कांग्रेस के चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) की टीम अब यूपी से अपना सामान बांधने लगी है। यहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीके को बिल्कुल पसंद नहीं कर रहे थे। जिस तरह से उनकी टीम वरिष्ठ नेताओं को निर्देश देती थी, उससे पार्टी में जबर्दस्त नाराजगी थी।राहुल की सूबे में निकली किसान यात्रा हो या खाट सभा, सभी की स्क्रिप्ट पीके ने तैयार की थी। इतना ही नहीं, राहुल का लखनऊ में कार्यकर्ताओं के साथ रैंप पर चलते हुए संवाद का कार्यक्रम भी पीके की रणनीति का हिस्सा था।
संगठन पर पीके की टीम भारी पड़ने लगी थी। पीके संगठन की बैठकों में भी इस तरह से पेश आने लगे थे कि राहुल गांधी के बाद कांग्रेस में वे ही दूसरे नंबर के नेता हैं। हर दिन नेताओं को टीम पीके की ओर से कोई न कोई टास्क दिया जाता था।
इसको लेकर नेता खासे नाराज थे। कई नेताओं ने राहुल गांधी से शिकायत भी की थी। पीके की विदाई के दो कारण बताए जा रहे हैं। पहला, सूबे के नेताओं की नाराजगी व दूसरा टीम पीके का यहां कुछ खास न कर पाना।
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