बांदा: जोश और जज्बा कायम हो तो उम्र आड़े नहीं आती. इस कहावत को सच करने के लिए बेंगलुरू में बुधवार से शुरू होने वाली पांच दिवसीय राष्ट्रीय मास्टर्स एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए उत्तर प्रदेश के बांदा शहर के 70 साल के बुजुर्ग धावक मोतीलाल चौरसिया पहुंच गए हैं.
बांदा शहर के मुहल्ला कालवनगंज के बुजुर्ग धावक मोतीलाल चौरसिया की एक सड़क दुर्घटना में एक पैर की हड्डी टूट गई थी. लेकिन हौसले के मजबूत मोतीलाल ने हिम्मत का परिचय देते हुए पिछले माह कानपुर में 27वीं प्रादेशिक मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 100, 200 मीटर और पांच किलोमीटर की दौड़ में तीन स्वर्ण पदक जीते.
मोतीलाल ने हाल ही में अपनी आंखों का ऑपरेशन करवाया है और अब उन्हीं बूढ़ी आंखों से राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीतने का सपना देख रहे हैं. वह बांदा के पंडित जे.एन. डिग्री कॉलेज में 1976 से 78 तक स्पोर्ट्स चैंपियन और बाद में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के भी चैंपियन रह चुके हैं.
बुजुर्ग धावक चौरसिया ने बेंगलुरू से फोन पर बुधवार को कहा कि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने वाले बुंदेलखंड में जोश और जज्बे की कमी नहीं है. उनकी पूरी कोशिश होगी कि वह राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीत कर बुंदेलखंड और उत्तर प्रदेश की जनता को सौंपें. उन्होंने कहा कि इस चैंपियनशिप को जीतने के बाद वह विश्व पटल पर भारत की बूढ़ी हड्डी का दम दिखाना चाहेंगे.
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