हरिद्वार: आतंक का पर्याय बन चुका टस्कर हाथी अब राजाजी टाइगर रिजर्व की निगाहों में रहेगा। राजाजी टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने कड़ी मशक्कत के बाद टस्कर पर रेडियो कॉलर लगाया है। अब टाइगर रिजर्व के अधिकारी हर एक घंटे बाद उसकी लोकेशन देख पाएंगे। उत्तराखंड राज्य गठन के बाद पहली बार किसी हाथी पर रेडियो कॉलर लगाई है।
पिछले कुछ दिनों ने आतंक का पर्याय बने टस्कर को रेडियो कॉलर लगाने के बाद जंगल में छोड़ दिया। रेडियो कॉलर लगाने के लिए वन विभाग ने डब्ल्यूआइआइ के वैज्ञानिकों की मदद भी ली। अब हाथी पर नजर रखने के लिए पार्क की टीम के साथ डब्ल्यूआइआइ के कर्मचारी भी रहेंगे। यह टीम आने वाले कई माह तक टस्कर पर नजर रखेगी।
वन्यजीव वैज्ञानिक विभास पांडू ने बताया कि कड़ी मशक्कत के बाद हाथी पर कॉलर लगाने में सफलता मिली है। टाइगर रिजर्व के निदेशक सनातन सोनकर की मानें तो सीमित संसाधनों में इस संपूर्ण ऑपरेशन को अंजाम देना एक कठिन चुनौती था।
अब रेडियो कॉलर लगने के बाद अगले तीन वर्ष पार्क महकमे के लिए अहम होंगे। एक ओर जहां वैज्ञानिक जंगली गजराजों के आचरण व रहन-सहन की जानकारी एकत्र कर सकेंगे तो वहीं दूसरी ओर यह आने वाले युवा वन्यजीव वैज्ञानिकों के लिए अध्ययन का आधार भी बन सकेगा।