somali sharma

गायब होने की कगार पर पहुंच चुके बारहसिंगा को इस नेशनल पार्क में देख पाना है मुमकिन

सतपुड़ा पहाडि़यों से घिरा यह नेशनल पार्क 1945 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है। वैसे तो यह मध्य प्रदेश में आता है, लेकिन यहां पहुंचने वाले अधिकतर पर्यटक नागपुर होकर आते हैं, क्योंकि नागपुर से यहां तक बढि़या सड़क मार्ग है। वैसे, मध्य प्रदेश के जबलपुर से होकर भी यहां जाया जा सकता है। अतीत के पन्नों को खंगाल कर देखें, तो पता चलता है कि 1879-1910 ईस्वी तक यह क्षेत्र अंग्रेजों के शिकार का प्रमुख स्थल था। कान्हा को अभयारण्य के रूप में 1933 में स्थापित किया गया, जबकि देश की आजादी के 8 साल बाद 1955 में इसे नेशनल पार्क घोषित किया गया। यहां अनेक पशु-पक्षियों को संरक्षित किया गया है। रूडयार्ड किपलिंग की प्रसिद्ध किताब और धारावाहिक जंगल बुक की प्रेरणा भी इसी जगह से ली गई थी। पुस्तक में वर्णित यह स्थान मोगली, बगीरा, शेरखान आदि पात्रों का निवास स्थल है। कान्हा एशिया के सबसे खूबसूरत वन्यजीव रिजर्वो में से एक माना जाता है। यहां के खुले घास के बड़े मैदानों में काला हिरन, बारहसिंहा, सांभर और चीतल एक साथ नजर आते हैं। कान्हा के टाइगर अमूमन लोग यहां पर टाइगर देखने आते हैं। कान्हा नेशनल पार्क में मौजूदा समय में कुल करीब 131 टाइगर हैं। लेकिन यहां पर सबसे ज्यादा लोकप्रिय टाइगर है मुन्ना। संख्या के लिहाज से मुन्ना को टी17 का नाम दिया गया है। 2002 में पैदा हुआ यह मुन्ना टाइगर पर्यटकों के साथ-साथ यहां के लोगों में भी खासा लोकप्रिय है। आज 16 साल की उम्र में भी इसकी फुर्ती का जवाब नहीं है और मौजूदा समय में यह कान्हा के किसली हिस्से पर अपनी दादागिरी जमाए हुए है। जहां इसके समय के कई अन्य टाइगर या तो वर्चस्व की लड़ाई में मारे गए या फिर गायब हो गए, वहीं मुन्ना अपनी पूरी चमक के साथ कायम है। यहां दाल-बाटी का तीखा-चटपटा तो मावा कचौड़ी का मीठा स्वाद हर किसी को बना देता है अपना कायल यह भी पढ़ें बारहसिंघा के लिए मशहूर बिना वीजा दुनिया के इन खूबसूरत देशों में लें घूमने-फिरने का मजा यह भी पढ़ें 20 साल पहले विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी बारहसिंहा की प्रजातियां भी यहां देखने को मिल जाती हैं। कटीले तारों की फेंसिंग करके यहां पर बारहसिंघा को संरक्षित किया गया। मौजूदा गणना में अब यहां पर करीब 1000 से भी अधिक बारहसिंघा हो गए हैं। जिस तरह से इन दुर्लभ जानवरों को संरक्षित किया गया, उसकी सराहना पूरी दुनिया में हुई है। दिसंबर माह के अंत से जनवरी के मध्य तक बारहसिंगों के प्रजनन का समय रहता है। अगर आप इस समय यहां घूमने आएंगे, तो इनको काफी करीब से देख पाएंगे।

सतपुड़ा पहाडि़यों से घिरा यह नेशनल पार्क 1945 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है। वैसे तो यह मध्य प्रदेश में आता है, लेकिन यहां पहुंचने वाले अधिकतर पर्यटक नागपुर होकर आते हैं, क्योंकि नागपुर से यहां तक बढि़या सड़क …

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विवेक तिवारी की पत्नी कल्पना को नगर निगम लखनऊ में PRO का पद मिला ..

