एजेंसी/ सरकार मौजूदा फार्मा कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मानदंडों में ढील देने के एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है ताकि ज्यादा विदेशी निवेश आकर्षित किया जा सके। सूत्रों ने बताया कि वित्त मंत्रालय के एक प्रस्ताव के मुताबिक स्वत: निवेश के जरिये 49 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति होनी चाहिए और इसके अलावा विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से मंजूरी आवश्यक होगी। औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) और वित्त मंत्रालय इस प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं। फिलहाल फार्मा क्षेत्र की नई परियोजनाओं में 100 प्रतिशत तक एफडीआई की मंजूरी है लेकिन मौजूदा कंपनियों में विदेशी निवेश की मंजूरी एफआईपीबी की अनुमति के जरिये होती है।
डीआईपीपी ने घरेलू दवा कंपनियों के विलय एवं अधिग्रहण पर चिंता के बीच मौजूदा फार्मा कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के असर के आकलन के अध्ययन के लिए एक अध्ययन समिति का गठन किया है। इस क्षेत्र में एफडीआई विवादास्पद मुद्दा रहा है क्योंकि विदेश की विशाल कंपनियों द्वारा कुछ भारतीय फार्मा कंपनियों के विलय एवं अधिग्रहण पर चिंता जाहिर की गई है। विश्लेषकों का मानना है कि इससे देश में जेनेरिक उद्योग की वृद्धि और पहुंच प्रभावित हो रही है। दरअसल संसद की एक स्थाई समिति ने मौजूदा कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के असर की जांच के लिए अध्ययन समूह के गठन का सुझाव दिया था।
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