उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन के बाद भी सीटों के लेकर पेंच फंसा हुआ है. यही वजह है कि एक बार फिर प्रियंका गांधी वाड्रा ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को एक संदेश भेजा है.
प्रियंका ने इस संदेश में कहा है कि अमेठी और रायबरेली की विधानसभा सीटें कांग्रेस को देकर अखिलेश अपना वादा निभाएं.
गठबंधन धर्म निभाने की गुजारिश
प्रियंका ने कहा है कि इटावा, एटा, मैनपुरी, कन्नौज और आजमगढ़ में कांग्रेस ने गठबंधन के वादे के मुताबिक कोई प्रत्याशी नहीं खड़ा किया है. लिहाजा अब अखिलेश भी अमेठी और रायबरेली की सीट कांग्रेस की झोली में देकर गठबंधन का धर्म निभाएं.
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इससे पहले भी प्रियंका गांधी ने समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन में अहम भूमिका निभाई थी. प्रियंका के एक फोन कॉल के बाद ही गठबंधन पर अखिलेश ने सहमति दी थी.
कांग्रेस खेमे में बेचैनी
गौरतलब है कि गठबंधन के बावजूद समाजवादी पार्टी अपने प्रत्याशियों की लगातार घोषणा कर रही है. जिसकी वजह से कांग्रेस खेमे में बेचैनी साफ देखी जा रही है.
इस बीच कांग्रेस ने 25 जनवरी को रायबरेली के बछरावां विधानसभा से घोषित प्रत्याशी सुशील पासी का टिकट होल्ड कर लिया है. पार्टी का कहना है कि वह रायबरेली संसदीय क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटों पर एक साथ प्रत्याशियों की घोषणा करेगी.
बता दें अमेठी और रायबरेली की सभी सीटों पर कांग्रेस अपनी दावेदारी ठोक रही है, वहीं समाजवादी पार्टी असमंजस में है. अमेठी से मौजूदा सपा विधायक गायत्री प्रजापति भी चुनाव लड़ना चाहते हैं, जबकि कांग्रेस अमिता सिंह को मैदान में उतारना चाहती है.
सीटों को लेकर झगड़ा
दरअसल 2014 लोकसभा चुनावों में बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी से कांग्रेस उपाध्यक्ष को मिली कड़ी टक्कर के बाद कांग्रेस पार्टी 2019 से पहले अपने इस मजबूत किले की पुख्ता घेराबंदी करना चाहती है ताकि कोई बड़ा उलटफेर न हो सके. यही वजह है कि समाजवादी पार्टी से गठबंधन के बाद कांग्रेस अमेठी की ज्यादातर सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करना चाहती है.
दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने अभी तक चार लिस्ट जारी की है जो कि गठबंधन की तय सीटों (298) से ज्यादा है. ऐसी स्थिति में कई सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार या तो सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे या फिर पार्टी अपने घोषित उम्मीदवारों के नाम वापस लेगी.
सोमवार को जारी लिस्ट में सपा ने अपने तीन उम्मीदवार भी बदल दिए. लेकिन अभी तक पार्टी ने अमेठी और रायबरेली जिले के अंतर्गत आने वाली सीटों पर अपना रुख साफ़ नहीं किया है.
बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी से अमेठी और रायबरेली की ज्यादातर सीटों की मांग की है ताकि वह 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अपनी जमीन मजबूत कर सके.
दरकने लगा कांग्रेस का किला
गौरतलब है कि पिछले लोक सभा चुनावों में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को अमेठी से कड़ी टक्कर दी थी. उस समय पॉलिटिकल पंडितों का मानना था कि कांग्रेस का यह अभेद्य किला अब दरकने लगा है.
इसके अलावा, चुनाव हारने के बाद भी जिस तरह से स्मृति ईरानी अमेठी का दूर कर जनसंपर्क करती रहीं उससे कहीं न कहीं कांग्रेस के माथे पर भी चिंता की लकीरें साफ नजर आने लगीं थी. यहां तक कहा जा रहा था कि 2019 में कांग्रेस के हाथ से अमेठी छीन सकता है.
राहुल की जीत के अंतर में 80 फ़ीसदी की हुई थी गिरावट
पिछले चुनावों में स्मृति इरानी की वजह से राहुल गांधी की जीत के अंतर में 80 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज हुई थी. कांग्रेस के राहुल गांधी को 4, 08, 651 वोट मिले थे वहीँ, स्मृति ईरानी को 3, 00, 748 वोट. लिहाजा राहुल महज 1,07, 903 वोटों से जीत हासिल कर सके थे. 2009 लोकसभा चुनाव में इसी सीट से राहुल गांधी के जीत का अंतर 3,70,198 था.
2012 में कांग्रेस के खाते में गई थी दो सीटें
अगर हम 2012 विधानसभा चुनावों की बात करें तो कांग्रेस के इस गढ़ में समाजवादी पार्टी ने सेंध लगाई थी. पांच विधानसभा सीटों पर सपा के तीन प्रत्याशी जीते थे जबकि कांग्रेस महज दो सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी थी.
- कांग्रेस के राधे श्याम जगदीशपुर से जीते थे
- अमेठी से सपा के गायत्री प्रजापति चुने गए थे
- गौरीगंज से सपा के राकेश प्रताप सिंह ने जीत दर्ज की
- सालोन से सपा की आशा किशोर चुनी गई
- तिलोई से कांग्रेस के डॉ मोहम्मद मुस्लिम जीते जिन्हीने बाद में पार्टी छोड़ दी और बसपा ज्वाइन कर लिया.