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आज स्वर्गीय विवेक तिवारी की पत्नी कल्पना तिवारी की मुलाकात के चंद घंटे बाद ही सरकारी मशीनरी से गति पकड़ ली। लखनऊ के नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी उनके आवास पर पहुंचे और शैक्षिक प्रमाण पत्र लेकर …

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एमकॉम पास युवक को काम न मिला तो फंसा ट्रैवल एजेंट के जाल में, फिर हुआ दर्दनाक अंजाम

पंजाब का एक अौर युवक विदेश में नौकरी की चाहत में ट्रेवल एजेंट की जाल में फंसकर अपनी जान गंवा बैठा। जिले के घमांड कस्बे के एमकॉम युवक रणदीप को लाख कोश्‍ािशों के बाद देश में नौकरी नहीं मिली तो वह ट्रेवल एजेंटों ने झांसे में आ गया। इन एजेंटों ने उसे स्‍पेन में नौकरी दिलाने की बात कही और उसे सर्बिया भेज दिया। वहां उसकी जान चली गई। रणदीप का शव सर्बिया की एक नदी में मिला। वह तीन महीने पहले घर से स्पेन जाने के लिए निकला था। पुलिस ने पटियाला के तीन और हरियाणा के एक ट्रेवल एजेंट के खिलाफ केस दर्ज किया है। तीन महीने पहले गया था घर से, एजेंटों ने लिए एडवांस में लिए साढ़े पांच लाख रणदीप कई प्रतियोगी परीक्षाएं दे चुका था। उसे नौकरी नहीं मिल रही थी। निराश होकर वह ट्रेवल एजेंटों के झांसे में आ गया। एजेंटों ने रणदीप को स्पेन भेजने के लिए उससे साढ़े पांच लाख रुपये एडवांस में ले लिए। करीब तीन महीने पहले वह स्पेन जाने के लिए घर से एजेंटों के साथ गया। एजेंट उसे सर्बिया ले गए। वहां उसे सड़क के रास्ते से स्पेन भेजने की योजना थी। मंदिर के विकास पर खर्च होंगे 2.32 करोड़ रुपये : परनीत कौर यह भी पढ़ें करीब एक महीने से परिवार की रणदीप से कोई बातचीत नहीं हो रही थी। अब इंटरपोल ने पुलिस को जानकारी दी है कि रणदीप का शव सर्बिया की नदी से मिला है। थाना जुल्कां में पटियाला के तीन ट्रैवल एजेंट गांव बासमा के हैप्पी और सुखदेव सिंह, घग्गा के दविंदर सिंह और हरियाणा के पानीपत के नवदीप सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी व मानव तस्करी का केस दर्ज किया है। परिवार ने केंद्र सरकार से बेटे का शव भारत लाने की गुहार लगाई है। एमकॉम पास था रणदीप कार्ड बांटने गई महिला पहुंच गई प्रेमी के पास, फिर जो हुआ उससे खिसक गई पैरों तले जमीन यह भी पढ़ें रणदीप एमकॉम पास था। परिवार के पास करीब 25 एकड़ जमीन भी है। चाचा कुलवंत सिंह के अनुसार रणदीप ने फोन पर बताया था कि एजेंट उसे सर्बिया से बोस्निया के रास्ते कार या बस से स्पेन भेजने की बात कर रहे हैं। उसके बाद उसका कोई फोन नहीं आया। परिवार ने ट्रेवल एजेंटों से पूछा तो उन्होंने कहा हो सकता है सर्बिया पुलिस के हाथ आ गया हो। एक या दो महीने में छूट जाएगा।

पंजाब का एक अौर युवक विदेश में नौकरी की चाहत में ट्रेवल एजेंट की जाल में फंसकर अपनी जान गंवा बैठा। जिले के घमांड कस्बे के एमकॉम युवक रणदीप को लाख कोश्‍ािशों के बाद देश में नौकरी नहीं मिली तो …

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भाजपा ने किया कांग्रेस पर प्रहार, कहा-पाकिस्‍तान की भाषा बोल रही है ये पार्टी..

