पाक को US की मदद पर रोक के लिए चीनी मीडिया ने भारत को कोसा

चीनी मीडिया ने भारत को कोसा

अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को दी जा रही मदद पर रोक से अब चीन भी बौखला गया है। जहां, एक तरफ चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने स्पष्ट तौर पर पाकिस्तान के खिलाफ अमेरिका की कार्रवाई का विरोध किया है तो दूसरी तरफ उसके सरकारी मीडिया ने इस कटौती के लिए भारत को कोसा है। लू कांग ने कहा है कि अमेरिका द्वारा पाकिस्तान पर उठाई गई उंगली और उसे आतंकवाद से जोड़ने का चीन विरोध करता है। इतना ही नहीं, चीन ने कहा है कि आतंकी समूहों पर कार्रवाई करना सिर्फ एक देश की जिम्मेदारी नहीं है। चीन के मीडिया ने भारत को सलाह दी है कि वह अपने पड़ोसियों के हितों के बारे में भी सोचे।पाक को US की मदद पर रोक के लिए चीनी मीडिया ने भारत को कोसा

 लू कांग ने मीडिया से कहा, ‘चीन ने हमेशा ही किसी एक देश से आतंकवाद को जोड़ने का विरोध किया है और हम आतंकवाद से निपटने की जिम्मेदारी किसी एक देश के कंधे पर डालने का भी विरोध करते हैं। हमने कई बार कहा है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कई बलिदान दिए हैं। आतंकरोधी अभियानों में सहयोग परस्पर आदर से होना चाहिए, न कि एक-दूसरे पर उंगली उठाना चाहिए।’ ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय के मुताबिक, पेइचिंग में यह स्पष्ट तौर पर माना जाता है कि भारत की हाल में बदली विदेश नीति सिर्फ उसके अपने फायदे के लिए है और इससे केवल टकराव बढ़ेगा। यह नीति एक-दूसरे को नीचा दिखाने वाली है। 

ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में नई दिल्ली से अपनी नीति बदलने और पड़ोसियों का ज्यादा से ज्यादा अच्छा करने के लिए रणनीतिक नीति अपनाने को कहा गया है। बता दें कि नए साल पर अपने पहले ही ट्वीट में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान पर आतंकियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया था। इसके बाद अमेरिका की तरफ से दी जा रही सैन्य मदद पर भी रोक लगा दी गई थी। 
इस स्थिति का हवाला देते हुए, पेइचिंग चाहता है कि इस्लामाबाद को अपना फोकस अब ज्यादा से ज्यादा चीन और रूस पर रखना चाहिए। ट्रंप के ट्वीट के अगले ही दिन पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक ने घोषणा की थी कि वह चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार और निवेश के लिए डॉलर की जगह युआन का इस्तेमाल करेगा। 

ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में कहा गया है कि चीन की ओर से पाकिस्तान को प्रभावी आर्थिक सहायता और सहयोग दिया जाना चाहिए। संपादकीय के आखिर में लिखा गया है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के विकास को दक्षिण एशिया में स्थिरता और पूरे क्षेत्रीय विकास के लिए सकारात्मक तौर पर देखना चाहिए।

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