उत्तरकाशी के हर्षिल से लमखागा पास होते हुए छितकुल हिमाचल की ट्रेकिंग के लिए गए आठ पर्यटकों समेत 11 लोगों के दल में से पांच ट्रेकरों के शव शुक्रवार को हर्षिल लाए गए। जबकि ट्रेक पर दो और शव भी दिखे हैं। एक और गाइड को रेस्क्यू कर उपचार के लिए हर्षिल पीएचसी में भर्ती किया गया है। अब तक ट्रेक से 7 लोगों के शव मिल चुके हैं।
दो लोग अभी भी लापता हैं। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि, जिन ट्रेकरों के शव हर्षिल लाए गए हैं, वे पश्चिम बंगाल और दिल्ली के रहने वाले थे। गाइड देवेंद्र चौहान पुत्र हरिराम ग्राम गंगाड पुरोला को जीवित हर्षिल लाया गया है। दो लापता ट्रेकरों की तलाश में छितकुल की पहाड़ियों पर हेलीकॉप्टर से सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
रामगढ़ में दो और मजदूरों के शव बरामद
भवाली (नैनीताल)। रामगढ़ विकासखंड के झूतिया सुनका गांव में बीते दिनों भारी बारिश के चलते मलबे में दबे दो और मजदूरों के शव शुक्रवार को निकाले गए। जबकि शेष दो मजदूरों के शवों की खोजबीन जारी है। रेस्क्यू टीम अब तक 7 मजदूरों के शव निकाल चुकी है। शुक्रवार को मिले दो शवों में से एक शव मकान से 1 किमी दूर नदी में मिला है, जिसके बाद अन्य दो मजदूरों के शवों के भी नदी में मिलने की आशंका बढ़ गई है। दोनों मजदूर बिहार के रहने वाले थे। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और ग्रामीण शवों की तलाश में जुटे हुए हैं।
चार दिन खजूर खाकर रहा जिंदा
छितकुल ट्रेक से जीवित बचाए गए पश्चिम बंगाल के ट्रेकर मिथुन ने बताया कि, मौसम खराब होने के दौरान उनका पैर फ्रैक्चर हो गया। मिथुन ने कहा कि, चार दिन वह टेंट में अपने साथी के साथ फंसे रहे। उसके बाद साथी का भी पता नहीं चला। खाने का सामान गुम हो चुकी था। चार दिन खजूर और चॉकलेट खाकर जिंदा रहा।
बागेश्वर में मौसम बना रेस्क्यू में रोड़ा
बागेश्वर। सुंदरढूंगा में लापता छह लोगों का शुक्रवार को भी पता नहीं चल सका है। मौसम एक बार फिर रेस्क्यू अभियान में रोड़ा बन गया। चार चॉपरों ने कपकोट से तो उड़ान भरी, लेकिन बादल होने के कारण ग्लेशियर तक उड़ान नहीं भर पाए। जबकि एसडीआरएफ की टीम ग्लेशियर को रवाना हो गई है। इधर, कफनी ग्लेशियरों में फंसे भेड़ पालकों को सुरक्षित ढूंढ लिया है। खाती से 42 सदस्यीय दल कपकोट की ओर लौट रहा है।
पांचवें दिन हुए सात फेरे
पिथौरागढ़। पिथौरागढ़ निवासी काजल का विवाह टनकपुर निवासी मुकेश के साथ एक दिन में संपन्न होना था, लेकिन आपदा की वजह से उसमें पांच दिन लग गए। सड़क बंद होने से चार दिन तक दूल्हा सहित पूरी बारात भीमताल के एक होटल में रही। लंबे इंतजार के बाद सड़क खुली तो दूल्हा बारात लेकर दुल्हन के घर पहुंचा। तब जाकर पांचवें दिन दूल्हा-दुल्हन सात फेरे ले सके।