केदारनाथ में दिव्य शिला के पीछे बनने वाली आदि शंकराचार्य की समाधि भूमिगत गुफा में होगी। इसके लिए 100 मीटर लंबी गुफा तैयार की जाएगी। जल्द ही योजना पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा। वर्ष 2013 में आई आपदा में आदि शंकराचार्य की समाधि को भी नुकसान पहुंचा था। इसके बाद समाधि स्थल के मरम्मत की कवायद शुरू की गई। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ पहुंचे तो उन्होंने आदि शंकराचार्य की समाधि को दिव्य एवं भव्य रूप देने का एलान किया। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि प्रधानमंत्री की भावनाओं के अनुरुप प्लान तैयार कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि तीन वर्ग मीटर क्षेत्रफल में गुफा का निर्माण किया जाएगा। यहां एक साथ एक हजार श्रद्धालु आदि शंकराचार्य की समाधि के दर्शन कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया था कि मंदिर के पीछे कोई निर्माण न किया जाए ताकि श्रद्धालु प्राकृतिक सौंदर्य को आसानी से निहार सकें। इसीलिए समाधि को भूमिगत करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि पूर्व में भी मंदिर के पीछे ही शंकराचार्य समाधि थी, अब भी समाधि को उसी स्थान पर बनाया जा रहा है। डीएम ने बताया कि इसके अलावा दिव्य शिला के आसपास यात्रियों के बैठने की व्यवस्था भी की जाएगी।

केदारनाथ में भूमिगत गुफा में होगी आदि शंकराचार्य की समाधि

केदारनाथ में दिव्य शिला के पीछे बनने वाली आदि शंकराचार्य की समाधि भूमिगत गुफा में होगी। इसके लिए 100 मीटर लंबी गुफा तैयार की जाएगी। जल्द ही योजना पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा। केदारनाथ में दिव्य शिला के पीछे बनने वाली आदि शंकराचार्य की समाधि भूमिगत गुफा में होगी। इसके लिए 100 मीटर लंबी गुफा तैयार की जाएगी। जल्द ही योजना पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा।    वर्ष 2013 में आई आपदा में आदि शंकराचार्य की समाधि को भी नुकसान पहुंचा था। इसके बाद समाधि स्थल के मरम्मत की कवायद शुरू की गई। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ पहुंचे तो उन्होंने आदि शंकराचार्य की समाधि को दिव्य एवं भव्य रूप देने का एलान किया। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि प्रधानमंत्री की भावनाओं के अनुरुप प्लान तैयार कर लिया गया है।  उन्होंने कहा कि तीन वर्ग मीटर क्षेत्रफल में गुफा का निर्माण किया जाएगा। यहां एक साथ एक हजार श्रद्धालु आदि शंकराचार्य की समाधि के दर्शन कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया था कि मंदिर के पीछे कोई निर्माण न किया जाए ताकि श्रद्धालु प्राकृतिक सौंदर्य को आसानी से निहार सकें। इसीलिए समाधि को भूमिगत करने का निर्णय लिया गया।  उन्होंने बताया कि पूर्व में  भी मंदिर के पीछे ही शंकराचार्य समाधि थी, अब भी समाधि को उसी स्थान पर बनाया जा रहा है। डीएम ने बताया कि इसके अलावा दिव्य शिला के आसपास यात्रियों के बैठने की व्यवस्था भी की जाएगी।

वर्ष 2013 में आई आपदा में आदि शंकराचार्य की समाधि को भी नुकसान पहुंचा था। इसके बाद समाधि स्थल के मरम्मत की कवायद शुरू की गई। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ पहुंचे तो उन्होंने आदि शंकराचार्य की समाधि को दिव्य एवं भव्य रूप देने का एलान किया। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि प्रधानमंत्री की भावनाओं के अनुरुप प्लान तैयार कर लिया गया है।

उन्होंने कहा कि तीन वर्ग मीटर क्षेत्रफल में गुफा का निर्माण किया जाएगा। यहां एक साथ एक हजार श्रद्धालु आदि शंकराचार्य की समाधि के दर्शन कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया था कि मंदिर के पीछे कोई निर्माण न किया जाए ताकि श्रद्धालु प्राकृतिक सौंदर्य को आसानी से निहार सकें। इसीलिए समाधि को भूमिगत करने का निर्णय लिया गया।

उन्होंने बताया कि पूर्व में  भी मंदिर के पीछे ही शंकराचार्य समाधि थी, अब भी समाधि को उसी स्थान पर बनाया जा रहा है। डीएम ने बताया कि इसके अलावा दिव्य शिला के आसपास यात्रियों के बैठने की व्यवस्था भी की जाएगी।

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