सेक्स करने से फैलता है यह वायरस, इस तरह रखें ध्यान…

एचपीवी यानी ह्यूमन पेपिलोमा वायरस एक बहुत खतरनाक और सबसे तेजी से फैलने वाला वायरस है। इसके अलावा इसके लक्षण भी पता करना मुश्किल है| एचपीवी वायरस कैसे फैलता है और इससे कैसे बचा जा सकता है।

ये जानना बहुत जरूरी है।

सर्वप्रथम ये कि यौन रूप से सक्रिय 80%  महिला और पुरुष जीवन में कभी न कभी इससे ग्रसित होते हैं। यूके पब्लिक हेल्थ सर्विस, एनएचएस और अमेरिक एसोशिएशन ऑफ सेक्सुअल हेल्थ इसकी शोध करते हैं। अमरीका में यह यौन रूप से फैलने वाली सबसे मामूली बीमारी है। जामा ऑनकोलोजी पत्रिका में छपे राष्ट्रीय सर्वे के मुताबिक सेक्स में शामिल 2000 में से आधे पुरुषों को यह संक्रमण था।

दूसरी और जरूरी बात कि एचपीवी से 6 तरह के कैंसर हो सकते हैं। एचपीवी गर्भाशय कैंसर के लिए 99 प्रतिशत , गुदा कैंसर के लिए 84 प्रतिशत, लिंग कैंसर के लिए 47 प्रतिशत जिम्मेदार होता है। वहीं इसके संक्रमण से योनिमुख, योनि, गले और मुंह का कैंसर भी होता है। एचपीवी वायरस की सौ से अधिक किस्में पता लगाया गया है। इनमें से 30 किस्में प्रजनन अंगों को प्रभावित करती हैं। एचपीवी-16 और एचपीवी-18 वायरस सबसे अधिक खतरनाक होते हैं। ये गर्भाशय कैंसर के लिए 70 प्रतिशत से अधिक जिम्मेदार होता है। ज्यादातर लोग कभी ना कभी एचपीवी से संक्रमित होते हैं, लेकिन उनका प्रतिरक्षा तंत्र इस वायरस से उनकी रक्षा करता है।

तीसरी, आमतौर पर एचपीवी संक्रमण का कोई लक्षण नहीं होता है। इस कारण इसका पता लगाना आसान नहीं है। महिलाओं में उनके गर्भाशय की कोशिकाओं के नमूने की जांच करके उनमें एचपीवी के संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। इसके लिए दो तरह के जांच की मदद ली जाती है। एक वजाइनल साइटोलॉजी यानी कोशीय जांच और दूसरी पेप टेस्ट या पेपनिकोलाई जांच। लेकिन पुरुषों में अभी भी इस वायरस के संक्रमण का पता लगाने का कोई सही तरीका नहीं मिल पाया है।

एनएचएस के मुताबिक, “हालांकि एचपीवी का पता लगाने को कोई ऐसा तरीका नहीं है जिस पर भरोसा किया जा सकता है। इस वायरस का कोई लक्षण नहीं मिलने के कारण इसके इलाज में बहुत परेशानियां आ रही हैं”। यदि किसी व्यक्ति में गुदा एचपीवी संक्रमण होने का गंभीर खतरा होता है तो इसका पता लगाने के लिए एनल साइटोलोजी यानी गुदा कोशीय जांच की जाती है।

चौथी और आखिरी अहम बात ये है कि युवाओं के लिए एचपीवी वायरस से बचने का टीका उपलब्ध है। ऐसे कई टीके बाजार में मौजूद हैं। इनमें से कई बेहद गंभीर एचपीवी-16 और एचपीवी-18 वायरस से बचने में मदद करते हैं। एक दूसरा सबसे नया टीका एचपीवी से जुड़े कैंसर से 90 प्रतिशत तक बचाता है। कई देशों में सरकार समय-समय पर ये टीके किशोरियों को देती है।

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