देहरादून: भारतीय सैन्य अकादमी के 40 वें रेगुलर और 24वें तकनीकी एंट्री कोर्स ने स्वर्ण जयंती मनाई। आइएमए में आयोजित हुए कोर्स रियूनियन में देशभर से अधिकारी जुटे। यह सभी 16 दिसंबर 1967 में अकादमी से अंतिम पग पार करते हुए सेना में बतौर अधिकारी बने थे। इस दौरान विभिन्न युद्ध और ऑपरेशन में शहीद हुए अधिकारियों को भी श्रद्धांजलि दी गई।
वर्ष 1967 में पास आउट होने वाले इस बैच ने देशसेवा में समर्पित होने वाले कई अधिकारी दिए। इनमें कैप्टन देवेंद्र अहलावत भी शामिल रहे, जिन्हें मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा दो वीर चक्र, दो शौर्य चक्र और छह सेना मेडल भी बैच के अधिकारियों के नाम हैं।
इस बैच ने नौ लेफ्टिनेंट जनरल भी दिए। जिनमें एक इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के चीफ, एक वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ, तीन सेना कमांडर, एक उप सेनाध्यक्ष और तीन विभिन्न विभागों के महानिदेशक शामिल हैं। इतना ही नहीं कोर्स के सदस्य जनरल केएस राव दुनिया भर में अपनी नौकाओं में प्रक्षेपण करने वाले पहले भारतीय थे।
वहीं, मेजर किरण इंद्र कुमार ने माउंट एवरेस्ट पर विजय प्राप्त करने के अपने प्रयास में अपना जीवन गंवा दिया। कर्नल पवन नायर ने अंटार्कटिक में पहला भारतीय बेस द दक्षिण गंगोत्री स्थापित किया। इसके अलावा कर्नल एसडी उमालकर ने रणजी ट्रॉफी मैच में क्रिकेट टीम का बतौर कप्तान नेतृत्व किया।
आइएमए में आयोजित इस विशेष आयोजन में बैच से जुड़े अधिकारियों और उनके परिवारों के बीच खासा उत्साह देखने को मिला। उन्होंने सैन्य जीवन से जुड़े अपने अनुभव साझा किए। इसके साथ ही साल 1967 में प्रशिक्षण के दौरान के खट्टे मीठे लम्हों को भी याद किया गया।
वातावरण कभी जोश और उत्साह से जबरेज दिखा तो कभी वीरगती को प्राप्त हुए अपने साथियों को याद कर आंखें भर आई और माहौल गमगीन भी नजर आया। आइएमए कमांडेंट ले. जनरल एसके झा ने बैच का स्वागत करते हुए अकादमी की मौजूदा सुविधाओं, संसाधनों और भविष्य में किए जाने वाले बदलावों की जानकारी दी।
आइएमए के कर्नल अतुल मेहरा ने आइएमए में प्रशिक्षण अवधि के दौरान घटित घटनाओं को दिलचस्प स्लाइडों के साथ प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में 1967 बैच के स्वॉर्ड ऑफ ऑनर प्राप्त और पूर्व सेना कमांडर जनरल केएस जमवाल ने आइएमए स्टाफ और समारोह का हिस्सा बने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया। इस दौरान आइएमए के चीफ कोऑर्डिनेटर ब्रिगेडियर आरपी नौटियाल सहित काफी संख्या में सैन्य अधिकारी मौजूद रहे।