हमारे देश में अभी शिक्षा के स्तर में काफी बदलाव की जरुरत है। क्योंकि आए दिन स्कूल में बच्चों के साथ मारपीट के मामले सामने आते रहते है। जिस वजह से शिक्षा के क्षेत्र में ध्यान देना बहुत जरुरी हो गया है। खासतौर पर पूर्वोत्तर राज्यों में जहां शिक्षा का हाल बहुत बुरा है। ये राज्य दूसरे राज्यों के मुकाबले काफी पिछङे हुए है जिस वजह से यहां के स्कूलों में होने वाले अपराध का कम ही पता लग पाता है। क्योंकि स्कूल काफी कम है और बच्चे पढने के लिए काफी दूर दराज इलाकों से आते है जिस वजह से ये मामले सामने नही आ पाते । हालांकि स्टेट के स्कूल यूनियन के छात्र ऐसे छात्रों की मदद करते है। जिनके साथ स्कूल में दुर्व्यवहार होता है।और ऐसा ही एक मामला अरुणाचल प्रदेश यूनियन स्टूडेंट की कोशिशों के बाद सामने आया।
जो अरुणाचल प्रदेश के न्यू सागली नाम की जगह स्थिति कस्तूरबा गांधी गर्ल्स स्कूल में 88 छात्राओं के कपङे उतरवाने का मामला है। जिसका आरोप स्कूल की छात्राओं और यूनियन स्टूडेंट्स ने स्कूल की तीन शिक्षकों पर लगाया है। और पुलिस में स्कूल के खिलाफ केस दर्ज करवाया है।
हैरानी की बात यह है कि ये एक सरकारी गर्ल्स स्कूल का मामला है। यूनियन अध्यक्ष तेली रुघु के अनुसार इस बात का पता चलने के बाद उन्होंने सबसे पहले स्कूल अधिकारियों से बात की। लेकिन उन्होंने ऐसी किसी भी घटना से इनकार किया। लेकिन स्कूल से बाहर आने के बाद स्कूल की छात्राओं ने अपनी आप बीती सुनाई। स्कूल की तीन शिक्षक थीनले वांगमू , संगीता खालखो और नबाम जानू ने छठी और सातवीं की छात्राओं के कपङे उतरवाए। जिसमें से 14 लडकियों के कपङे सबके सामने उतारे गए। शरीर पर इनर वियर के अलावा कुछ नही था। खबरों के मुताबिक इन शिक्षको ने ये प्रिंसिपल के कहने पर किया।
क्योंकि प्रिसिंपल को एक चिट मिली थी। जिसमें प्रिसिंपल के स्कूल के एक शिक्षक के अफेयर की बात लिखी थी । जिसके बाद सजा के तौर पर इन छात्राओं को पूछताछ के बाद कपङे उतारने की सजा सुनाई गई। जो काफी भयानक थी। एक चिट पर लिखी बात से क्या कोई प्रिसिंपल इतनी आहत हो गई जो बच्चों को ऐसी सजा दे दी। चिट वाली बात खुद स्कूल प्रशासन ने कबूली है और साथ पुलिस इनवेस्टिंगेशन में 14 छात्राओं के कपङे उतरवाने की बात भी साबित हुई है। लेकिन इसके बावजूद भी पुलिस ने अभी तक कोई ठोस कदम नही लिया।
हालाकिं इस मामले में पुलिस ने केस जरुर दर्ज कर लिया है लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नही की गई है । और पुलिस का कहना ये भी है कि किसी छात्रा या उसके अभिभावक ने कोई शिकायत दर्ज नही करवाई है । ताज्जुब की बात है कि इनवेस्टीगेशन में सभी बाते साबित होने के बावजूद भी पुलिस गुनहगारों को पकङने की बजाय अभिवावको दारा शिकायत दर्ज कराने का इंतजार कर रही है।
ये था छात्राओं के कपडे उतरवाने का मामला
हालांकि स्कूल यूनियन बोर्ड का कहना है कि जब तक इंसाफ नही मिलता वो इस मामले को ठंडा नही होने देंगे। और स्कूल के खिलाफ अंदोलन करेंगे ।अधिकतर छात्राएं गरीब परिवार से होने के कारण पुलिस में जाने से झिझकती है। जिसका फायदा स्कूल प्रशासन उठा रहा है ।