जानें, टॉइलट हो अगर वास्तुनुसार तो क्या हो सकते हैं फायदे
आजकल स्थानाभाव के कारण ज्यादातर टॉइलट लोग अपनी सुविधानुसार बनवाना ही पसंद करते हैं। मगर यह वास्तुदोष के लिए सही नहीं। दरअसल ऐसे आप कई स्वास्थ्य समस्यों को भी खुला न्यौता दे डालते हैं। कई बार यह वास्तुशास्त्र के ज्ञान न होने के कारण भी हो जाते हैं। चलिए आगे की स्लाइड्स में जानते हैं कि क्या हैं शौचालय निर्माण से जुड़े वास्तु टिप्स, जिन्हें अपनाकर हम अपने जीवन को सुखमयी बना सकते हैं।
किस दिशा में कभी न बनवाएं टॉइलट
हमेशा टॉइलट और बाथरूम एकसाथ नहीं बनाने चाहिए। दरअसल यह हमारी भारतीय संस्कृति के अनुकूल नहीं है। अगर फिर भी साथ बनवाते हैं तो उनके बीच में एक दीवार अवश्य खड़ी करवाएं। शौचालय का निर्माण हमेशा ही मध्य स्थान, ईशान कोण, दक्षिण पश्चिम कोण या आग्नेय कोण की ओर नहीं होना चाहिए।
किस तरह की समस्याएं आती हैं पेश
शास्त्रानुसार घर के मध्य भाग में टॉइलट पूर्णतः वर्जित ही माना जाता है। एक तो यह निर्माण की पूरी व्यवस्था को बिगाड़ देता है, वहीं इससे आपकी प्रगति में रुकावट आती है और घर के सदस्य हमेशा बीमार ही रहते हैं। वहीं दक्षिण पश्चिम कोण में बने शौचालय से हमेशा घर के मुखिया के स्वास्थ्य और जीवन में समस्याएं पैदा होती रहती हैं। इसके अलावा ईशान कोण पर होने से आर्थिक परेशानियां एवं मानसिक रूप से आप हमेशा अस्थिर बने रहते हैं। इसीलिए घर के हमेशा उत्तरी एवं पश्चिमी वायव्य की ओर टॉइलट बनाना चाहिए।
सीट व कमोड का कैसा हो निर्माण
घर में शौचालय की सीट हमेशा पश्चिमी या दक्षिणी दिशा में रखें। हालांकि उत्तर-दक्षिण पर रखना सबसे लाभकारी रहता है। दरअसल टॉइलट का इस्तेमाल करते समय आपका चेहरा उत्तर, पश्चिम या दक्षिण दिशा में होना चाहिए। ऐसे कमोड का दक्षिण-पश्चिम में होना सबसे उत्तम होता है। वहीं कमोड पर बैठते समय चेहरा उत्तर या पूर्व की तरफ रखा जा सकता है। इससे कब्ज, गैस और मस्से की बीमारी नहीं होती है।
छत, टंकी और नल संबंधी चीजों का कैसा हो निर्माण
टॉइलट सीट भूमि तल से एक या दो फुट ऊंची होनी चाहिए क्योंकि शौचालय का भूमितल से नीचा रहने पर घर में निवास करने वाले लोगों की आर्थिक, शारीरिक और मानसिक स्थिति अच्छी बनी रहती है। इसके साथ ही टॉइलट का दरवाजा पूर्व या उत्तर की ओर रखना चाहिए। वहीं एक छोटी खिड़की पूर्व, पश्चिम या उत्तर में रखनी चाहिए। पानी की टंकी या नल पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व कोण में रखना शुभ रहता है। इसे भूलकर भी दक्षिण-पूर्व एवं दक्षिण-पश्चिम में नहीं रखना होता है।
अगर शौचालय हो घर में घुसते ही तो…
टॉइलट की दीवार का रंग अपनी पसंद के अनुसार हमेशा हल्का ही रखें। ऐसे आजकल पश्चिमी सभ्यता के चलते शौचालय के साथ-साथ बाथ टब, नहाने के लिए फव्वारा आदि सब साथ ही लगे रहते हैं। इसके अलावा घर में प्रवेश करते ही सामने शौचालय होने से हमेशा ही पेट संबंधी बिमारियों से आप घिरे रहते हैं। ऐसे में टॉइलट के मुख्य द्वार पर 4″ बटे 4″ का शीशा लगाएं।
ईशान कोण में हो यदि टॉइलट
ईशान कोण में शौचालय होने से घर या कार्यक्षेत्र में आर्थिक हानि और सदस्यों में मानसिक असंतुलन, कोई गंभीर बीमारी और झगड़े की संभावना बनी रहती है। ऐसे में उत्तर दीवार पर छत के एकदम नीचे शीशे की 1 फुट चौड़ी पट्टी लगाना लाभदायक रहेगा। इसके अलावा टॉइलट की छत एवं भूमि का ढाल और आउटलेट पूर्व या उत्तर की ओर रखें।
अगर किचन होकर जाना पड़ता हो टॉइलट तो…
इसके अलावा टॉइलट-बाथरूम साथ हों और किचन के साथ या फिर टॉइलट जाने के लिए किचन से गुजरना पड़ता है तो इसके लिए यह उपाय अपनाएं। टॉइलट की चौखट के फर्श पर दहलीज की तरफ से 4 इंच चौड़ा पीला पेंट कराएं। वहीं शौचालय की तरफ वाली दीवार, जो किचन के साथ है उस पर नकारात्मक ऊर्जा को रोकने के लिए तीन हरे पिरामिड लगाएं। दूसरी ओर टॉइलट में सी सॉल्ट, सिरामिक बाउल आदि को उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पूर्व कोण में रखें, दरअसल यह बुरे प्रभावों को रोकते हैं।