उत्तर प्रदेश में फिलहाल समाजवादी पार्टी को चुनावों में समर्थन दे रही बहुजन समाज पार्टी का कद कर्नाटक में बढ़ गया है। पार्टी ने वहां पर विधानसभा चुनाव में एक सीट पर जीत दर्ज की है। इसके साथ ही कर्नाटक में बसपा के वोट प्रतिशत में भी इजाफा हुआ है।
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कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी जहां एक सीट जीतने में कामयाब रही, वहीं प्रदेश की एक और पार्टी समाजवादी पार्टी का खाता भी नहीं खुला। यह दोनों दल उत्तर प्रदेश में फिलहाल मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन कर्नाटक में अपने-अपने प्रत्याशी उतारे थे। वहां पर बसपा को जनता दल सेकुलर के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरने का लाभ मिला।
बसपा को राष्ट्रीय पार्टी दर्जा बने रहने की उम्मीद
बसपा को कर्नाटक में एक विधानसभा सीट व 0.3 फीसदी (106809) वोट मिले हैं। कुछ समय से यूपी व अन्य राज्यों में बसपा का प्रदर्शन खराब रहा है। इसीलिए उसके ऊपर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बनाये रखने के लिए दबाव है। ऐसे में उसका यह प्रदर्शन उसे थोड़ी राहत दे रहा है। बसपा ने यहां 18 सीटों पर चुनाव लड़ा और एक सीट जीती। बीएसपी की कर्नाटक यूनिट के अध्यक्ष एन महेश ने राज्य की कोल्लेगला विधानसभा सीट पर सफलता हासिल की है। दलित बाहुल्य यह सीट आरक्षित है। इस सीट पर बीएसपी को 71792 वोट मिले हैं। वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के एआर कृष्णामूर्ति को 52338 वोट मिले। इस सीट पर भाजपा को 39690 वोट मिले। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कर्नाटक में दो दिन का चुनावी दौरा भी किया था।
अब चूंकि कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस जनता दल सेकुलर की दोस्ती हो रही है, ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि बसपा का कांग्रेस के प्रति क्या रुख रहता है। बसपा नेता मायावती भाजपा के साथ कांग्रेस के प्रति भी काफी आक्रामक रहती हैं। चूंकि जिस तरह की त्रिशंकु विधानसभा का स्वरूप सामने आया है, उसमें बसपा के एकमात्र विधायक की भी खासी अहमियत है। इसके अलावा दूसरी सूरत यह भी है कि भाजपा को जनता दल सेकुलर देर सबेर सहयोग कर दे। ऐसे में बसपा के लिए भाजपा गठबंधन के साथ जाने में खासी मुश्किल होगी खास तौर पर जब यूपी में ही बसपा सपा गठबंधन भाजपा को हराने के लिए अभी से लग गया है।
सपा का प्रदर्शन रहा निराशाजनक
इस चुनाव में सपा ने बीस उम्मीदवार उतारे थे लेकिन उनका प्रदर्शन निराशाजनक ही रहा। मलूर, बेगापट्टी, बेलारी सिटी व भाल्की समेत 20 सीटों पर सपा ने चुनाव लड़ा लेकिन उसका प्रदर्शन निराशाजनक रहा। अब समाजवादी पार्टी की दूसरे राज्यों में पांव पसारने की हसरतें पूरी होती नहीं दिख रही हैं। एक वक्त था कि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस बंगराप्पा सपा में शमिल हो गये थे। इस कारण सपा को मजबूती मिलने की उम्मीद थी लेकिन उनके निधन के बाद सपा वहां अपनी जड़े नहीं जमा सकी।