एक साथ तीन तलाक के खिलाफ लोकसभा में विधेयक तो पारित हो गया लेकिन इसे लेकर सरकार की असली परीक्षा राज्यसभा में होगी। राज्यसभा में भाजपा गठबंधन के मुकाबले 2018 तक कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की संख्या अधिक रहेगी। हालांकि कांग्रेस के नरम हिंदुत्व की तरफ बढ़ते रुझान को देखते हुए बिल के राज्यसभा में पारित हो जाने की उम्मीद की जा रही है।
बिल पर आपत्ति दर्ज कराते हुए कांग्रेस ने कहा कि सरकार यदि मनमानी करती है और बिल सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के दायरे में नहीं होगा तो वह इसका विरोध करेगी। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बिल में कड़े प्रावधान किए गए हैं, जो अदालत के निर्देशों के मुताबिक नहीं हैं।
कांग्रेस बार-बार बिल को स्थायी समिति के पास भेजने की भी मांग कर रही है। उच्च सदन में अल्पमत में भाजपा गठबंधन यदि उसकी इस मांग पर ध्यान नहीं देता है तो उसके लिए विधेयक को पारित कराना मुश्किल हो जाएगा। उधर, बिल को पास कराने के लिए भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और दूसरे विपक्षी दलों को पत्र भी लिखा है। विधेयक अगले हफ्ते राज्यसभा में पेश किए जाने की संभावना है।