किसान अपनी फसल की सुरक्षा के लिए कीटनाशकों का प्रयोग करते ही हैं लेकिन पिछले कुछ समय से महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के अकोला जिले में कीटनाशकों के छिड़काव के दौरान कई किसानों की मौत हो गई है। यवतमाल में कीटनाशकों के दुष्प्रभाव की वजह से 18 लोगों की मौत हो चुकी है और 800 किसान हॉस्पिटल में हैं।
जबकि 12 और मौतों की जांच की जा रही है कि क्या वो भी कीटनाशकों के दुष्प्रभाव की वजह से हुईं है। महाराष्ट्र सरकार ने इस समस्या का कारण ढूंढने के लिए एक हाई लेवल समिति का गठन किया है, और छिड़काव के वक्त कुछ सुरक्षा साधन को अनिवार्य किया गया है।
हॉस्पिटल में बीमार पड़े 800 किसान एक ही तरह की समस्या से पीड़ित हैं। उन्हें डायरिया, उल्टी, पेट दर्द और आंखों की रोशनी में समस्या का सामना करना पड़ रहा है। ये सारे मामले यवतमाल से सामने आ रहे हैं जिसे विदर्भ की किसान आत्महत्या की राजधानी कहते हैं।
जानकारी के अभाव में किसान कीटनाशकों के प्रयोग में सावधानी नहीं बरतते जिसका परिणाम उन्हें अपनी जान देकर चुकाना पड़ता है, जानकारी देने का काम कृषि विभाग का होता है। लेकिन उन्होंने क्या काम किया इस पर सवाल उठ रहे हैं।
3 अक्टूबर को सरकार ने मरने वाले किसानों के घर वालों को 2 लाख रुपये मुआवजा देने का ऐलान किया था । लेकिन परिवारों का कहना है कि सरकार को 10 लाख रुपये मुआवजा देना चाहिए। वहीं राज्य के कृषि मंत्री सदाभाऊ खोट ने कहा कि जिम्मेदार अधिकारियों को उत्तरदायी बनाया जाएगा।
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