Faridabad-March-27,2014-Kinnar participate in Sobha Yatra during International Manglamukhi Mahasammelan in faridabad on thursday-photo by-Dushyant Tyagi

आईये जाने आखिर कैसे होता है किसी किन्नर का जन्म

किन्नर जिसे आम भाषा में हम छक्के और ट्रांसजेंडर भी कहते हैं। इनके शरीर की बनावट एक आम इंसान से अलग होती है। इनकी अलग बनावट की वजह से ही लोग इन्हें नहीं अपनाते हैं और इन्हें अपने अलग समाज में रहना पड़ता है।

आईये जाने आखिर कैसे होता है किसी किन्नर का जन्म

ज्योतिष विद्या की माने तो व्यक्ति की जन्मपत्री के 8वें घर में शुक्र और शनि मौजूद हों और इन्हें गुरु और चन्द्र नहीं देख रहे हों, तो व्यक्ति का जन्म नपुंसक के रूप में होता है। इसी तरह ज्योतिष विद्या का इस्तेमाल कर भी बताया जा सकता है कि व्यक्ति बड़े होकर तीसरी श्रेणी में अपनी जगह बनाएगा या नहीं।

 

शास्त्रों में ये भी माना गया है कि जिस व्यति के पूर्व जन्मों के कर्म बुरे हों और व्यक्ति पाप का भागीदार हो तो उसे किन्नर का जन्म मिलता है। इसके अलावा शास्त्रों में किन्नरों का उल्लेख जरूर किया गया है, लेकिन कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं किया गया कि किन्नरों का अपमान करना सहीं है और उन्हें निचले दर्जे का समझना चाहिए। अगर कोई  भी व्यक्ति किन्नरों का सम्मान नहीं करता या उनका मजाक उड़ाता है, तो शास्त्रों के अनुसार उसे अगला जन्म किन्नर का मिलता है। साथ ही उसे भी इसी तरह के अपमान को भुगतना पड़ता है।

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लेकिन हमारे समाज में लोग इन्हें वो मान-सम्मान नहीं मिलता जो आम लोगों को मिलता है। लेकिन इन किन्नरों के बारे में ये प्रचलित है कि एक बार यदि यह किसी के सिर पर हाथ रख दें, तो उसकी सोई हुई किस्मत जाग जाती है। यही वजह है कि किसी भी अच्छे काम से पहले इन्हें नाच-गाने के लिए आमंत्रित किया जाता है। जहां ये जाकर अपना आशिर्वाद लोगों को देते हैं।

 

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