आयुर्वेद के द्वारा यौन रोग, यौन दुर्बलता, आंशिक व नपुंसकता का सही रूप से इलाज किया जा सकता है। आयुर्वेद के अंदर मुख्य चिकित्सा ग्रंथ चरक संहिता, सुश्रुत संहिता में संभोग शक्ति को बढ़ाने जैसे कार्य करने के अंदर आने वाला यौन विकार व यौन दुर्बलता से संबंध रखने वाले सभी कारण
तथा अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग तरह की औषधि से इलाज करना बताया गया है। यदि यौन दुर्बलता का पूरे भरोसे व शांति के साथ इसका उपचार किया जाए तो इसका सम्पूर्ण इलाज किया जा सकता है।
यौन की दुर्बलता से मिलते-जुलते कई कारणों में से अधिकतर वजह हमारी अज्ञानता व गंदे हुए दिमागी हालात से जुड़े हुए होते हैं लेकिन अनेक कारण ऐसे भी होते हैं जो हमारे शरीर की क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं से जुड़े हुए होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार दिन का रहन-सहन, मौसम के अनुसार रहन-सहन (कौन-कौन से मौसम में क्या-क्या खाना-पीना करना चाहिए),
रस वाले फलों का सेवन, सेक्स क्रिया को बढ़ाने वाले पदार्थों का इस्तेमाल करने से यौन बीमारियां समाप्त हो जाती हैं परंतु काफी लंबे समय तक ठीक यौन जीवन का भरपूर आनन्द लिया जा सकता है।
आयुर्वेद की चरक संहिता के अनुसार मनुष्य की यौन शक्ति को वाजी (घोड़े) की तरह ही बनाने की प्रक्रिया ही सेक्स शक्ति को बढ़ाने वाली होती है। इसका इस्तेमाल करने के बाद पुरुष सेक्स से संबंधित सभी सुखों को प्राप्त कर सकता है। सेक्स शक्ति को बढ़ाने वाले पदार्थ तीन तरह के होते हैं
जैसे किसी अति सुंदर स्त्री को देखने व स्पर्श करने मात्र से ही वीर्य का निकलना शुरू हो जाता है – अश्वगंधा, सफेद मूसली, दूध तथा घी, ये कुछ ऐसे पदार्थ होते हैं जिनका इस्तेमाल करने से ही वीर्य की बहुत अधिक बढ़ोत्तरी होती है।
उड़द जैसे कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जिसके सेवन करने पर वीर्य की बढ़ोत्तरी व वीर्य का बहना दोनों ही क्रियाएं एक साथ होती हैं।
आचार्य चरक के अनुसार सबसे ज्यादा सेक्स क्षमता को बढ़ाने वाली सबसे सुंदर स्त्री ही होती है। जिस स्त्री की उम्र, आवाज, उसका रंग-रूप, उसके शरीर की हरकतें और वह आपके विचारों के काबिल हो, ऐसी स्त्री अधिक सेक्स क्षमता को बढ़ाने वाली होती है।