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FORBES: दुनिया के सबसे अमीर खिलाड़ियों में सिर्फ एक भारतीय, टॉप-100 में कोई महिला नहीं

दुनिया के 100 सबसे अमीर खिलाड़ियों की लिस्ट जारी कर दी है. टॉप-100 खिलाड़ियों में सिर्फ एक ही भारतीय खिलाड़ी है. वो हैं इंडियन क्रिकेट टीम के कप्तान Virat Kohli. 2018 की लिस्ट में उनको 83वां स्थान मिला है. पिछले साल वो 89वें पायदान पर थे. फोर्ब्स के मुताबिक, विराट कोहली ने 2018 में 24 मिलियन डॉलर (1,60,93,20,000 रुपये) की कमाई की है. कमाई में उनकी सैलरी और एंडोर्समेंट शामिल है. 4 मिलियन डॉलर सैलरी से और 20 मिलियन डॉलर एंडोर्समेंट के जरिए कमाए. ताज्जुब की बात है कि फोर्ब्स की टॉप-100 लिस्ट में कोई महिला शामिल नहीं है. दुनिया की 10 सबसे ताकतवर हस्तियों में शुमार हुए नरेंद्र मोदी, सबसे ऊपर चिनफिंग 0 टिप्पणियांटॉप-100 लिस्ट में सबसे ज्यादा 40 खिलाड़ी बास्केटबॉल से हैं. 18 अमेरिकन फुटबॉल से और 14 बेसबॉल से हैं. इस खेल के अलावा फुटबॉल से 9, गोल्फ से 5, बॉक्सिंग से 4, टेनिस से 4 और ऑटो रेसिंग से 3 खिलाड़ी हैं. क्रिकेट, मिक्स्ड मार्शल ऑर्ट्स और ट्रैक ऐंड फील्ड (यूसैन बोल्ट) से एक खिलाड़ी हैं. आइए देखते हैं टॉप-10 सबसे अमीर खिलाड़ी कौन हैं... Forbes 30 Under 30 Asia लिस्ट में अनुष्का शर्मा की एंट्री, जानें किस पोजिशन पर किया कब्जा... पहले पायदान पर बॉक्सर फ्लॉयड मेवेदर हैं. जिनकी कमाई इस साल 1913.3 करोड़ रही. दूसरे नंबर पर फुटबॉलर लियोनेल मेसी (744.2 करोड़ रुपये), तीसरे पर फुटबॉलर क्रिस्टियानो रोनाल्डो (724.2 करोड़ रुपये), चौथे स्थान पर मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स के खिलाड़ी कोनॉर मेकग्रेगर (663.9 करोड़े रुपये), पांचवें स्थान पर फुटबॉलर नेमार (603.5 करोड़ रुपये), छठे स्थान पर बास्केटबॉल खिलाड़ी जेम्स लेब्रॉन (573.4 करोड़ रुपये), सांतवें स्थान पर टेनिस खिलाड़ी रोजर फेडरर (517.7 करोड़ रुपये), आठवें स्थाने पर बास्केटबॉल प्लेयर स्टीफन क्यूटी (515.7 करोड़ रुपये), 9वें स्थान पर अमेरिकन फुटबॉलर मैट रॉयन (451.3 करोड़ रुपये) और 10वें स्थान पर अमेरिकन फुटबॉलर मैथ्यू स्टैफॉर्ड (399.1 करोड़ रुपये) रहे.

दुनिया के 100 सबसे अमीर खिलाड़ियों की लिस्ट जारी कर दी है. टॉप-100 खिलाड़ियों में सिर्फ एक ही भारतीय खिलाड़ी है. वो हैं इंडियन क्रिकेट टीम के कप्तान Virat Kohli. 2018 की लिस्ट में उनको 83वां स्थान मिला है. पिछले साल …

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बड़ी खबर: बालकृष्ण की फूडपार्क पर धमकी से यूपी सरकार में मचा हड़कंप

पतंजलि आयुर्वेद के एमडी व पतंजलि योगपीठ के सह संस्थापक आचार्य बालकृष्ण द्वारा यमुना एक्सप्रेस वे (नोएडा) पर प्रस्तावित पतंजलि फूडपार्क को यूपी के बाहर ले जाने के एलान से सरकार में हड़कंप मच गया। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने …

