बताया कि इन पाँच लोगों में से कोई एक कैब चलाता था और दो से तीन लोग उसमें पहले से ही सवार होते थे। और रात को अकेले जाने वाली सवारियों को निशाना बनाते थे। वारदात से पहले ये लोग कैब को ओला एप से डिस्कनेक्ट कर लेते थे ताकि उन्हें ट्रैक न किया जा सका। फिर किसी सुनसान जगह पर पहुंचकर ये लूटपाट करके सवारी को गाड़ी से बाहर फेंक देते थे।

गौतम बुद्ध नगर के डीएसपी अमित किशोर श्रीवास्तव ने बताया, ”ये गैंग एक साल से सक्रिय था और बड़े अपराध से बचता था। ये लोग 1000, 500 रुपये या मोबाइल लूटकर सवारी को छोड़ देते थे ताकि लोग पुलिस की झंझटों से बचने के लिए रिपोर्ट दर्ज न कराएं। ये लोग हथियार भी नहीं इस्तेमाल करते थे। ज़रूरत पड़ने पर तमंचे से लोगों को डराते थे।”
नज़र में आना था मुश्किल
ये गैंग दिल्ली, नोएडा, ग़ाज़ियाबाद, फरीदाबाद और आसपास के इलाकों में लूट करता था, जिससे किसी एक जगह पर अपराध का रिकॉर्ड इकट्ठा नहीं हो पाता था। वारदात के बाद वो लोग अगले दिन अख़बार में देखते थे कि कहीं घटना की ख़बर तो नहीं छपी है। अगर ख़बर न छपी हो तो वो उसी गाड़ी का दोबारा इस्तेमाल करते थे वरना गाड़ी बदल लेते थे।

अमित किशोर श्रीवास्तव के मुताबिक, ”पुलिस को यह ख़बर तो थी कि लूटपाट की घटनाएं हो रही हैं लेकिन कोई एक गैंग इसमें शामिल है इसका पता नहीं था। लेकिन, मुखबिरों की मदद से हमें इस गैंग का पता लगा। नोएडा सेक्टर-39 के पास शनिवार रात करीब 1 बजे चेकिंग के दौरान इंस्पेक्टर उदय प्रता​प सिंह को कार में सवार 4 युवकों पर संदेह हुआ।”
”जांच करने पर उनके पास तमंचा मिला। फिर उन्हें थाने ले जाकर पूछताछ की गई। वहां उन्होंने कई जगहों पर 200 से ज़्यादा लूट के मामलों की बात क़बूली।” नोएडा, सेक्टर-39 एसएचओ उदय प्रताप सिंह ने बताया कि इनके लूटपाट के मामलों को लेकर संबंधित राज्यों और जिलों को सूचना दी गई है। साथ ही ओला कंपनी को भी नोटिस दिया जा रहा है।
पुलिस के मुताबिक इस गैंग का सरगना सोनू कचरी है, जो ग़ाज़ियाबाद का रहने वाला है। उसके साथ लोकेश, प्रशांत, अतुल, अरुण और दीपक भी इस गैंग में शामिल थे। सोनू कचरी अब भी फरार है। सभी अभियुक्तों की उम्र 25 साल तक है। इनके पास से लूट के 3800 रुपए, एक तमंचा, 17 मोबाइल, तीन लैपटॉप, दो गिटार, सोने की तीन चेन और दो अंगूठी और तीन कारें बरामद हुई हैं।

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