तीन साल बाद इस बार फिर मकर संक्रांति 14 जनवरी को रही है। यह संक्रांति इसलिए भी खास होगी। क्योंकि इसके ठीक एक दिन पहले 13 जनवरी को खरीदी का महामुहूर्त पुष्य नक्षत्र रहेगा।
वर्ष 2017 का यह पहला पुष्य नक्षत्र होगा। इस बार संक्रांति में जो खरीदी शुरू होगी, तो पूरे साल चलेगी। क्योंकि वर्ष 2017 में 13 बार खरीदी के लिए पुष्य नक्षत्र आयेगा। 14 जनवरी को सूर्य के उत्तरायण होने पर शुभता की शुरुआत होगी। पंडित गीताजंली मिश्र ने बताया संक्रांति पूर्व खरीदी का पुष्य नक्षत्र का आना संयोग माना जाता है। 14 की सुबह 7.38 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
इस दौरान स्नान, दान का पुण्यकाल शुरू होगा, जो दिन भर रहेगा। इसी रोज सुबह 7.14 पर सूर्योदय से शाम 4.26 बजे तक प्रीति योग का संयोग भी बन रहा है। 27 योगों में यह योग परस्पर प्रेम बढ़ानेवाला है। पुष्य नक्षत्र 13 जनवरी की सुबह 7.14 से रात 11.14 बजे तक यानी 16 घंटे का होगा। लोग खरीदी का लाभ उठा सकते हैं। कुछ जगह संक्रांति 15 जनवरी को बताई जा रही है। ग्रह-नक्षत्रों की गणना अनुसार संक्रांति 14 जनवरी को ही है। इस साल 13 जनवरी शुक्रवार, नौ फरवरी गुरुवार, नौ मार्च गुरुवार, पांच अप्रैल बुधवार, दो मई मंगलवार, 30 मई मंगलवार, 26 जून सोमवार, 23 जुलाई रविवार, 20 अगस्त रविवार, 16 सितंबर शनिवार, 13 अक्तूबर शुक्रवार, 10 नवंबर गुरु-शुक्र, सात दिसंबर गुरुवार को पुष्य नक्षत्र रहेगा।
मकर संक्रांति पर रसोई में तिल और गुड़ के लड्डू बनाये जाने की परंपरा है। इसके पीछे बीती कड़वी बातों को भुला कर मिठास भरी नयी शुरुआत करने की मान्यता है, अगर वैज्ञानिक आधार की बात करें, तो तिल के सेवन से शरीर गर्म रहता है और इसके तेल से शरीर को भरपूर नमी भी मिलती है। खुशी और समृद्धि का प्रतीक मकर संक्रांति त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। विभिन्न प्रांतों में यह त्योहार अलग-अलग नाम और परंपरा के अनुसार मनाया जाता है। संक्रांति के दिन पुण्य काल में दानदेना, स्नान करना या श्राद्ध कार्य करना शुभ माना जाता है।