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ग्वाटेमाला में हुआ ज्वालामुखी विस्फोट, मरने वालों की संख्या बढ़कर हुई 65

ग्वाटेमाला में फुगो ज्वालामुखी में भयानक विस्फोट होने के बाद मंगलवार को मलबे से और शव निकाले गए. जिसके बाद इस आपदा में मरने वालों की संख्या 65 पर पहुंच गई है. आपदा राहत एजेंसी के प्रवक्ता डेविड डी लिओन ने एक संवाददाता सम्मेलन …

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ट्रेन में लिमिट से ज्यादा सामान ले जाने पर लगेगा जुर्माना, जानें क्या है नियम

रिजर्व कोच में अब हद से ज्यादा लगेज लेकर सफर करने वाले यात्रियों पर रेलवे लगाम कसने वाली है. रेलवे इसके लिए देशभर के सभी रेल मंडलों में 8 से 22 जून तक एक अभियान चला रहा है. इसके तहत उन मुसाफिरों पर विशेष नजर रखी जाएगी जो ट्रेन के रिजर्व कोच में निर्धारित वजन से अधिक सामान लेकर जाते हैं. फिलहाल श्रेणीवार सामान ले जाने की सीमा फ़र्स्ट एसी में 70 किलो है जबकि अधिकतम छूट 15 किलो है. जबकि सेकंड एसी में ये छूट 50 किलो और अधिकतम छूट 10 किलो है. इसके अलावा थर्ड एसी में मुफ्त सीमा 40 किलो ले जाने की है, जबकि अधिकतम छूट 10 किलो है. इसके अलावा स्लीपर में मुफ्त सामान ले जाने की सीमा 40 किलो है और अधिकतम छूट यहां 10 किलो है. वहीं, जनरल क्लास में मुफ्त सामान ले जाने की सीमा 35 किलो और अधिकतम सामान ले जाने की छूट 10 किलो है इस बारे में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन सभी श्रेणियों में निशुल्क सीमा से अधिक सामान यात्री बुक कराकर ले जाएं और यदि गंतव्य पर पहुंचने के बाद जांच के दौरान अगर यात्री के पास निशुल्क सीमा से अधिक सामान पाया गया तो अतिरिक्त सामान पर पार्सल चार्ज का 6 गुना अधिक अथवा न्यूनतम 50 रुपए जुर्माना वसूला जाएगा.

  रिजर्व कोच में अब हद से ज्यादा लगेज लेकर सफर करने वाले यात्रियों पर रेलवे लगाम कसने वाली है. रेलवे इसके लिए देशभर के सभी रेल मंडलों में 8 से 22 जून तक एक अभियान चला रहा है. इसके …

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कैराना-नूरपुर की हार से सबक, ‘गन्ना लैंड’ को फिर से जीतने के लिए मोदी का मास्टरस्ट्रोक

