देवी-देवताओं की पूजा में दीपक जलाना सबसे जरूरी कर्म है. इसके बिना पूजा पूरी नहीं हो सकती है. अगर विधिवत पूजा नहीं कर सकते हैं तो सिर्फ दीपक जलाएं और एक खास मंत्र बोलकर सामान्य पूजा की जा सकती है. मंदिर में आरती लेते समय भी यहां बताए जा रहे मंत्र का जाप करना शुभ रहता है.
1. दीपक जलाते समय और मंदिर में आरती लेते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए.
मंत्र- शुभम करोति कल्याणं, आरोग्यं धन संपदाम्. शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपं ज्योति नमोस्तुते..
इस मंत्र का सरल अर्थ यह है कि शुभ और कल्याण करने वाली, आरोग्य और धन संपदा देने वाली, शत्रु बुद्धि का नाश और शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली दीपक की ज्योति को हम नमस्कार करते हैं.
इस प्रकार दीपक जलाकर मंत्र बोलने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और शत्रुओं से हमारी रक्षा होती है.
2. देवी-देवताओं के सामने घी का दीपक अपने बाएं हाथ की ओर लगाना चाहिए. तेल का दीपक दाएं हाथ की ओर लगाना चाहिए.
3. इस बात का ध्यान रखें कि पूजा के बीच में दीपक बुझना नहीं चाहिए. ऐसा होने पर पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है. अगर दीपक बुझ जाता है तो तुरंत जला देना चाहिए और भगवान से भूल-चूक की क्षमायाचना करनी चाहिए.
4. घी के दीपक के लिए सफेद रुई की बत्ती उपयोग करना चाहिए. जबकि तेल के दीपक के लिए लाल धागे की बत्ती ज्यादा शुभ रहती है.
5. पूजा में कभी भी खंडित दीपक नहीं जलाना चाहिए. पूजा-पाठ में खंडित चीजें शुभ नहीं मानी जाती है.
6. अगर घर में नियमित रूप से दीपक जलाया जाता है तो वहां हमेशा सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है. दीपक के धुएं से वातावरण में मौजूद हानिकारक सूक्ष्म कीटाणु भी नष्ट हो जाते हैं.
7. शास्त्रों के अनुसार रोज शाम को मुख्य द्वार के पास दीपक जलाना चाहिए. इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. इसी वजह से शाम को मेन गेट के पास दीपक जलाने की परंपरा चली आ रही है.