पूर्व महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर का मानना है कि टीम इंडिया के पूर्व कप्तान एमएस धोनी को इतनी जल्दी संन्यास नहीं लेना चाहिए था। एमएस धोनी ने 2014 में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। इसके बाद से विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी ऋद्धिमान साहा के कंधों पर रही है। हालांकि, साहा मौजूदा दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर चोटिल हो गए और उनकी जगह पार्थिव पटेल को मौका मिला है।
पार्थिव पटेल अपनी विकेटकीपिंग से दिग्गजों को प्रभावित करने में नाकाम रहे हैं। उन्होंने सेंचुरियन टेस्ट की दूसरी पारी में दक्षिण अफ्रीका के ओपनर डीन एल्गर का कैच टपकाया। इससे पहले उन्होंने पहली पारी में हाशिम अमला और फाफ डू प्लेसी को जीवनदान दिया था। कैचिंग से टीम इंडिया को काफी परेशानी हो रही है और इससे दक्षिण अफ्रीका को काफी फायदा मिल रहा है, जो सीरीज जीतने के बेहद करीब है।
सुनील गावस्कर भी पटेल की कीपिंग से प्रभावित नहीं है और इसके एवज में उन्होंने कहा कि धोनी को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास नहीं लेना चाहिए था। लिटिल मास्टर गावस्कर का मानना है कि धोनी के रहते टीम इंडिया को काफी फायदे मिलते क्योंकि उनकी कीपिंग बेमिसाल है। हालांकि, गावस्कर ने साथ ही धोनी के संन्यास लेने के फैसले का सम्मान भी किया।
गावस्कर ने कहा, ‘अगर एमएस धोनी कीपिंग करते तो टीम इंडिया को काफी फायदा मिलता। मेरे ख्याल में उन पर कप्तानी का अत्यधिक दबाव था। मैं उन्हें कप्तानी छोड़कर विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में खेलते देखना चाहता था। उनकी सलाह ड्रेसिंग रूम में काफी मायने रखती है। मेरे ख्याल से धोनी का मानना रहा कि टेस्ट में नहीं रहने से ही टीम का भला है।’
गावस्कर ने आगे कहा, ‘टीम इंडिया को ऋद्धिमान साहा की कमी खली। साहा ने पहले टेस्ट में 10 कैच लपके थे। साहा और पटेल की तुलना पर गावस्कर ने कहा कि पटेल बल्ले से काफी प्रतिस्पर्धी हैं, लेकिन जब बात विकेटकीपिंग ग्लव्स की आती है तो वह साहा से पीछे रह जाते हैं।’