उत्तर प्रदेश के कैराना और नूरपुर उपचुनाव में गन्ना किसानों की नाराजगी का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा. जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में पूरे 'गन्ना लैंड' में बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब रही थी. उपचुनाव में मिली हार से सबक लेते हुए मोदी सरकार ने गन्ना किसानों को खुश करने का इंतजाम किया है, ताकि यूपी के गन्ना लैंड में उसकी बादशाहत 2019 में भी बरकरार रहे. कैराना उपचुनाव में ठोकर लगने के बाद केंद्र की मोदी सरकार की आंखें खुलीं. सरकार गन्ना किसानों को बड़ी राहत देते हुए उनका बकाया 20 हजार करोड़ के भुगतान करने का ऐलान किया है. साथ ही सरकार ने चीनी से निर्यात कर भी हटा दिया है. गन्ना किसानों के लिए राहत की कई घोषणाएं करते हुए कहा कि गन्ने का 30 लाख टन का बफर स्टॉक बनाया जाएगा. ऑल इंडिया किसान संघर्ष समिति ने सरकार की ओर से लिए गए फैसले पर कहा कि इन सब के पीछे कैराना का असर है. भारत का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश है. गन्ना लैंड में पश्चिमी यूपी से लेकर पूर्वांचल और मध्य यूपी का क्षेत्र शामिल है. पश्चिम यूपी को तो गन्ना का कटोरा कहा जाता है. बागपत, कैराना, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बिजनौर, मेरठ, मुरादाबाद, गाजियाबाद, अमरोहा, अलीगढ़, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, शाहजहांपुर, बाराबंकी, हरदोई, फैजाबाद, गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, देवरिया, बलिया और मऊ सहित करीब 40 लोकसभा सीटें हैं जो गन्ना लैंड के दायरे में आती हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और सहयोगियों ने यूपी की 80 सीटों में से 73 पर जीत हासिल की थी. गन्ना लैंड की तो सभी सीटें बीजेपी के नाम रही. लेकिन कैराना सीट की हार ने बीजेपी को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है. मोदी सरकार के गन्ना किसानों पर मेहरबानी के पीछे मकसद 2019 का लोकसभा चुनाव माना जा रहा है. किसानों में नाराजगी बीजेपी से बढ़ती जा रही है और मोदी के खिलाफ विपक्ष एकजुट हैं. ऐसे में मोदी सरकार ने गन्ना किसानों की नाराजगी को दूर करने और उनके दिल में फिर से जगह बनाने के लिए मास्टरस्ट्रोक चला है. इसके जरिए बीजेपी को उम्मीद है कि फिर एक बार गन्ना लैंड में उसका जादू बरकरार रहेगा. दरअसल कैराना उपचुनाव के समय गन्ना का मुद्दा बहुत जोर-शोर से उछाला गया था. जिसका समर्थन कई विपक्षी दलों ने भी किया था. उनके मुताबिक गन्ना से जुड़े देश भर के किसानों का करीब 20 हजार करोड़ का भुगतान नहीं किया गया था. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि कैराना उपचुनाव में बीजेपी की हार के मुख्य कारणों में से एक गन्ना किसानों के पैसे का भुगतान न होना भी था. बता दें कि यूपी के गन्ना किसानों की बदहाली जगजाहिर है. प्रदेश के गन्ना किसानों का 13 हजार करोड़ रुपये चीनी मिलों पर बकाया है. जबकि योगी सरकार के गन्ना मंत्री सुरेश राणा कैराना लोकसभा क्षेत्र से आने वाली थानाभवन विधानसभा सीट से विधायक हैं. बावजूद इसके गन्ना किसानों को भुगतान के लिए परेशानी उठानी पड़ रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम यूपी के बागपत में कैराना उपचुनाव में मतदान से एक दिन पहले गन्ना किसानों के भुगतान की बात कही थी. इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शामली की रैली में 14  दिन के अंदर किसानों के भुगतान का आश्वासन दिया था. पर किसानों का दिल नहीं पिघला और बीजेपी उम्मीदवार मृगांका सिंह को हार का मुंह देखना पड़ा. इस सीट से आरएलडी की तबस्सुम को जीत मिली. गन्ना किसानों के भुगतान के लिए मोदी सरकार का ये कदम सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र में भी राजनीतिक फायदा दिला सकता है. यूपी गन्ने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, क्योंकि यह अनुमानित 145.39 मिलियन टन गन्ने का उत्पादन करता है, जो अखिल भारतीय उत्पादन का 41.28 प्रतिशत है. इसके बाद महाराष्ट्र 72.26 मिलियन टन अनुमानित उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर है, जो कि अखिल भारतीय गन्ना उत्पादन का 20.52 प्रतिशत है. कांग्रेस और एनसीपी दोनों साथ हैं. बीजेपी इस कदम से पिछले चुनावी नतीजों को दोहराना चाहती है. महाराष्ट्र के बाद नंबर कर्नाटक का आता है. कर्नाटक 34.48 मिलियन टन गन्ना उत्पादन के साथ तीसरे स्थान पर आता है, जो कि देश के कुल गन्ना उत्पादन का लगभग 11 प्रतिशत है. राज्य में किसानों की कर्जमाफी का एक बड़ा मुद्दा था. कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन करके सत्ता पर काबिज हैं. ऐसे में इस साथ को मात देने के लिए ये सहायक हो सकता है. तमिलनाडु गन्ने का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक है, जो कि 26.50 मिलियन टन गन्ना का अनुमानित उत्पादन करता है, जो कि देश के गन्ना उत्पादन का लगभग 7.5 प्रतिशत है. इसके अलावा बिहार 14.68 मिलियन टन गन्ना के उत्पादन के साथ आता है. यह देश के गन्ना उत्पादन का 4.17 प्रतिशत है.

