सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव भले ही परिवार के भीतर मचा सियासी घमासान खत्म होने के दावे कर रहे हों, लेकिन विधानसभा चुनाव में सीएम के चेहरे को लेकर परिवार एकमत नहीं है। इसका संकेत खुद मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को दिया।प्रदेश अध्यक्ष के नाते सपा में कौएद के विलय से किया था मना
अखिलेश से पूछा गया कि आपने कौमी एकता दल के सपा में विलय के फैसले का विरोध किया था? उन्होंने कहा, तब मैं खुद पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष था, इसलिए मैंने विलय से मना किया था। अब प्रदेश अध्यक्ष नहीं हूं। ऐसे मामलों पर निर्णय लेने का अधिकार संगठन को है। सीएम किसी भी दल को पार्टी में शामिल नहीं करता है।
हमारे समर्थक नहीं मांग रहे टिकट
अपने समर्थकों को टिकट नहीं दिए जाने के सवाल पर अखिलेश का कहना था कि हमारे समर्थकों ने कभी टिकट नहीं मांगा। जो जिस लायक थे, सरकार ने उन्हें सलाहकार बनाकर जिम्मेदारी सौंप दी है।
जहां तक प्रत्याशियों के चयन में मेरी भूमिका का सवाल है, तो मुझे जो भी सुझाव देना होता है, नेताजी को दे देता हूं। मैं अपनी पसंद के प्रत्याशियों की सूची तैयार करके पार्टी सुप्रीमो को भेज दूंगा। अंतिम निर्णय उनका होगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जिलों के बेहतर विकास के लिए 13 जिलों के डीएम को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। सबसे अधिक 4 स्मृति चिह्न नोएडा के डीएम एनपी सिंह को मिला। उन्हें औद्योगीकरण, वाटर एवं सेनिटेशन, प्रदेश की आर्थिक संपन्नता और जिले के संपूर्ण विकास के लिए सम्मानित किया गया।
इनके अलावा इटावा के डीएम शमीम अहमद खान, देवरिया की डीएम अनिता श्रीवास्तव, गाजियाबाद की डीएम निधि केसरवानी, रायबरेली के डीएम अनूप कुमार, पीलीभीत के डीएम मासूम अली सरवर, ललितपुर के डीएम डॉ. रूपेश कुमार, कानपुर देहात के डीएम कुमार रविकांत सिंह, आगरा के डीएम गौरव दयाल, फतेहपुर के डीएम वेदपति मिश्रा, श्रावस्ती के डीएमनीतीश कुमार, कौशांबी के डीएम एपी सिंह और संत कबीरनगर के डीएम सुरेश कुमार के साथ ही श्रावस्ती के एसपी दीपक भट्ट व अंबेडकर नगर के एसपी पीयूष श्रीवास्तव को सम्मानित किया गया। लखनऊ के डीएम सत्येंद्र सिंह को भी सम्मानित किया जाना था, लेकिन वे नहीं पहुंचे।
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