शिक्षा मूल रूप से तभी सम्भव है जब हर शिक्षक गुरु द्रोणाचार्य की तरह बनकर हर छात्र को अर्जुन की तरह देखे। शिक्षक किसी छात्र से भेदभाव न करें और छात्र भी शिष्य अर्जुन की तरह समर्पित भाव से शिक्षा …
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