उत्तर प्रदेश के कैराना और नूरपुर उपचुनाव में गन्ना किसानों की नाराजगी का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा. जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में पूरे ‘गन्ना लैंड’ में बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब रही थी. उपचुनाव में मिली हार से …

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किसान आंदोलन: अमरावती में कांग्रेस के 2 विधायकों ने की आत्मदाह की कोशिश

महाराष्ट्र के अमरावती में किसानों के मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस के 2 विधायकों ने सोमवार को आत्मदाह की कोशिश की. जिला कलेक्ट्रेट के करीब दोनों विधायकों ने अपने केरोसिन डालकर आग लगाने की कोशिश की लेकिन पुलिस की तत्तपरता से उन्हें रोक लिया गया. पुलिस उपायुक्त चिन्मय पंडित ने बताया कि धमनगांव रेलवे और तेओसा निर्वाचन क्षेत्रों के विधायकों वीरेंद्र जगताप और यशोमती ठाकुर को खुद के ऊपर मिट्टी का तेल छिड़कने और आग लगाने से पहले ही हिरासत में ले लिया गया. कांग्रेस विधायक जगताप ने एजेंसी को बताया कि स्थानीय कांग्रेस इकाई ने हाल में जिला प्रशासन से कहा था कि वह कृषि उत्पाद बाजार समिति को निर्देश दे कि वह अरहर और चना दाल की खरीद शुरू करे. कांग्रेस विधायक वीरेंद्र जगताप ने कहा कि पार्टी ने यह मांग भी की थी कि किसानों को पहले ही खरीदी जा चुकी फसलों का तीन महीने का बकाया दिया जाए. जगताप ने कहा, ‘क्योंकि कोई जवाब नहीं मिला, इसलिए हमने जिला कलेक्ट्रेट तक मार्च निकालकर प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया.’ दोनों विधायकों ने कलेक्ट्रेट के सामने आत्मदाह करने की धमकी भी दी थी. जगताप ने बीजेपी पर किसानों के प्रति उदासीन होने का आरोप लगाया. जगताप ने कहा, ‘किसानों की स्थिति दयनीय है, उनके पास खरीफ के सत्र में खेती करने के लिए पैसे नहीं हैं. सरकार की किस्मत अच्छी है कि किसान सत्तारूढ़ पार्टी के मंत्रियों और विधायकों को आजाद घूमने दे रहे हैं.’ जगताप ने चेतावनी दी कि अगर स्थिति नहीं सुधरती है तो किसान मंत्रियों और विधायकों को स्वतंत्र रूप से नहीं घूमने देंगे.

महाराष्ट्र के अमरावती में किसानों के मुद्दे पर प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस के 2 विधायकों ने सोमवार को आत्मदाह की कोशिश की. जिला कलेक्ट्रेट के करीब दोनों विधायकों ने अपने केरोसिन डालकर आग लगाने की कोशिश की लेकिन पुलिस की …

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एयरसेल-मैक्सिस केस: पूछताछ के लिए ED दफ्तर पहुंचे चिदंबरम, गिरफ्तारी से राहत

