लखनऊ.दस्यु सरगना निर्भय सिंह गुज्जर की पत्नी नीलम जेल से छूटने के बाद निकाय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं। नीलम ने 12 साल जेल में बिताए। उनके साथ 12 साल पहले आत्मसमर्पण करने वाले निर्भय गुज्जर के बेटे श्याम जाटव की कहानी नीलम ने शेयर की। निर्भय के बाद गैंग में सबसे ज्यादा श्याम की ही चलती थी।
9 साल की उम्र में हुआ था अपहरण
– निर्भय गुज्जर की पत्नी नीलम ने बताया, “श्याम दिल्ली के एक बड़े बिजनेसमैन का बेटा था। 1989 में निर्भय ने फिरौती के लिए दिल्ली के मंगोलपुरी से उसका किडनैप कर लिया था।”
– ”निर्भय ने श्याम के पिता से फिरौती के लिए लाखों रुपए मांगे थे। जब फिरौती की रकम नहीं मिली तो उसने श्याम को मारने का प्लान बनाया। बाद में तत्कालीन पत्नी मुन्नी के कहने पर उसको छोड़ दिया और अपने साथ ही रख लिया।”
– ”श्याम को मुन्नी ने बेटे की तरह पाला और निर्भय के साथ रहकर वो भी डकैत बन गया। लेकिन श्याम दिल का बुरा नहीं था।”
जुर्म की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया श्याम
– ”श्याम जाटव बेहद कम उम्र में पुलिस के लिए चुनौती बन गया था। निर्भय गैंग में सबसे ज्यादा श्याम की ही चलती थी। पुलिस को निर्भय के बाद अगर किसी की शिद्दत से तलाश रहती थी तो वो वही था।”
– ”उसके नाम दर्जनों हत्याएं, लूट-डकैती के केस पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज हैं। उसने 31 जुलाई 2004 को पुलिस स्पेशल डकैती कोर्ट में आत्म समर्पण कर दिया था। तब से वो जेल में है।”
श्याम को मारने पर था 21 लाख का ईनाम
– “मैं जंगल में बहुत दुखी रहती थी। श्याम भी उसके अत्याचार से काफी परेशान था। एक दिन उसने मुझसे जंगल से भागने को कहा। वो भी मेरे साथ भागने को तैयार था और उसे रास्ता भी मालूम था। बस फिर हम दोनों जंगल से भाग निकले।”
– ”मेरी इस हरकत से निर्भय गुर्जर आगबबूला हो गया था। उसने एलान किया था कि जो भी मुझे या श्याम को जिंदा या मुर्दा पकड़कर लाएगा, उसे वो 21 लाख रुपए का इनाम देगा।”
आत्मसमर्पण के वक्त ये बोला था श्याम
– ”श्याम ने 12 साल 2004 में आत्मसमर्पण के समय बताया था कि वो सरकार से अपने माता-पिता से मिलवाए जाने की डिमांड करेगा। उसने अपने माता-पिता को 11 साल पहले देखा था। दस्यु निर्भय अब बूढ़ा हो चुका है और वो नए-नए लड़कों को साथ रखकर उनसे गलत कार्य कराता है।”