इमरान सरकार के लिए पाकिस्तान में शुरू आंदोलन लगातार सिरदर्दी बनता जा रहा है. शुक्रवार को स्टूडेंट एक्शन कमेटी (एसएसी) की अगुआई में छात्र एकजुटता मार्च में शामिल होने के लिए पूरे देश भर में छात्र व कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे. छात्रों की मांगों में छात्रसंघों का पुनर्गठन, बेहतर व सुलभ शिक्षा, शुल्क में कमी, लैंगिक बराबरी और परिसरों में अभिव्यक्ति की आजादी शामिल हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में ये छात्र अपनी मांगों के समर्थन में देश भर के पचास शहरों में जुटे और रैलियां कीं. प्रगतिशील और वामपंथी रुझान वाले इन छात्रों को किसानों, मजदूरों समेत समाज के कई तबकों के संगठनों का समर्थन भी हासिल है। एक ट्वीट में प्रोग्रेसिव स्टूडेंट कलेक्टिव (पीएससी) की अपील पर कुछ शहरों में यह मार्च सुबह से शुरू हुआ.
पीपीपी के मुखिया बिलावल भुट्टो-जरदारी ने भी मार्च करने वालों को अपना समर्थन दिया.छात्रों ने शिक्षा का अधिकार लागू करने, सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के निजीकरण को खत्म करने, यौन उत्पीड़न कानून के कार्यान्वयन, छात्रावास के अधिकार और परिसरों के विमुद्रीकरण के लिए मार्च किया. कार्यक्रम का नेतृत्व बीकनहाउस नेशनल यूनिवर्सिटी, लाहौर के छात्र हैदर कलीम ने करते हुए कहा कि छात्र मुख्यत: 10 मांगों के समर्थन में हैं लेकिन लोकल मुद्दे भी शामिल किए गए हैं.
अपने बयान में एसएसी ने कहा कि इमरान की पार्टी पीटीआई ने छात्रों को दिशाहीन छोड़ दिया है और उच्च शिक्षा का बजट घटाकर आधा कर दिया है. इससे देश शिक्षा पर बहुत कम खर्च करने वाले देशों की सूची में शामिल हो गया है. एसएसी में सिंध, बलूचिस्तान, गिलगित-बाल्टिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, पीओके और पंजाब के छात्र संगठन भी शामिल हैं.