एयरसेल मैक्सिस केस में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को बड़ी राहत मिली है. पटियाला हाउस कोर्ट ने चिदंबरम की गिरफ्तारी पर 10 जुलाई तक की रोक लगा दी है. इससे पहले ये रोक 5 जून तक की थी. इसी मामले में चिदंबरम मंगलवार सुबह पेश होने के लिए ईडी दफ्तर पहुंचे हैं. इससे पहले भी अदालत ने एयरसेल-मैक्सिस डील मामले में पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को अंतरिम सुरक्षा प्रदान करते हुए उनकी गिरफ्तारी पर 10 जुलाई तक रोक लगाई थी. आपको बता दें कि आईएनएक्स मीडिया से जुड़े एक मामले में पी.चिदंबरम ने पिछली सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी. केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि कार्ति के पिता पी. चिदंबरम 2006 में जब वित्त मंत्री थे, तो उन्होंने (कार्ति) एयरसेल-मैक्सिस डील में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से किस प्रकार मंजूरी हासिल की थी. गौरतलब है कि कार्ति चिदंबरम द्वारा साल 2006 में एयरसेल-मैक्सिस डील के तहत विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी मिलने के मामले की जांच CBI और ED कर रहे हैं. उस समय पी चिदंबरम वित्तमंत्री थे. क्या हैं आरोप? पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर एयरसेल-मैक्सिस को एफडीआई के अनुमोदन के लिए आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी को नजरअंदाज कर दिया था. ED के मुताबिक एयरसेल-मैक्सिस डील में तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कैबिनेट कमेटी की अनुमति के बिना ही मंजूरी दी थी, जबकि ये डील 3500 करोड़ रुपये की थी.

एयरसेल मैक्सिस केस में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को बड़ी राहत मिली है. पटियाला हाउस कोर्ट ने चिदंबरम की गिरफ्तारी पर 10 जुलाई तक की रोक लगा दी है. इससे पहले ये रोक 5 जून तक की थी. इसी …

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कार के साथ दफनाया गया डेड बॉडी को, पीछे की वजह जान हो जाएंगे हैरान

China में एक ऐसी खबर आई जिसने हर किसी को हैरान कर दिया. सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है. इस वीडियो को देख और कहानी सुन सभी हैरान हैं. उत्तरी चीन के बाओडिंग सिटी में एक शख्स की आखिरी ख्वाहिश थी कि उसे कॉफिन की जगह उसी की कार के साथ दफनाया जाए. ये स्पेशल रिक्वेस्ट उन्होंने विल में लिखी थी. परिवार वालों ने उनकी ये विश पूरी की. ये वीडियो चीन में काफी वायरल हो रहा है. डांस कर रहा था शख्स, अचानक जेब से निकली बंदूक और चल गई गोली, देखें फिर क्या हुआ South China Morning Post के मुताबिक, 28 मई को शख्स को सिल्वर हुडई सोनाटा के साथ दफनाया गया. दफनाने के लिए बड़ी गाड़ी को बुलवाना पड़ा. जिसके बाद कार सहित डेड बॉडी को दफनाया गया. दफनाने में 3 लोगों की मदद भी ली गई. उसी के गांव के एक शख्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर लिखा- ''उन्हें जवानी के दिनों से ही कारों का काफी शौक था.'' कुछ लोग वीबो पर इस शख्स का मजाक भी बना रहे हैं. एक यूजर ने लिखा- ''शुक्र है उसको प्लेन पसंद नहीं था.''

China में एक ऐसी खबर आई जिसने हर किसी को हैरान कर दिया. सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है. इस वीडियो को देख और कहानी सुन सभी हैरान हैं. उत्तरी चीन के बाओडिंग सिटी में एक …

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आखिर 14 मिनट तक कहां रहा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का विमान, आखिर कहां हुई चूक

