“हीरो से जीरो तक” दयाशंकर की कहानी हमारी जुबानी

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से निष्कासित किए गए दयाशंकर सिंह तब तक हीरो थे, जब तक उन्होंने बीएसपी चीफ मायावती के खिलाफ कथित अभद्र बयान नहीं दिया था। 20 जुलाई तक दयाशंकर यूपी बीजेपी में हीरो थे।

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टिप्पणी ने किया ऐसा कमाल की हिल गये दयाशंकर

मायावती के खिलाफ विवादित टिप्पणी से ठीक पहले दिन दयाशंकर का पार्टी कार्यकर्ताओं ने बलिया में जोरदार स्वागत किया था। यूपी बीजेपी उपाध्यक्ष बनने के बाद वह पहली बार बलिया आगमन पर उनका शानदार अभिनंदन किया गया था। 1 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दयाशंकर के क्षेत्र बलिया से ही उज्ज्वला योजना का शुभारंभ किया था। इस दिन दयाशंकर ने मोदी के साथ मंच साझा किया था। अब वक्त उनके लिए अब बेहद बदल गया है।

 
आज दयाशंकर के करीबी भी उनसे दूरी बरत रहे हैं। हालांकि उनके करीबी लोगों का कहना है कि दयाशंकर के शब्द बीएसपी छोड़ने वाले नेता (स्वामी प्रसाद मौर्य) के जैसे ही थे, लेकिन ‘गलत समय पर गलत शब्द’ कहना उनके लिए मुसीबत बन गया।

बीजेपी के कट्टर समर्थक औकर बिगाही पौर्वा गांव के आशीष मिश्रा का कहना है, ‘यह केवल जुबान फिसलने का मामला है लेकिन उन्हें सावधान रहना चाहिए। हालांकि उनके बयान का मतलब वही था जो बीएसपी छोड़ने वाले एक नेता ने दिया था। बलिया में इस बयान से पार्टी की संभावनाओं को कोई नुकसान नहीं होगा।’

बीजेपी बलिया के अध्यक्ष विनोद कुमार दुबे भी दयाशंकर से दूरी बना रहे हैं, उनका कहना है, ‘ये उनका निजी विचार था, पार्टी का इससे कोई लेना-देना नहीं है। ‘ हालांकि बीजेपी सूत्रों का कहना है दयाशंकर ने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारी है। वह बलिया से विधानसभा उम्मीदवार माने जा रहे थे। उन्होंने अपने ही राजनीतिक भविष्य को खतरे में डाल लिया है और बीएसपी को हमलावर होने का मौका दे दिया।

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