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के यूएन में भाषण पर कांग्रेस के हमले से खफा बीजेपी ने पलटवार किया। पार्टी ने कहा- कांग्रेस को देश से माफी मांगनी चाहिए क्योंकि उन्होंने विदेश मंत्री नहीं बल्कि देश का अपमान किया है। प्रेस …

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माछीवाड़ा में हिंदू बच्चे का जबरन धर्म परिवर्तन का प्रयास, खतना किया तो खुला मामला

माछीवाड़ा में हिंदू बच्चे का जबरन धर्म परिवर्तन का प्रयास, खतना किया तो खुला मामला

दशहरा मैदान के पास एक बच्चे का जबरन धर्म परिवर्तन करने का प्रयास किया गया। एक रेहड़े वाले ने 10 वर्षीय हिंदू बच्चे का खतना (गुप्तांग का अगला हिस्सा काटना) कर दिया। घायलावस्था में उसे सिविल अस्पताल में दाखिल करवाया …

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सिद्धू बाेले-अफीम की खेती हो वैध, मेरे चाचा भी खाते थे; फिर कैप्‍टन के बयान से मामला गर्माया

पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने किसानों के लिए अफीम की खेती वैध करने की मांग का समर्थन किया है। यह मांग आम आदमी पार्टी कें निलंबित सांसद डॉ. धर्मवीर गांधी कर रहे हैं। सिद्धू ने कहा कि अफीम का दवा के रूप में इस्‍तेमाल किया जा सकता है। मेरे चाचा भी दवा के रूप में अफीम खाते थे। अफीम की खेती चिट्टे (ड्रग) पर लगाम में कारगर साबित होगी। मेडिकल नशे ने पंजाब के युवाओं को बर्बाद कर दिया है। इसके बाद मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह भी सामने आए। कैप्‍टन ने कहा कि यह मामला गंभीर है अौर इसका फिर उठना खुशी की बात है। अब इस मुद्दे का हमेशा के लिए समाधान हो जाना चाहिए। अमरिंदर के बयान के बाद मामला गर्मा गया। कहा- चाचा दवाई के रूप में खाते थे, आम आदमी पार्टी के बागी सांसद धर्मवीर गांधी का किया समर्थन बता दें के पटियाला से आप सांसद धर्मवीर गांधी राज्‍य में किसानाें के लिए अफीम की खेती को वैध करने की लंबे समय से मांग कर रहे हैं। सिद्धू ने सोमवार काे यहां कहा, डॉ. धर्मवीर गांधी बहुत अच्छी बात कर रहे हैं। मैं उनका समर्थन करता हूं। मेरे चाचा अफीम को दवा के रूप में लेते थे और उन्‍होंने लंबा जीवन जीया। सेंट जेवियर चंडीगढ़ ने जीता सिक्स-ए-साइड टूर्नामेंट यह भी पढ़ें कैप्‍टन बोले, मामले पर गंभीरता से हो चर्चा अौर स्‍थायी हल हो इसके बाद पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह भी सामने आ गए और नवजोत सिंह सिद्धू के अफीम पर दिए बयान पर प्रतिक्रिया अपनी प्रतिक्रिया दी। अमरिंदर सिंह ने कहा, 'मैं खुश हूं कि यह मुद्दा एक बार फिर आया है। मुझे पूरी उम्‍मीद है कि इस बार इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया जाएगा और यह मामले का हमेशा के लिए समाधान हो जाएगा।हल हो गया है।' चंडीगढ़ की सबसे प्राइम लोकेशन आइटी पार्क में भी अलॉट होंगे लग्जरी फ्लैट यह भी पढ़ें अमरिंदर ने कहा- भारत की नहीं कोई ड्रग नीति, पंजाब नशे का बाजार नहीं बन सकता पत्रकारों से बातचीत में कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कहा, मैं ड्रग खासकर अफीम का मामला फिर से उठाए जाने से खुश हूं। मैं अपने पिछले कार्यकाल 2002-05 के समय से इस मामले को उठाता रहा हूं। मैंने इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा और मुख्‍यमंत्रियों के सम्‍मेलन में भी इस मुद्दे को उठाया। मैंने साफ कहा भारत की कोई ड्रग पॉलिसी नहीं है। ऐसा नहीं हो सकता कि मध्‍यप्रदेश में नशे की पैदावार हो और इसे राजस्‍थान में बेचा जाए। इसके साथ ही राजस्‍थान में भी ड्रग और अफीम की पैदावार हो और इससे पंजाब में बेचा जाए व इस तरह पंजाब ड्रग का मार्केट बनता रहे। नौवीं के सेमेस्टर एग्जाम में फिर फेल हुआ शिक्षा विभाग यह भी पढ़ें कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि बिना सख्‍त ड्रग पॉलिसी के नशा को नहीं रोका जा सके। पहले पूरे देश के लिए एक ड्रग पाॅलिसी बनाई जाए और इस तरह के ड्रग पर रोक लगाई जाए। इसके बाद तय किया जाए कि अफीम या अन्‍य की दवा उद्योग के लिए कितनी आवश्‍यकता है अौर उसके अनुरूप इसकी खेती हो। इसलिए यह अच्‍छा है कि यह मुद्दा एक बार फिर सामने आया है। इस पर गंभीरता से विचार हो अौर इस मामले का स्‍थायी समाधान निकाला जाए। 'कांग्रेस गद्दी छोड़ो' अभियान पर कैप्टन ने कसा तंज, कहा- जनता ने फतवा दिया है, भाजपा ने नहीं यह भी पढ़ें दूसरी ओर, लुधियाना रेंज के डीआइजी रणबीर सिंह खटरा ने कहा कि पंजाब में अफीम की खेती पर प्रतिबंध है। हम नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट (एनडीपीएस एक्ट) के मुताबिक सबूत इकट्ठा कर रहे हैं और जांच कर रहे हैं। --------- चंडीगढ़ में दो युवकों ने पहले लिफ्ट ली, फिर लूट ली कार यह भी पढ़ें धर्मवीर गांधी ने कहा, किसानी और जवानी को बचाने के लिए अफीम की खेती जरूरी बता दें कि धर्मवीर गांधी ने दो दिन पहले श्री मुक्तसर साहिब आयोजित रैली में कहा था कि किसानी और जवानी को बचाने के लिए अफीम की खेती जरूरी है। ऐसा नहीं किया गया तो आने वाले कुछ ही समय में पंजाब बर्बाद हो जाएगा। सरकारों ने पंजाब को मौत का कुआं बनाकर रख दिया है। पंजाब को बचाने के लिए गेहूं के साथ ही खसखस (अफीम का बीज) की भी बिजाई शुरू करेंगे। फिर भले कैप्टन आ जाएं या कोई और वह नहीं रुकेंगे।

पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने किसानों के लिए अफीम की खेती वैध करने की मांग का समर्थन किया है। यह मांग आम आदमी पार्टी कें निलंबित सांसद डॉ. धर्मवीर गांधी कर रहे हैं। सिद्धू ने कहा कि …

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केदारनाथ में भूमिगत गुफा में होगी आदि शंकराचार्य की समाधि

केदारनाथ में दिव्य शिला के पीछे बनने वाली आदि शंकराचार्य की समाधि भूमिगत गुफा में होगी। इसके लिए 100 मीटर लंबी गुफा तैयार की जाएगी। जल्द ही योजना पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा। वर्ष 2013 में आई आपदा में आदि शंकराचार्य की समाधि को भी नुकसान पहुंचा था। इसके बाद समाधि स्थल के मरम्मत की कवायद शुरू की गई। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ पहुंचे तो उन्होंने आदि शंकराचार्य की समाधि को दिव्य एवं भव्य रूप देने का एलान किया। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि प्रधानमंत्री की भावनाओं के अनुरुप प्लान तैयार कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि तीन वर्ग मीटर क्षेत्रफल में गुफा का निर्माण किया जाएगा। यहां एक साथ एक हजार श्रद्धालु आदि शंकराचार्य की समाधि के दर्शन कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया था कि मंदिर के पीछे कोई निर्माण न किया जाए ताकि श्रद्धालु प्राकृतिक सौंदर्य को आसानी से निहार सकें। इसीलिए समाधि को भूमिगत करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि पूर्व में भी मंदिर के पीछे ही शंकराचार्य समाधि थी, अब भी समाधि को उसी स्थान पर बनाया जा रहा है। डीएम ने बताया कि इसके अलावा दिव्य शिला के आसपास यात्रियों के बैठने की व्यवस्था भी की जाएगी।

केदारनाथ में दिव्य शिला के पीछे बनने वाली आदि शंकराचार्य की समाधि भूमिगत गुफा में होगी। इसके लिए 100 मीटर लंबी गुफा तैयार की जाएगी। जल्द ही योजना पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा।  वर्ष 2013 में आई आपदा में …