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को नई दिल्ली से दक्षिण अफ्रीका ले जा रहा वायु सेना का एंब्रायर विमान तकरीबन 14 मिनट तक रडार से गायब रहा। यानी इस दौरान उससे संपर्क टूट गया। मॉरीशस के एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) की ओर से जारी किए गए एक अलर्ट की वजह से करीब 14 मिनट तक अफरा-तफरी की स्थिति बन गई। इससे दिल्ली से लेकर मॉरीशस तक हड़कंप मच गया। इस सूचना से भारत समेत तीन देशों की सरकार और सुरक्षा एजेंसी अलर्ट हो गई। आखिर क्‍या है विमान के लापता होने का सच। कहां हुई चूक। क्‍यों टूटा संपर्क, क्‍या रही तकनीकी खामियां दरअसल, किसी विमान के साथ इस तरह की घटना होने पर इमरजेंसी के तीन चरण अमल में लाए जाते हैं। पहला चरण अनिश्चितता का होता है। दूसरे चरण में अलर्ट जारी किया जाता है और तीसरे चरण में डिस्ट्रेस (विपत्ति) का एलान किया जाता है। हिंद महासागर क्षेत्र के ऊपर एटीसी से जुड़े मुद्दों को समझने वाले एक अधिकारी ने बताया कि विमान से संपर्क में समस्या कमजोर रडार कवरेज के कारण आई होगी, क्योंकि उड़ानें वीएचएफ संचार पर निर्भर रहती हैं और इस तकनीक की अपनी दिक्कतें हैं। रडार से कुछ देर गायब हुआ सुषमा स्वराज का विमान, मचा हड़कंप यह भी पढ़ें VVIP की वजह से जारी हुआ अलर्ट अथॉरिटी की ओर से रविवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि शायद मॉरीशस ने ये अलर्ट इसलिए जारी किया क्योंकि विमान में एक वीआईपी (अति विशिष्ठ व्यक्ति) सवार थीं। जानकारों का कहना है कि बेहद विशिष्ट व्यक्तियों को ले जा रहे विमान में कई बार चालक जानबूझ कर सुरक्षा दृष्टिकोण से संपर्क नहीं साधते हैं। लेकिन यह क्षणिक या कुछ ही मिनटों का होता है। स्वराज ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए जोहानिसबर्ग गई हैं। सुषमा फिर पिघलीं, हृदय रोग से पीड़ित पाकिस्तानी बच्चे को दिया मेडिकल वीजा यह भी पढ़ें  मुश्किल की घड़ी 1- समय : 2:08 PM इस विमान ने शनिवार दोपहर करीब 2 बजे तिरुवनंतपुरम हवाईअड्डे पर उतरा। चूंकि एंब्रायर विमान लंबी उड़ान नहीं भर पाता है, इसलिए पहले इसे तिरुअनंतपुरम में ईधन भरने के लिए उतारा गया। तिरुअनंतपुरम से विमान ने शनिवार दोपहर बाद 2:08 बजे उड़ान भरी। 2- समय: 04:44 PM भारतीय हवाई इलाका छोड़ने पर इसे माले (मालदीव) एटीसी के हवाले किया गया जो दोपहर बाद 04:44 बजे तक विमान के संपर्क में रहा। इसके तुरंत बाद मॉरीशस के हवाई क्षेत्र में प्रवेश करते ही विमान 14 मिनट के लिए लापता हो गया। मॉरीशस एटीसी की तरफ से काफी कोशिश के बाद जब संपर्क नहीं साधा जा सका तो चेतावनी जारी कर दी गई। आम तौर पर किसी विमान के 30 मिनट तक संपर्क नहीं होने पर ही चेतावनी जारी की जाती है, लेकिन इस मामले में इसे पहले ही जारी कर दिया गया। 3- समय: 04:58 PM चेतावनी जारी करने के 14 मिनट पर शाम 4 बजकर 58 बजे भारतीय वायुसेना विमान का माले एटीसी से संपर्क हुआ। इन सूचना के बाद भारत और मॉरीशस ने राहत की सांस ली। एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के जनरल मैनेजर (कॉर्पोरेट कम्यूनिकेशन) जेबी सिंह नेबताया कि मॉरीशस ने एकतरफा अलर्ट जारी कर दिया था। बता दें कि भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर है। स्वराज ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरील रामाफोसा से मुलाक़ात की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्विटर पर जानकारी दी कि दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय और परस्पर हितों के मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने को लेकर बातचीत हुई है। दक्षिण अफ्रीका पहुंचने पर सुषमा स्वराज की आगवानी वहां के उप विदेश मंत्री ने की। सुषमा स्वराज दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स के अलावा आईबीएसए (भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका) की बैठकों में हिस्सा लेंगी।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को नई दिल्ली से दक्षिण अफ्रीका ले जा रहा वायु सेना का एंब्रायर विमान तकरीबन 14 मिनट तक रडार से गायब रहा। यानी इस दौरान उससे संपर्क टूट गया। मॉरीशस के एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) की …

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बुरहान एनकाउंटर के बाद घाटी में आतंकियों की भर्ती का बदल रहा है ट्रेंड

