उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों, शिक्षकों और पेंशनरों को पुनरीक्षित वेतन के बकाए का 50 फीसदी हिस्सा 30 जून तक देने की तैयारी है। उच्च स्तर से संकेत मिलने के बाद वित्त विभाग ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस प्रस्ताव पर सहमति लेने से जुड़ी कार्यवाही शुरू कर दी है। दरअसल, सरकारी कर्मचारियों, शिक्षकों, शिक्षणेतर कर्मियों और पेंशनरों को सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के अनुरूप एक जनवरी 2016 से पुनरीक्षित वेतन का भुगतान होना है।
राज्य वेतन समिति की सिफारिश पर सरकार ने कर्मियों को वेतन का नकद भुगतान जनवरी 2017 से शुरू किया है। जनवरी से दिसंबर 2016 के एरियर का भुगतान बकाया है। एरियर का 50 फीसदी हिस्सा वित्त वर्ष 2018-19 में देने का फैसला पहले हो चुका है। लेकिन इसका भुगतान किस माह में किया जाए, यह निर्णय बाकी है।
वहीं, कर्मचारी संगठन लगातार सरकार पर एरियर भुगतान का दबाव बनाए हैं। शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शीर्ष स्तर (मुख्य सचिव/मुख्यमंत्री) से जून में एरियर भुगतान की कार्यवाही शुरू करने को कहा गया है। अब वित्त विभाग मुख्य सचिव के माध्यम से विभागीय मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक की सहमति लेने की कार्यवाही करेगा।
पुनरीक्षित वेतन मैट्रिक्स में वेतन तथा महंगाई भत्ते के बकाया 50 प्रतिशत हिस्से का भुगतान चालू वित्त वर्ष में 15 मई से 30 जून तक करने की तैयारी है। मुख्यमंत्री की सहमति मिलने के बाद इस संबंध में आदेश जारी हो जाएगा। इससे कर्मचारियों की एक बड़ी मांग भी पूरी हो जाएगी।
5,877 करोड़ का अतिरिक्त व्यय भार आने का अनुमान
प्रदेश सरकार ने राज्य वेतन समिति की सिफारिशों के अनुरूप पुनरीक्षित वेतन के बकाया का 50 प्रतिशत भुगतान करने के लिए 2018-19 के बजट में 5877.75 करोड़ रुपये का बंदोबस्त किया है।
इसमें राज्य कर्मचारियों के बकाया भुगतान पर 2801.10 करोड़ रुपये व स्वायत्तशासी संस्थाओं, राज्य से सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं के कर्मचारियों व शिक्षकों के लिए 3076.67 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया है।
इन्हें मिलेगा फायदा : राज्य कर्मचारी, राजकीय/सहायता प्रात शिक्षण/ प्राविधिक शिक्षण संस्थाओं के शिक्षक/शिक्षणेतर कर्मचारी, नगरीय स्थानीय निकायों के कर्मी व पेंशनर।