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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिपूर्णानंद पैन्यूली बोले, प्रार्थना सभा में भगवान जैसे लगते थे गांधी

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पूर्व सांसद परिपूर्णानंद पैन्यूली बताते हैं कि महात्मा गांधी से मिलने का मेरा सपना कभी पूरा तो नहीं हो पाया, मगर उन्हें करीब से देखने और सुनने में जरूर सफल रहा। मुझे पहली बार महात्मा गांधी को करीब से देखने का अवसर वर्ष 1942 में मिला। तब मैं करीब 19 साल का था और काशी विद्यापीठ से एमए की पढ़ाई कर रहा था। गांधी जी दिल्ली में बिड़ला हाउस में हर शाम प्रार्थना सभा आयोजित करते थे। मैं अपने साथियों के साथ उनकी प्रार्थना सभा में पहुंचता था। वह समसामयिक मुद्दों पर भी चर्चा करते थे। उस दिन भी उन्होंने कई मुद्दों पर बात की और राष्ट्रीय एकता को लेकर भी सीख दी। उन्हें करीब देखकर मुझे उनमें भगवान का रूप नजर आ रहा था। तब मेरे मन में इस बात का ख्याल न था कि उनसे मुलाकात भी करनी चाहिए। क्योंकि उन्हें देखनेभर से ही मैं अभिभूत हो उठा था। तब गांधी जी से मिलना उतना आसान भी नहीं था और वह हर समय किसी न किसी गतिविधि में व्यस्त रहते थे। इसके बाद भी मैं कई दफा उनकी प्रार्थना सभा में पहुंचा। उनकी एक-एक बात मुझे आज भी याद है और खासकर उनके प्रयोग और राष्ट्रीयता भी भावना मुझे प्रभावित करती थी। गढ़वाल विवि के खिलाफ प्रदेशभर में आंदोलन करेगी एबीवीपी यह भी पढ़ें मुझे महात्मा गांधी की मृत्यु का समाचार अपने साथियों से मिला। लेकिन, जिस तरह उन्हें गोली मारी गई, उसका यकीन नहीं हुआ। कई लोगों से इस बारे में पूछने पर जब एक ही जवाब मिला तो दिल को गहरा आघात लगा। समझ नहीं आ रहे था कि अहिंसा के ऐसे पुजारी के साथ ऐसा क्यों किया गया। मैं कई दिनों तक सो नहीं पाया और सिर्फ गांधी को याद करता रहा। उनकी सच्चाई के पथ पर चलने की सीख के कारण ही मैं सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हो पाया था। आज उनसे जुड़ी बहुत सी बातें याद भी नहीं हैं, मगर उनके जैसा जीवट और स्पष्ट व्यक्ति धरती में दूसरा नहीं देखा।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पूर्व सांसद परिपूर्णानंद पैन्यूली बताते हैं कि महात्मा गांधी से मिलने का मेरा सपना कभी पूरा तो नहीं हो पाया, मगर उन्हें करीब से देखने और सुनने में जरूर सफल रहा। मुझे पहली बार महात्मा गांधी …

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गांधी ने कहा था- बॉम्बे इज ब्यूटीफुल

