खाद्य सुरक्षा और एल्कोहल की मात्रा को लेकर अगले कुछ सप्ताह में नए नियम लागू किए जा सकते हैं। एक ओर केंद्र सरकार शराब और बीयर में एल्कोहल की मात्रा को सीमित करने जा रही है। वहीं, हर राज्य में खाद्य सुरक्षा जांच के लिए प्रयोगशालाएं भी बनाने वाली हैं। इसके लिए सरकार ने सभी राज्यों से प्रोजेक्ट्स भी मांगे हैं।बताया जा रहा है कि नियंत्रण के बाद 50 फीसदी से ज्यादा एल्कोहल मिलने पर लाइसेंस रद्द होने के साथ दोषी को जेल तक हो सकती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने इन मानकों को तय किया है।
सूत्र बताते हैं कि नामचीन कंपनियों की शराब में एल्कोहल 50 फीसदी से कम होता है। लेकिन कई विदेशी और देशी शराब में अभी भी 60 से 70 फीसदी तक एलकोहल मिल रहा है। एफएसएसएआई के सीईओ पवन अग्रवाल ने बताया कि पहली बार एल्कोहल की मात्रा सीमित करने जा रहे हैं।
इस प्रस्ताव को कुछ ही समय पहले मंजूरी के लिए मंत्रालय भेजा है। उन्होंने बताया कि इस पर पिछले तीन वर्षों से काम चल रहा था। वहीं, मंत्रालय के सूत्र बता रहे हैं कि इस पर सरकार ने भी सहमति जताई है। मार्च से पहले तक इन मानकों पर काम शुरू होगा।
सिगरेट की तरह होगी वैद्यानिक चेतावनी
प्राधिकरण ने शराब में एल्कोहल की मात्रा सीमित करने के लिए इसे कई वर्गों में बांटा है। इसमें विस्की और रम के लिए एल्कोहल की न्यूनतम सीमा 36 और अधिकतम सर्वाधिक 50 फीसदी रखी गई है।
जबकि बीयर के लिए यह सीमा 5 से 8 और ताड़ी जैसी देशी शराब के लिए 19 से 43 फीसदी के बीच एल्कोहल रखना प्रस्तावित है। बताया जा रहा है कि वाइन में 7.5 से 15 फीसदी तक ही एल्कोहल रहेगा।
अधिकारी ने बताया कि सिगरेट की भांति जल्द ही शराब की बोतलों पर भी वैद्यानिक चेतावनी मोटे अक्षरों में लिखी होगी। इस पर लिखा होगा बी सेफ, डांट ड्रिंक एंड ड्राइव। उन्होंने बताया कि एल्कोहल पर कोई बाध्यकारी नियमन नहीं हुआ है। ऐसा पहली बार हो रहा है।
कुछ राज्यों ने शराब के मानकों को सख्ती से लागू किया है। लेकिन देश में नियंत्रण के अभाव में इनका खुला उल्लंघन हो रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार से मंजूरी के बाद उल्लंघन पर सजा का प्रावधान भी स्पष्ट होगा।
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा, दिल्ली में केवल एक
स्वास्थ्य मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, जल्द ही हर राज्य में खाद्य सुरक्षा जांच के लिए एक-एक सरकारी प्रयोगशाला होगी। साथ ही केंद्र सरकार ने देश भर में 42 ऐसी प्रयोगशालाएं स्थापित करने का फैसला लिया है।
सभी राज्यों के मुख्य सचिव को पत्र लिख सूचित कर दिया है। उनसे प्रस्ताव भी मांगे हैं। इस प्रोजेक्ट में सरकार 482 करोड़ रुपये खर्च करने वाली है। सूत्र बताते हैं कि उत्तर प्रदेश से सबसे पहले इस प्रोजेक्ट पर काम करने की संभावना जताई जा रही है।
मंत्रालय के अनुसार, अभी तक सभी राज्यों में 72 राज्य स्तरीय प्रयोगशालाएं हैं। सर्वाधिक 11 प्रयोगशाला महाराष्ट्र में मौजूद हैं। यही वजह है कि सरकार अब यूपी, दिल्ली, बिहार, छत्तीसगढ़, गोवा, हिमाचल प्रदेश, असम और पंजाब जैसे राज्यों में इनकी संख्या को बढ़ाना चाहती है।