जनसमर्थन का आभाव और बुनियादी सुविधाओं में बाधाओं की वजह से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का छुपी आय या कालेधन को उजागर करने का सपना अधूरा रह सकता है। इनकम टैक्स ऑफिसर बप्पादित्य चटर्जी समेत कई जानकारों का कहना है नोटबंदी के बाद सरकार ने यदि समस्या हल करने का उपाय नहीं किया तो नोटबंदी से बढ़े हुए काम का बोझ उनके कंधों पर ढो पाना संभव नहीं होगा।
विशेषज्ञों के अनुसार नोटबंदी की 8 नवंबर को घोषणा के बाद कालेधन का एक बड़ा हिस्सा पिछले दरवाजों से बैंकों और डाकघरों में जमा हुआ। चालाकी भरे तरीकों, जैसे हवाला के जरिए, सोने की खरीद से, बुलियन, आभूषण, जमीन खरीद वगैरह में भी पुराने नोटों को खपाया गया।
आयकर राजपत्रित अधिकारी संघ (आईटीजीओए) के महासचिव भास्कर भट्टाचार्य ने कहा, “विभाग श्रमशक्ति और बुनियादी ढांचे की भारी कमी का सामना कर रहा है। कालेधन को उजागर करने के लिए लेनदेन की किस्म की पहचान, परीक्षण, जांच या सत्यापन की प्रक्रिया कैसे पूरी हो सकेगी।”मानव शक्ति की कमी की ओर इशारा करते हुए पश्चिम बंगाल इकाई के आईटीजीओए अध्यक्ष मृणाल कांति चंदा ने कहा, “राष्ट्रीय स्तर पर मंजूर किए गए 2200 पदों में से सहायक और उपायुक्तों के 396 पद खाली हैं। ये मूल्यांकन कार्य के लिए महत्वपूर्ण वर्ग हैं।”
उन्होंने कहा कि यदि संयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त के पदों को शामिल कर लिया जाए तो इस श्रेणी में करीब 30-35 फीसदी पद खाली है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के स्तर पर खाली पड़े पदों की बुरी स्थिति है। यह करीब 40 फीसदी है।
आईटीजीओए के पश्चिम बंगाल ईकाई के महासचिव सायंतन बनर्जी ने कहा, “कार्यकारी सहायक श्रेणी में राष्ट्रीय स्तर पर मंजूर किए गए 19837 पदों में 6000 से ज्यादा पद खाली हैं। बहुकार्य कर्मचारियों की श्रेणी में अखिल भारतीय स्तर पर 11,338 पद मंजूर किए गए हैं, लेकिन करीब 5,897 कर्मचारी ही मौजूद हैं। नोटिस सेवा संवर्ग में 3974 पदों में करीब 1,000 अधिकारी ही मौजूद हैं।”
उन्होंने कहा कि कैडर पुनर्गठन प्रक्रिया के तहत विभाग ने सहायक और उपायुक्तों के लिए 600 नए पदों का प्रस्ताव दिया है। कैडर पुनर्गठन की प्रक्रिया 2008 में शुरू हुई और 2013 में इसे अंतिम रूप दिया गया।