ओमप्रकाश तिवारी। मैं मुंबई हूं। आजादी की लड़ाई में गांधी ने घूमा तो पूरा देश। लेकिन खूबसूरती के कसीदे तो उन्होंने मेरे ही पढ़े। पढ़ते भी क्यों न? मैं उनके दूसरे घर जैसी जो बन गई थी। आजादी की लड़ाई के ज्यादातर अहम आंदोलनों का बिगुल तो उन्होंने यहीं से फूंका। आजादी की लड़ाई के दौरान जब-जब पैसों की जरूरत महसूस हुई, बढ़-चढ़कर उन्हें मदद की। लोकमान्य तिलक के निधन के ठीक एक साल बाद गांधी ने ‘तिलक स्वराज फंड’ की स्थापना की। ‘एक करोड़’ की भारी-भरकम रकम इकट्ठा करने का संकल्प किया। देखते ही देखते 37.50 लाख रुपये जुट गए थे। यही नहीं, दीनबंधु फंड के लिए भी सप्ताहभर में पांच लाख रुपए जुटे थे। तभी तो उन्होंने ‘बॉम्बे इस ब्यूटीफुल’ कहकर मेरी सुंदरता और दानशीलता के कसीदे पढ़े थे। मैंने गांधी को तब देखा जब वह महज 19 साल के थे। मोहनदास करमचंद गांधी तब महात्मा और बापू नहीं बने थे। वकालत की पढ़ाई के लिए मोहन को लंदन जाना था। चार सितंबर, 1888 को मैंने उन्हें भाप से चलनेवाले पानी के जहाज पर विदा किया था। जहाज का नाम था क्लाइड। तीन साल बाद, पांच जुलाई, 1891 को उनके लौटने पर भी एक मां की तरह आंचल फैलाए उनके स्वागत को तैयार थी। यह बात और है इन तीन वर्षों की पढ़ाई के बाद घर पहुंचने पर वह अपनी मां को दुबारा देख नहीं सके। क्योंकि उनका निधन हो चुका था। उसके बाद अप्रैल, 1893 में दक्षिण अफ्रीका के लिए रवाना होना, फिर वहां से कलकत्ता (कोलकाता) होते हुए 1896 में फिर यहां आना, सब मुझे याद है। लातूर-उस्मानाबाद भूकंप के 25 वर्ष, आपदाओं ने उजाड़ा तो महिलाओं ने उबारा यह भी पढ़ें दक्षिण अफ्रीकी हिंदुस्तानियों की लड़ाई को किसी हद तक किनारे लगाने के बाद नौ जनवरी, 1915 को वह देश के स्वतंत्रता संग्राम में रच-बस जाने का संकल्प लेकर फिर यहां आ गए। छह अप्रैल, 1919 को रौलट एक्ट का विरोध करने के लिए देश का आह्वान किया और मणि भवन से पैदल ही गिरगांव चौपाटी की ओर चल पड़े। तब उनके साथ हजारों लोग चौपाटी पर जमा हो गए थे। यहीं से पूरे देश में ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ की अलख जगा दी थी। सच कहूं तो इसी घटना के बाद देश आश्वस्त हो गया था कि ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’ का नारा देनेवाले तिलक का उत्तराधिकारी मिल गया है। उन्होंने यहीं विदेशी वस्त्रों की होली जलाई। देश के पहले खादी भंडार का उद्घाटन भी 19 जून, 1919 को उन्होंने यहीं कालबादेवी में किया था। 1931 में इंग्लैंड में हुए गोल मेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए भी वह यहीं से रवाना हुए। और वहां से लौटने के बाद मणिभवन की छत से गिरफ्तार भी उन्हें यहीं किया गया। हमारी हवा में कुछ तो विशेष उन्हें लगता ही रहा होगा, जो 1942 में ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ और ‘करो या मरो’ जैसे कारगर नारे देने के लिए भी उन्हें मुझे ही चुना और फिर यहीं से आठ अगस्त की रात कई महत्वपूर्ण नेताओं के साथ गिरफ्तार भी कर लिए। आखिरी बार मैंने उन्हें1946 में देखा। 31 मार्च, 1946 को वह कस्तूरबा मेमोरियल ट्रस्ट की बैठक में हिस्सा लेने आए थे। तब वह वरली की हरिजन बस्ती में रुके थे। अफसोस, कि तभी कुछ लोगों ने उनकी कुटिया को आग लगाने का असफल प्रयास किया था। और इसके बाद गांधी कभी इस ओर नहीं आ सके।

ओमप्रकाश तिवारी। मैं मुंबई हूं। आजादी की लड़ाई में गांधी ने घूमा तो पूरा देश। लेकिन खूबसूरती के कसीदे तो उन्होंने मेरे ही पढ़े। पढ़ते भी क्यों न? मैं उनके दूसरे घर जैसी जो बन गई थी। आजादी की लड़ाई के ज्यादातर अहम आंदोलनों का बिगुल …

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आइएलएंडएफएस को लेकर राहुल ने PM मोदी पर साधा निशाना

दिवालिया होने की कगार पर पहुंची बुनियादी ढांचा क्षेत्र की कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (आइएलएंडएफएस) की वित्तीय मदद को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर करारा हमला बोला है। उन्होंने कर्ज में डूबी …

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