जम्मू कश्मीर में हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद भी घाटी के युवा आतंक की राह पर जा रहे हैं लेकिन इन भर्तियों का लिंक बुरहान वानी से जरूर है. 8 जुलाई 2016 को बुरहान की हत्या के बाद 35 से ज्यादा युवाओं ने आतंकी संगठन हिज्बुल का रुख किया है और इनकी भर्ती के पीछे नया चलन देखने को मिला है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक बुरहान एनकाउंटर के बाद हिज्बुल में शामिल हुए इन युवाओं के बारे में उनके परिजनों, मित्रों से जुड़ी जानकारी जुटाने पर यह पता चलता है कि वह किसी ने किसी रूप में बुरहान की मौत प्रभावित थे. अखबार के हाथ लगी रिपोर्ट में कहा गया कि इन युवाओं को बुरहान की मौत ने हिज्बुल में दाखिल होने के लिए प्रभावित किया. सुरक्षाबलों के लिए यह आतंकी कोई चुनौती बन पाते इससे पहले ही ज्यादातर का एनकाउंटर कर दिया गया है. बावजूद इसके अब भी नए युवा हिज्बुल में शामिल हो रहे हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस ट्रेंड को जल्द से जल्द खत्म किए जाने की जरूरत है. पहले कैसे होती थी भर्ती घाटी में इससे पहले आतंक की राह चुनने वाले युवाओं की भर्ती गुपचुप तरीके से होती थी. कम बार ही ऐसा होता था कि नए भर्ती हुए युवाओं को कोई बड़ा मिशन दिया जाता था. भर्ती के बाद उन्हें सीमा पार भेज कम से कम 3 महीनों के लिए हथियारों की ट्रेनिंग दी जाती थी और इसके बाद वो गोली-बारूद लेकर वापस लौटते और उन्हें पहचान छुपाकर काम पर लगाया जा था. ऐसे बदल रहा है ट्रेंड नब्बे के दशक में आतंकवादी गतिविधियों में कमी आई और किसी आतंकी के एनकाउंटर के बाद प्रतिक्रिया या जवाबी हमले भी कम हुए. ऐसा कम ही हुआ जब आतंकवादी की हत्या के बाद उसे शहीद का दर्जा दिया गया हो. बुरहान शुरुवात में पहचान छिपाकर ही काम कर रहा था लेकिन बाद में उसने इस ट्रेंड को बदला और खुलेआम नाम के साथ सबसे सामने आया. सोशल मीडिया के जरिए उसने नाम और फोटो उजाकर की और नया चलन शुरू कर दिया, जो अब पहले से ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है. इन दिनों आतंकी संगठनों में शामिल हो रहे युवा इसी ट्रेंड को फॉलो कर रहे हैं. आतंकी आजकल हथियारों के साथ सोशल मीडिया पर फोटो या वीडियो शेयर करते हैं और इसके बाद परिवार वालों को इस बारे में पता चला पाता है. इनमें से ज्यादातर को तो ट्रेनिंग भी नहीं मिली होती है. हाथियारों के लिए भी इन्हें पुलिस और सुरक्षाबलों से लूटे गए हथियारों पर निर्भर रहना पड़ता है. यह किसी खास मिशन को अंजाम देने से पहले की सुरक्षाबलों की गोली का शिकार हो जाते हैं. बीते दिनों ऐसे कई उदाहरण देखने को मिले हैं, लेकिन एक उदाहरण सबसे खतरनाक है. इसे बयान करते हुए वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि स्थानीय लोग सुरक्षा इंतजामों को बिगाड़ते हैं जिसका फायदा उठाकर आतंकी अपनी पैठ जमा लेते हैं. दूसरी ओर जब आतंकी को घेर लिया जाता है तो स्थानीय सुरक्षाबलों को रोकने की कोशिश करते हैं. अगर आतंकी को मार दिया जाता है तो उसके जनाजे में शामिल होने के लिए सैकड़ों की तादाद में घरों से बाहर आते हैं. आतंकी के आस-पास इस तरह का माहौल बनाया जा रहा है.

जम्मू कश्मीर में हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद भी घाटी के युवा आतंक की राह पर जा रहे हैं लेकिन इन भर्तियों का लिंक बुरहान वानी से जरूर है. 8 जुलाई 2016 को बुरहान की हत्या के …

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