नास्त्रेदमस को भला कौन नहीं जानता। 16वीं सदी के इस दार्शनिक और ज्योतिषीय भविष्यवक्ता ने सदियों पहले ही कई अहम घटनाओं की भविष्यवाणियां कर दी थीं। केनेडी ब्रदर्स की हत्या, हिटलर का उभरना, नेपोलियन की हार और यहां तक कि 9/11 हमले के संकेत नास्त्रेदमस ने सदियों पहले दे दिए थे।
नास्त्रेदमस ने साल 2016 में होने वाली बड़ी घटनाओं की तरफ भी इशारा किया
बराक ओबामा को उनके शांतिप्रिय और लोकतांत्रिक मूल्यों के जाना जाता है। अमेरिकी इतिहास में यह पहला अश्वेत राष्ट्रपति आखिरी सफल अमेरिकी राष्ट्रपति भी साबित होने वाला है। कम से कम नास्त्रेदमस का तो यही कहना है।
इसे इस संदर्भ में भी समझा जा सकता है कि ओबामा के हटने के बाद विश्व की एक मात्र महाशक्ति का अमेरिका का ओहदा उससे छिन जाएगा।
हमारी दुनिया तेजी से बदलती जा रही है, लेकिन हम कुदरती बदलावों के साथ ताल-मेल बिठा पाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। बेहतरीन तकनीकी विकास के बावजूद प्राकृतिक आपदाएं बड़ी मात्रा में जान और माल को क्षति पहुंचा रही हैं। नास्त्रेदमस ने संकेत दिए हैं कि साल 2016 ऐसी ही आपदाओं का साल रहेगा और मौसम में असामान्य बदलाव देखने को मिलेंगे। उसका कहना है कि ‘2016 में समुद्र का स्तर बढ़ जाएगा और ज़मीन नीचे धंस जाएगी।’
नास्त्रेदमस के मुताबिक साल 2016 असाधारण ग्रहीय स्थितियों वाला साल रहेगा, जो कि पृथ्वी पर विनाश का कारण बनेंगे। अगर आने वाले दिनों में हमें सुनामी या प्रचण्ड भूकंप झेलना पड़े तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
नास्त्रेदमस के संकेतों के अनुसार इस साल मध्य- पूर्वी एशिया में तेल और पेट्रोल को लेकर जबर्दस्त खींचतान देखने को मिल सकती है। यहां तक कि यह अब तक के सबसे बुरे स्तर तक भी जा सकती है। ISIS के बढ़ते प्रभाव को भी इसके अंतर्गत रखा जा सकता है।
इस भविष्यवाणी को सच होते हुए हम आए दिन देख रहे हैं। आत्मघाती हमले और आतंकी संगठन ISIS द्वारा किया जा रहा विनाश इसे प्रमाणित भी करता है। तुर्की, सीरिया, मिस्र जैसे अन्य देशों में आए दिन हमले देखने को मिल रहे हैं।
नास्त्रेदमस ने दुनिया के अंत की शुरुआत की बात कही थी। उसने बताया था कि इराक युद्ध दुनिया के अंत का पहला संकेत होगा। साल 2016 में होने वाली गतिविधियां इसी क्रम में कुछ और संकेत।
अमेरिकी राष्ट्रपतियों को छद्म युद्ध को बढ़ावा देने के लिए खास तौर पर जाना जाता है। वह वैश्विक परिदृश्य में शांति और स्थायित्व के नाम पर किसी भी देश के मामले में कूद पड़ता है और उसे अपनी छद्म युद्ध की रणनीति बना लेता है।
साल 2016 में भी उसकी यह नीति जारी रहेगी। ISIS को लेकर मध्य एशियाई देशों में उसकी भूमिका को हम देख ही चुके हैं।
ग्लोबल वॉर्मिंग अपने चरम स्तर पर है। उत्तरी ध्रुव पर तापमान लगातार बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में नास्त्रेदमस की यह भविष्यवाणी कुछ हद तक सटीक होती दिख रही है लेकिन दक्षिणी ध्रुव पर फिलहाल कोई बड़ा बदलाव नज़र नहीं आया लिहाजा इस पर अभी पूरी तरह से यकीन नहीं किया जा सकता है।
नास्त्रेदमस ने बहुत पहले ही संकेत दे दिया था कि जेरूशलम चारों तरफ से घिर जाएगा लेकिन पश्चिमी नौसैनिक ताकतें उसके समर्थन में खड़ी होंगी और उसके अस्तित्व के लिए हरसंभव प्रयास करेंगी।
नास्त्रेदमस के मुताबिक अगर रूस पश्चिमी या यूरोपीय देशों से हाथ नहीं मिलाता है, तो यह शांति और स्थायित्व लाने में मददगार साबित होगा।